Monday, November 29, 2010

मिलिए देश के एक सपूत से ....

                    आईये आपको मिलवाता हूँ एक और सिपाही से जो महज २२ साल की उम्र में इस देश के लिए शहीद हो गया |


                      ये हैं स्व० कैप्टन विजयंत थापर  | कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले विजयंत थापर को उनके घर वाले प्यार से रॉबिन बुलाते थे | १९७७ में सैनिक परिवार में जन्मे विजयंत ने पहली गोली अपने पापा की पिस्टल से महज ४ साल की उम्र में ही चलाकर मानो ये ऐलान कर दिया था कि जल्द ही वो नया इतिहास लिखने वाले हैं |  वो १९९८ में सेना में भर्ती हुए और राजपूताना रायफल्स ग्वालियर में नियुक्त हुए, सिर्फ १ महीने बाद उनकी नियुक्ति कश्मीर हो गयी |  
                      २८ जून की रात थी, इनकी बटालियन को ३ चोटियों पर कब्ज़ा करने का भार मिला | रात के वक़्त उन चोटियों कि चढ़ाई करना बहुत ही कठिन कार्य था लेकिन इन्होने इसे बखूबी अंजाम दिया, लेकिन इस दौरान इनके कमांडर मेजर आचार्या शहीद हो गए | ये खबर सुनकर उनका गुस्सा चरम पर आ गया और अपने एक साथी नायक तिलक सिंह के साथ मिलकर सिर्फ ५० मीटर दूर गोलियां उगलती दो मशीनगनों पर धावा बोल दिया, करीब डेढ़ घंटे चली गोलीबारी के बाद उन्होंने अपने साथी से कहा कि अब वो इन्हें नहीं छोड़ेंगे, और अपने साथियों की कवर फायरिंग के बीच वो अकेले ही दुश्मन के खेमे में घुस गए लेकिन तभी एक गोली सीधे उनके माथे पर लगी और उन्हें विजय तिलक लगा दिया | उनके आखिरी शब्द थे राम |
                       मरणोपरांत उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया | उनके द्वारा लिखा गया आखिरी ख़त और डायरी का एक पन्ना भी दे रहा हूँ | इसे राईट क्लिक करके ओपन करें  और जूम करके पढ़ें | वैसे उनके आखिरी ख़त का अनुवाद मुझे आशीष मिश्रा जी ने भेजा है वो भी लिख रहा हूँ....


                   

                      

          प्‍यारे मम्‍मी-पापा, बर्डी और ग्रैनी,

जब तक आप लोगों को यह पत्र मिलेगा, मैं ऊपर आसमान से आप को देख रहा होऊँगा और अप्‍सराओं के सेवा-सत्‍कार का आनंद उठा रहा होऊँगा।

मुझे कोई पछतावा नहीं है कि जिन्दगी अब खत्म हो रही है, बल्कि अगर फिर से मेरा जन्‍म हुआ तो मैं एक बार फिर सैनिक बनना चाहूँगा और अपनी मातृभूमि के लिए मैदाने जंग में लड़ूँगा।

अगर हो सके तो आप लोग उस जगह पर जरूर आकर देखिए, जहाँ आपके बेहतर कल के लिए हमारी सेना के जाँबाजों ने दुश्मनों से लोहा लिया था।

जहाँ तक इस यूनिट का सवाल है, तो नए आने वालों को हमारे इस बलिदान की कहानियाँ सुनाई जाएँगी और मुझे उम्‍मीद है कि मेरा फोटो भी 'ए कॉय' कंपनी के मंदिर में करणी माता के साथ रखा होगा।

आगे जो भी दायित्‍व हमारे कंधों पर आएँगे, हम उन्‍हें पूरा करेंगे।

मेरे आने वाले धन में से कुछ भाग अनाथालय को भी दान कीजिएगा और रुखसाना को भी हर महीने 50 रु. देते रहिएगा और योगी बाबा से भी मिलिएगा।

बेस्‍ट ऑफ लक टू बर्डी। हमारे बहादुरों का यह बलिदान कभी भूलना मत। पापा, आपको अवश्‍य ही मुझ पर गर्व होगा और माँ भी मुझ पर गर्व करेंगी। मामाजी, मेरी सारी शरारतों को माफ करना। अब वक्‍त आ गया है कि मैं भी अपने शहीद साथियों की टोली में जा मिलूँ।

बेस्ट ऑफ लक टू यू ऑल।

लिव लाइफ किंग साइज।

आपका
रॉबिन            
                उनके बारे और भी कई जानकारी और कुछ रोचक तस्वीरों के लिए  इस लिंक पर जरूर जायें..

