Wednesday, March 16, 2011

बस यूँ ही आज तुम्हारी याद आ गयी...

           जब कभी उन बीते लम्हों की अलमारी खोलता हूँ तो बेतरतीबी से बिखरी हुयी यादें भरभरा के बाहर गिर पड़ती हैं ... न जाने कितनी बार सोचा कि उन्हें करीने से सजा दूं लेकिन कभी जब बहुत बेचैन होता हूँ तो मन में उठते हुए उबार किसी एक ख़ास लम्हें की तलाश में जैसे सब कुछ बिखेर देते हैं...
           तुम्हें वो पीपल का पेड़ याद है जहाँ तुम हर सुबह अपनी स्कूल बस का इंतज़ार करती थी, और मैं किसी न किसी बहाने से वहां अपनी सायकिल से गुज़रता था... तुम्हें बहुत दिनों तक वो महज एक इत्तफाक लगा था... तुम्हें क्या पता ये इतनी मेहनत सिर्फ इसलिए थी कि इसी बहाने एक बार तुम मुझे मुस्कुरा कर तो देखती थी, और कभी कभी तो मुझे रोक कर थोड़ी देर बात भी कर लेती थी.. वो ख़ुशी तो त्यौहार में अचानक से मिलने वाले बोनस से कम नहीं होती थी...
         प्यार करना भी उतना आसान थोड़े न है, वो देर रात तक सिर्फ इसलिए जागना क्यूंकि तुम्हारे कमरे की बत्ती जल रही होती थी, आखिर कभी कभी खिड़की से तुम दिख ही जाती थी... ऐसा लगता था जैसे खिड़की के उसपार पूनम का चाँद उतर आया है...
           यूँ वजह-बेवजह तोहफा देने की आदत भी तुम्हारी अजीब थी, पता तुम्हारी दी हुयी हर चीज आज भी संभाल कर रखी है...  वो बुकमार्क जो फ्रेंडशिप डे पर तुमने दिया था, आज भी मेरी किताबों के पन्ने से मुझे झाँक लिया करता है... और वो घड़ी, कलाई पर आज भी उतने ही विश्वास से टिक-टिक कर रही है, और तुम्हारे साथ बिताये हुए लम्हों की याद दिला जाती है...
         जब मैं तुम्हें बिना बताये छुट्टियों में पहली बार पटना से घर आया था, कैसे पागलों की तरह चीखी थी तुम, तुम्हारी आखों की वो चमक मंदिर में जलते किसी दीये की तरह थी, जो जलने पर अपनी लौ में कम्पन कर किसी नैसर्गिक ख़ुशी को व्यक्त करता है... उन खूबसूरत आखों में आंसू भी खूब देखे हैं मैंने, तुम्हारे पापा की बरसी पर जब तुम्हारे आंसुओं ने मेरे कन्धों को भिगोया था, मैं अपने आप को कितना बेबस महसूस कर रहा था... उस समय तुम्हारी एक मुस्कराहट के बदले शायद सब कुछ दे सकता था मैं...  उन आखों को चाहकर भी भुला नहीं पाया हूँ..
                    एक अरसा हुआ उन आखों को देखे हुए लेकिन इतना यकीन है कि उन आखों में आज भी वही चमक और वही मुस्कराहट तैरती होगी, भले ही उसका कारण अब मैं नहीं हूँ....

54 comments:

  1. बहुत मासूम अहसासों से भरी रचना!Nice!

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  2. बहुत अच्छी लगीं ये शुभकामनायें .....

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  3. बहुत सुन्दर प्यार भरे अहसास...

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  4. अमा मिया अजीब बुड़बकई करी थी तुमने जब इतना प्यार करते थे तो जाने क्यों दिया खैर डाट डपट बाद में कर लेंगे

    भावनाओ की अभिव्यक्ति यहाँ करी है उसके बारे में क्या कहू बिलकुल अद्भुत है

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  5. Hmmm awesome... loved it :)...