Friday, November 26, 2010

सुनहरी यादें :-५

                इस बार सुनहरी यादों में शामिल है वंदना गुप्ता जी की रचना ,जो मुझे भेजी है सुमन मीत जी ने | तो इस सप्ताह की हमारी सर्वश्रेष्ठ पाठिका हैं सुमन 'मीत' | उनकी भेजी और वंदना गुप्ता जी की लिखी रचना का शीर्षक है  |  


                                                                      यूँ आवाज़ ना दिया करो

सुनो
यूँ आवाज़ ना दिया करो
दिल की बढती धड़कन
आँखों की शोखियाँ
कपोलों पर उभरती
हया की लाली
कंपकंपाते अधर
तेरे प्यार की
चुगली कर जाते हैं
कभी ख्वाब तेरे
रातों में जगा जाते हैं
और चंदा की बेबसी से
सामना करा जाते हैं
तारे गिनते- गिनते
कटती तनहा  रात 
भोर की लाली से
सहम- सहम जाती है
मद्धम मद्धम बहती बयार
तेरी साँसों की
सरगोशियाँ कर जाती है
तेरी इक आवाज़ पर
मोहब्बत का हर रंग
बसंत सा खिल जाता है
बता अब कैसे
मुट्ठी में क़ैद करूँ
इस बिखरती खुशबू को
बस तुम
यूँ आवाज़ ना दिया करो  

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                 आपकी भेजी रचना भी यहाँ प्रकाशित हो सकती है | आपको करना बस इतना है कि अपने आलावा किसी और की रचना मुझे मेल कर दें | और ये रचना कम से कम ६ महीने पुरानी होनी चाहिए.....
                 मेरा पता है :- sunhariyadein @yahoo .com 
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आईये २६/११ के हमले में शहीद हुए सिपाहियों को नमन करें...आज उन सच्चे सपूतों के कारण मुंबई सुरक्षित है |

Thursday, November 25, 2010

दुनिया की १० सबसे खतरनाक और जटिल सडकें :-१

               आज अपनी हर पोस्ट से अलग हटकर मैं आपके समक्ष लाया हूँ कुछ तस्वीरें, ये तस्वीरें हैं दुनिया की १० सबसे खतरनाक और जटिल सड़कों की, इस पोस्ट को दो भागों में प्रकाशित किया जायेगा | तो आज कोई चिंतन नहीं, कोई काव्य नहीं बस पेश है दुनिया की ५ सबसे खतरनाक और जटिल सडकें |
               १. इस सूची में पहले स्थान पर है फ़्रांस में आल्पस पर्वत श्रंखला पर स्थित Col-De-Turini .. ये सड़क समुद्रतल से २० मीटर ऊपर से प्रारंभ होकर १६७० मीटर तक जाती है |
------------------------------------------------------------------------------------------------------------                       २... दूसरे स्थान पर है इटली स्थित stelvio-pass , और ये भी आल्पस की पर्वत श्रृंखला पर ही स्थित है |
------------------------------------------------------------------------------------------------------------                       ३... तीसरे स्थान पर नाम आता है भारत का | हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली मार्ग | इस सड़क के खतरनाक होने का मुख्य कारण है यहाँ होने वाली बर्फ़बारी और भूस्खलन | इस सड़क की देखभाल पूरी तरह से भारतीय सेना की जिम्मेदारी है |
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                    ४...चौथे स्थान पर है शंघाई स्थित The Puxi Viaduct ... पांच मज़िला इस पुल से प्रत्येक घंटे १४००० गाड़ियाँ पार होती हैं..ये दुनिया की व्यस्ततम सड़कों में से एक है |
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                ५... पांचवें स्थान पर है लॉस एंजलेस स्थित The Judge Harry Pregerson Interchange ... चार मंजिला ये पुल १९९३ से बिना किसी रुकावट और मरम्मत के आज तक उपयोग में है |
                             उम्मीद है मेरा ये प्रयास आपको पसंद आया होगा... अपने प्रतिक्रिया जरूर बताएं .......

Monday, November 22, 2010

यह हैं देश के सच्चे सपूत और आप इन्हें ही नहीं पहचान पाए ....

               आईये आपको मिलवाते हैं इस महान व्यक्तित्व से जिसने महज २५ साल की उम्र में इस देश के लिए अपनी जान दे दी |


              नाम तो पढ़ ही लिया होगा आपने इनकी वर्दी पर, जी हाँ ये हैं स्व० कैप्टन विक्रम बत्रा | कारगिल युद्ध के हीरो रहे विक्रम बत्रा को उनके दोस्त उन्हें उनकी बहादुरी के कारण शेर शाह बुलाते थे | ९ सितम्बर १९७४ को हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव घुग्गर में जन्मे और १९९६ में देहरादून के इंडियन मिलिट्री अकादमी से सेना में पदार्पण किया |  १९९९ में जब कारगिल में जंग शुरू हुई तो इन्हें १३ जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स की कमान सौंपी गयी | अपने साथियों के साथ मिलकर इन्होने बहुत ही वीरता से अपने कर्तव्य का निर्वहन किया, हालाँकि इस दौरान वो काफी घायल हो गए | फिर भी उन्होंने अपने साथी कैप्टेन अनुज नायर के साथ मिलकर ५ चोटियों पर कब्ज़ा जमाया | लेकिन ७ जुलाई १९९९ की सुबह अपने एक साथी लेफ्टिनेंट नवीन की जान बचाते बचाते शहीद हो गए.......
              उन्होंने ले० नवीन को ये कहकर पीछे धकेल दिया " तू बाल बच्चेदार है!! हट जा पीछे, मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है |"   और दुश्मनों की गोलियों ने उनके सीने को छलनी कर दिया | उनके आखिरी शब्द थेजय माता दी....."
              १५ अगस्त १९९९ को उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र दिया गया | 
मेरी तरफ से इस शहीद और उन तमाम शहीदों को जिन्होंने इस देश के लिए अपनी जान दे दी , शत शत नमन.....
               ये लेख लिखते लिखते मन भारी भारी सा हो गया है |

Sunday, November 21, 2010

पहचान कौन चित्र पहेली :- ५

                   पहचान कौन चित्र पहेली का पांचवां संस्करण लेकर मैं शेखर सुमन आपके सामने उपस्थित हूँ | अब से ये पहेली हर रविवार सुबह ७ बजे की बजाय सुबह ९ बजे प्रकाशित की जाएगी |अब आप सब इस पहेली का उत्तर सोमवार सुबह ९ बजे तक दे सकते हैं  यानि कि पूरे २४ घंटों का समय है आपके पास|  कोई हिंट प्रकाशित नहीं किया जायेगा, जरूरत होने पर पोस्ट में ही हिंट छुपा होगा | पहेली का उत्तर और विजेताओं के नाम सोमवार सुबह १० बजे प्रकाशित किये जायेंगे |
                   तो आज बहुत ही आसान सी पहेली है ....जरा पहचानिए तो इन्हें...
                क्या कहा आपने ??? हिंट चाहिए !!! अजी इतने बहादुर व्यक्ति के बारे में हिंट पूछकर क्यूँ बेईज्जती कर रहे हैं....

Friday, November 19, 2010

विश्व दर्शन चित्र पहेली :- १ का उत्तर

                      इस पहेली में हिंट के चलते जो विवाद हुआ उसके लिए आप सब से माफ़ी मांगता हूँ  और वादा करता हूँ आगे से ऐसा नहीं होगा |
                      यह इमारत जर्मनी का राष्ट्रपति भवन है और इस इमारत का नाम है  Schloss Bellevue (Bellevue Palace) यह इमारत १७८६ ईसवी में बनकर तैयार हुई थी, इसके आर्किटैक्ट थे Michael Philipp Boumann | ये इमारत २० हेक्टेयर क्षेत्रफल के पार्क से घिरी हुई है | द्वितीय विश्व युद्ध में इस इमारत को काफी नुकसान होने के कारण इसका पुनर्निर्माण किया गया | सन १९९४ से इस इमारत को जर्मनी का राष्ट्रपति भवन घोषित किया गया | विस्तार में जानकारी के लिए आप यहाँ देख सकते हैं |