    Its lyk a treat to me... :)

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  6. [co="blue"]
    अब क्या करें संदीप भाई, शायद हर ख़ुशी किस्मत में नहीं होती...खैर इंतज़ार कीजिये, शायद डायरी के कुछ और पन्ने आपके सवालों का जवाब दे सकेंगे..
    [/co]

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  7. [co="green"]अरे मोनाली, कैसे कैसे रुख किया इधर का...??:
    थैंक्स यार, बस हम भी कभी कभी लिख लेते हैं....:D[/co]

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  8. प्यार करना भी उतना आसान थोड़े न है, वो देर रात तक सिर्फ इसलिए जागना क्यूंकि तुम्हारे कमरे की बत्ती जल रही होती थी, आखिर कभी कभी खिड़की से तुम दिख ही जाती थी... ऐसा लगता था जैसे खिड़की के उसपार पूनम का चाँद उतर आया है...
    वाह शानदार गज़ब ढा रहे हो प्यारे ...प्यार करना इतना आसान क्यों नहीं होता ?...अरे होता है मिया बहुत आसान होता है....प्यार करना बस निभाना बड़ा मुश्किल होता....

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  9. हा हा हा हा हा मुझे मालूम था ये दिल तो पागल है ..नहीं पगला है रे ! सुनो आज तुम्हारी इस पोस्ट ने जाने क्या क्या याद दिला दिया ...चलो एक बात बताता हूं ....छोडो यहां नहीं । पोस्ट बहुत अच्छी लिखी गई है ..या मुझे लगता है दिल ने सारा काम हाथों से खुद ही करवा लिया होगा ..इसमें तुम्हारे दिल को क्रेडिट दे रहे हैं रे बच्चे ..खुश रहो

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  10. बहुत सुन्दर प्यार भरे अहसास|

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  11. बहुत सुन्दर पोस्ट है। धन्यवाद

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  12. भीगी भीगी सी यादें,जो बस आंखे भिगो देती हैं ।

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  13. यार शेखर तुमने तो बहुत कुछ याद दिला दिया
    बेहतरीन लिखा है, दिल से निकली बात दिल तक पहुचँ रही है
    शुभकामनाये

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  14. yadoon ko kitni khubsurti se piroya hai sekhar ji....ek rachna thi jo hme bachpan se hi bhut pasand h..."usne kha tha",,,,aaj kuch vaisa hi laga...thanx....u r great..

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  15. [co="aqua"]वाह! बहोत ही बेहतरीन लिखा है शेखर भाई आपने
    शुभकामनाएँ [/co]

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  16. इतना यकीन है कि उन आखों में आज भी वही चमक और वही मुस्कराहट तैरती होगी, भले ही उसका कारण अब मैं नहीं हूँ....
    बहुत सुन्दर प्यार भरे कोमल अहसास...

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  17. [co="red"] अरे आशीष भाई ऐसा रंग उपयोग न करें जो पढने में ही न आये... मेरे ख्याल से यहाँ गहरे रंग ज्यादा अच्छे लगेंगे..[/co]

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  18. समय की रेत पर यादों की तरह दर्ज तस्‍वीर.

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  19. सुन्दर रचना....

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  20. .प्यार करना बस निभाना बड़ा मुश्किल होता....

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  21. यादों के खूबसुरत एहसास...

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  22. भीगी सी यादो ने आज नहला दिया
    जो कुछ छुपा रखा था दिखा दिया
    हाय! आज तो सब कुछ लुटा दिया
    और उसे खबर तक ना हुयी
    यादो की फ़ेहरिस्त मे
    आज भी तुम चस्पां हो

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  23. अरे यार
    आना जाना तो लगा ही रहता है.
    ये जिँदगी मेला है .एक जाता है तो दूसरा आता है
    इसलिये टेँशन नही लेने का .

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  24. [co="#856363"]वाह! बहोत ही बेहतरीन लिखा है शेखर भाई आपने..

    शुभकामनाएँ
    [/co]

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  25. [co="#CD6600"]शेखर भाई डायरी के अगले पन्ने कब पलट रहे हो ....? :)[/co]

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  26. [co="green"]आशीष भाई आप यहाँ होली खेल रहे हैं जी ????
    हा हा हा....
    होली के अवसर पर ही ये सुविधा शुरू की है..वैसे आपको कैसे पता इसके बारे में...>???? [/co]

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  27. बहुत खूबसूरत भाव ...
    इसके आगे इतने ढेर सारे विचार आ रहे हैं कि कुछ भी नहीं लिख पा रही हूं ...

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  28. sundar yaade...bahut achcha likha...

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  29. शेखर जी , बहुत ही गहरे और प्यारे से एहसास है. .......... दिल को छू लेने वाले. सुंदर प्रस्तुति.

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  30. [co="#993300"]शेखर भैय्या हम भी कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट है ..... :)वैसे बताना चाहूँगा कि ये चीज तो मैंने नवीन जी के ब्लॉग से सीखी है [/co]
    [co="#CD3700"]मैं तो होली नहीं खेलता हूँ पर आप कहते है तो यहीं होली खेल लेते हैं :)[/co]

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  31. जब जब उनकी याद आती है , दिल मे यादों के दिये जल जाते है , आँखे नम हो जाती है , और्र होठों पर ह्ल्की सी मुस्कराहट तैर जाती है , इस संगम का भी आनन्द कुछ अलग ही है .........

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  32. ये यादें भी ना ! एकदम बांवरी होती हैं... वक़्त बे-वक़्त चली आती हैं.... कभी हँसा जाती हैं तो कभी रुला जाती हैं और कभी अपने संग बीते लम्हों की दुनिया की सैर करा लाती हैं... पर जैसी भी हों ये यादें होती बड़ी प्यारी हैं और अज़ीज़ भी... यादों को बड़े प्यार से संजोया है आपने शेखर जी और हाँ प्यार करना वाकई आसान नहीं होता...

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  33. ummhmmmm........ ;)

    cute...!!!

    :)

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  34. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.03.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  35. सुन्दर और कोमल शब्दों में पिरोये एहसास ...बहुत अच्छी लगी यह प्रस्तुति ..


    होली की शुभकामनायें

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  36. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

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  37. शेखर जी बीती यादो के पलो को आपने साँझा किया उसके लिए धन्यवाद वैसे डायरी के अगले पन्नो को कब पलटोगे इन्तजार रहेगा
    होली की ढेरो ढेर शुभकामनाए ............

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  38. लेकिन इतना यकीन है कि उन आखों में आज भी वही चमक और वही मुस्कराहट तैरती होगी, भले ही उसका कारण अब मैं नहीं हूँ....
    sach pyar ki parakashtha yahi hai...jahan bhi raho khush raho....bahut sundar likhe hain.

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  39. माफ़ करना बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हुआ .....तुम्हारी यादो मे सफ़र करना अच्छा लगा ..
    होली की शुभकामनाये

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  40. [co="red"]आप[/co] [co="green"]सभी को[/co][co="blue"] होली की [/co][co="brown"]ढेर सारी शुभकामनाएं.... :)[/co]

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  41. आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा अति उत्तम असा लगता है की आपके हर शब्द में कुछ है | जो मन के भीतर तक चला जाता है |
    कभी आप को फुर्सत मिले तो मेरे दरवाजे पे आये और अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाए |
    http://vangaydinesh.blogspot.com/
    धन्यवाद

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  42. ab main kya bolu..or kya likhu comment me mujhe samjh nhi aarha...speechless.........dil ko chuti hui aapki rachna...aesa hi hota hai mayne badl jate hai....surat wahi rehti hai aaine badl jate hai...trust me........

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  43. यादें तुम्हारी हैं...जाने हमें कैसे भिगो गयीं.....
    ज़रूर कोई ख़याल ऐसा ही हमें छू कर भी गुज़रा हो...कौन जाने....याद नहीं पढता...अलमारी टटोलती हूँ..
    :-)
    सस्नेह
    अनु

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  44. यादों के लम्हे तुम्हारी मुट्ठी से फिसले और हमारे दिल में मानो बस से गए...।

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    1. अब तो बस कुछ यादें ही हैं, यादें सुन्दर होती हैं....

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