                     आज की पहेली के विजेता हैं श्री राम त्यागी जी ( १०० अंक )

                     दूसरे स्थान पर रहे  पं.डी.के.शर्मा"वत्स"  (९९ अंक )


                     तीसरे स्थान पर रहे निरंजन मिश्र (अनाम) (९८ अंक )

                     अन्य विजेताओं की सूची इस प्रकार है :-
            दीपक सैनी जी 
            आशीष जी
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              तो फिर इंतज़ार कीजिये मेरे नियमित पहेली स्तम्भ पहचान कौन चित्र पहेली का, जो इस रविवार से सुबह ७ बजे की बजाय सुबह ९ बजे प्रकाशित की जाएगी

विश्व दर्शन चित्र पहेली ......

             आज थोड़ी सी गड़बड़ हो गयी | पिछले सप्ताह आशीष मिश्रा जी ने मुझे एक लिंक भेजा था जो प्रकाश गोविन्द जी के ब्लॉग का था उनकी एक कविता को यहाँ सुनहरी यादों में प्रकाशित करने के लिए | मैं ये सोच कर निश्चिंत हो गया कि इस सप्ताह की सुनहरी यादें के लिए रचना मिल गयी लेकिन कल रात जब उस ब्लॉग पर जाता हूँ तो पता चलता है प्रकाश जी ने वो ब्लॉग प्राइवेट कर दिया है और मुझे वहां जाने की अनुमति नहीं है  | अब इतनी जल्दी दूसरी रचना ढूँढना और उसके लेखक को सूचित करना संभव नहीं था इसलिए आज सुनहरी यादें प्रकाशित नहीं हो पा रही है | प्रकाश गोविन्द जी से थोड़ी मेहनत करायी जाए |
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               तो उसके बदले बूझिये एक पहेली....
 
              
              इस इमारत को पहचानते हैं क्या आप...????? चलिए आपकी जानकारी के लिए बता दूँ ये भारत की इमारत तो नहीं है | तो कोशिश कीजिये... उत्तर तो आज रात १० बजे प्रकाशित किया जायेगा...

               हिंट :- यह एक यूरोपियन देश का राष्ट्रपति भवन है |

Monday, November 15, 2010

पहचान कौन चित्र पहेली :-४ का उत्तर ..

                 कल की पहेली के लिए तो मुझे ढेर सारे जवाब मिले | कुछ सही कुछ गलत | अच्छा लगा कि सब पहेलियों के प्रति जागरूक हैं, और हों भी क्यूँ ना इसी बहाने कुछ ज्ञान ही बढ़ जाता है | और शाम होते होते तो हमारे प्रिय बंटी चोर भैया भी सही उत्तर ढूँढ ही लाये | बधाई उनको इस कार्य के लिए | 
                 चलिए अब सही उत्तर बताया जाए, सही उत्तर है पंडित जवाहरलाल नेहरु यानि कि हम सब के प्रिय चाचाजी | कल तो इनका जन्मदिवस भी था जिसे हम बाल दिवस के रूप में मनाते हैं | इस पहेली का सबसे बड़ा हिंट तो यही था कि ये कल के दिन प्रकाशित की गयी थी |
                  और सबसे पहले सही जवाब दिया जी विश्वनाथ जी ने ( १०० अंक ) 
                दूसरा सही जवाब दिया अरविन्द मिश्रा जी ने ( ९९ अंक )
               और तीसरे स्थान पर रहे दीपक सैनी जी ने ( ९८ अंक )
इन सभी के जवाब भी सही थे ....
प्रकाश गोविन्द ( ९५.५ अंक ) { 0.५ अंक ज्यादा इसलिए क्यूँकि इन्होने बिल्कुल सटीक बताया कि ये तस्वीर कहाँ और कब खिचवाई गयी थी }
                   आप सभी को बहुत बहुत बधाई | और जिनके जवाब सही नहीं हुए उन्हें अगली पहेली के लिए शुभकामनाएं |

Sunday, November 14, 2010

पहचान कौन चित्र पहेली :-4

                  इस चित्र पहेली के बारे में मुझे कुछ ईमेल मिले हैं | कुछ लोगों की गुजारिश है कि उत्तर देने की समय सीमा बढ़ायी जानी चाहिए, क्योंकि वो केवल रात में ही ऑनलाइन हो पाते हैं लेकिन मुझे लगता है समय कम रहने से रोमांच ज्यादा होता है, नहीं तो फिर लोग गूगल बाबा में ढूँढ ही लेते हैं | लेकिन फिर भी उनकी बात को ध्यान में रखते हुए अब आप सब इस पहेली का उत्तर सोमवार सुबह ७ बजे तक दे सकते हैं  यानि कि पूरे २४ घंटों का समय है आपके पास| लेकिन अब कोई हिंट नहीं प्रकाशित किया जायेगा, जरूरत होने पर पोस्ट में ही हिंट छुपा होगा | पहेली का उत्तर और विजेताओं के नाम सोमवार सुबह १० बजे प्रकाशित किये जायेंगे |
                   तो आज बहुत ही आसान सी पहेली है ....जरा पहचानिए तो इन्हें...
 

Friday, November 12, 2010

सुनहरी यादें :- 4

         इस बार सुनहरी यादों में शामिल है आशा जोगलेकर जी की रचना ,जो भेजी है मोनाली जौहरी जी ने  | 
तो इस सप्ताह की हमारी सर्वश्रेष्ठ पाठिका है मोनाली जौहरी और उनकी भेजी और आशा जोगलेकर जी की लिखी रचना का शीर्षक है  |

                                                                     अब तुमसे दूर....
अब तुमसे दूर बहुत दूर चला जाता हूँ
रोकना अब न, यहां से मै कहां जाता हूँ ।
जो अपने बीच घटा था कभी कुछ नाजुक सा
वो तेरे पास अमानत सा रखे जाता हूँ ।
न पूछो मुझसे सवाल, जवाबों को न सह पाओगी
उलझे उलझे से इन सवालों को लिये जाता हूँ ।
जो कुछ था दिल में हमारे, कब किसने जाना
न उसको चौपाल पे लाओ, मै चला जाता हूँ ।
जानता हूँ, जला करके तुलसी पे दिया,
तकोगी राह मेरी, फिर भी चला जाता हूँ ।
होगी मुलाकात कभी किस्मत में जो लिख्खी होगी
एक दुआ तुम करो, एक मैं भी किये जाता हूँ ।
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PS :- हालाँकि मुझे आप लोगों के द्वारा रचनायें नहीं के बराबर मिल रही हैं फिर भी उम्मीद का दामन छोड़ा नहीं है मैंने, उम्मीद है आप रचनायें भेजते रहेंगे... अपना पता याद दिलाता चलूँ.. 
sunhariyadein@yahoo.com

Sunday, November 7, 2010

पहचान कौन चित्र पहेली :- ३ का उत्तर

                    माफ़ कीजियेगा, आज मैं दिन में इतना व्यस्त था कि इसका हिंट भी प्रकाशित नहीं कर पाया | और इसके उत्तर पढ़कर परेशान हो रहा था | सभी इसे  llama बता रहे थे | हालाँकि सब इसके काफी करीब थे लेकिन सही उत्तर केवल ३ लोगों ने दिया | हालाँकि  पं० डी० के० शर्मा 'वत्स' जी ने भी सही उत्तर दिया लेकिन वो निश्चित समय सीमा के बाद मिला मुझे |
                    सही जवाब है alpaca | समय के अभाव में यहाँ पूरी जानकारी नहीं दे पा रहा हूँ | इसके बारे में विस्तृत जानकारी आप यहाँ पढ़ सकते हैं |
                     और अब समय है विजेता का नाम बताने का |
आज की इस चित्र पहेली के विजेता हैं समीर जी |( १०० अंक )
और उनके बाद सही उत्तर दिया आशीष मिश्रा जी ने | ( ९९ अंक )
और सबसे आखिरी में सही उत्तर दिया इन्द्रनील जी ने | ( ९८ अंक )

                 आप सभी लोगों को बधाई | और जो सही उत्तर ना दे सके उन्हें अगली बार के लिए शुभकामनाएं | तो अगले रविवार फिर मिलेंगे एक नयी पहेली के साथ |

पहचान कौन चित्र पहेली :-३

                 पिछले रविवार विश्वनाथ जी ने चित्र पहेली का नाम सुझाया था....चलिए उसी नाम से अब हर रविवार सुबह ७ बजे यह चित्र पहेली प्रकाशित की जाएगी | पहेली का जवाब शाम ७ बजे तक आप दे सकते हैं | और इसके उत्तर और विजेता का नाम रात ९ बजे घोषित किया जायेगा | 
                 इस बार बात करते हैं जानवरों की | जरा पहचानिए तो यह कौन सा जानवर है | जो लोग discoveryचैनल देखते हैं वो तो झट से पहचान जायेंगे | चलिए ट्राई कीजिये | शाम ४ बजे एक हिंट भी प्रकाशित किया जायेगा लेकिन उसके बाद मिलने वाले उत्तर को १० नंबर कम मिलेंगे |

  

Friday, November 5, 2010

आज कुछ और नहीं, बस आपको और आपके परिवार को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं..(अरे कम से कम शुभ दीपावली तो कहते जाईये.. )

         आज कुछ ख़ास नहीं है लिखने के लिए, समय का भी अभाव है |  बस एक बात कहनी थी, दीपावली रौशनी का त्यौहार है, आवाज़ का नहीं.... इसलिए पटाखों को ना कहें बस रौशनी फैलाएं.... रौशनी अपने घर में, समाज में, अपने देश में.....
          उज्जवल करें अपने मन को, अपने मष्तिष्क को और अपनी आत्मा को.....आपको और आपके परिवार को मेरे और मेरे परिवार की तरफ दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं..

Thursday, November 4, 2010

सुनहरी यादें :-3

            समय और रचनाओं के अभाव में मुझे अपना ब्लॉग सुनहरी यादें कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा लेकिन सुनहरी यादों के झरोखे से पुरानी रचनायें यहाँ हर शुक्रवार सुबह प्रकाशित की जाएँगी...
            आज की सुनहरी यादों में रचना है संगीता स्वरुप जी की और इसे भेजा है अनुपमा पाठक जी ने... इसे उन्होंने प्रकाशित किया था २४ दिसम्बर २००८ को और इसमें नीले आसमान का ख़ूबसूरत वर्णन है...
             तो इस सप्ताह की हमारी सर्वश्रेष्ठ पाठिका है अनुपमा पाठक और उनकी भेजी और संगीता जी की रचना का शीर्षक है  |
                                                                    ===नीला आसमान=== 

मैं -
आसमान हूँ ,
एक ऐसा आसमान
जहाँ बहुत से
बादल आ कर
इकट्ठे हो गए हैं
छा गई है बदली
और
आसमान का रंग
काला पड़ गया है।
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान.
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  इसी तरह दूसरों की पुरानी रचनायें भेजते रहें....  पता है  sunhariyadein@yahoo.com

      PS :- अगर आपने यह पोस्ट नहीं पढ़ी है तो कृपया टिप्पणी देने का कष्ट भी ना करें |  

Monday, November 1, 2010

कभी-कभी...

कभी-कभी मैं
लेकर पंछियों से पंख
नीले गगन में विचरता हूँ
यूँ ही
शायद तलाश है किसी चीज की

हाथ में एक हाथ लेकर
आसमां की खाक छानता हूँ
उसे ढूँढता हूँ जो
ज़मीं पे मिलना कठिन हो चला है,

मगर खाली हाथ लौट आता हूँ
और वो हाथ भी छूट जाता है,

फिर कभी कभी
ज़मीं पे बसी दुनिया में
करता हूँ प्रयत्न
वो करने का
जो आसमान में होता है,

तभी एक नश्तर सा चुभता है
और थक कर गिर जाता हूँ

फिर उठता हूँ और
चल पड़ता हूँ आसमां की सैर पर 

बस यूँ ही कभी कभी ||
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