Thursday, May 24, 2012

आखिर आज का युवा कैरियर के तौर पर राजनीति को क्यूँ नहीं देखता...

           आज कल बेरोजगारी अपने चरम पर है, हर किसी के हाथों में डिग्री है, इंजीनियरिंग से कम में तो कोई बात ही नहीं करता... लेकिन नौकरी ... उसके लिए तो गज़ब की मारामारी चल रही है... ऐसी कोई डिग्री, ऐसा कोई कोर्स नहीं जहाँ नौकरी की गारंटी मिलती हो.... ऐसे में सब अपने कैरियर के चुनाव में पेशोपेश में रहते हैं... स्कूल के समय से ही विद्यार्थियों पर दवाब बन जाता है ताकि वो अपना कैरियर चुनकर उसपर अपना 100 परसेंट दे सकें... तरह तरह के इन अवसरों को तलाश करते युवा गलती से भी कभी राजनीति में आने का नहीं सोचते... आखिर ऐसा क्या है जो उन्हें इस तरफ आने से रोक देता है, जबकि राजनीति के बारे में बातें सभी करते हैं... हर दूसरा आदमी कभी किसी नेता को, अफसर को, सिस्टम को गाली देता हुआ मिल जाएगा... राजनीति को सभी गन्दा कहते हैं लेकिन कोई भी उसमे उतर कर उसको साफ़ नहीं करना चाहता... सभी कहते हैं कि फलाना नेता क्रिमिनल है उसकी छवि साफ़ सुथरी नहीं है... अब जब देश के पढ़े लिखे और जागरूक लोग उधर का रुख ही नहीं करेंगे तो ऐसे लोग आपके प्रतिनिधि बनकर देश चलाएंगे न...
            सब बस कोई ठीक ठाक सी नौकरी चाहते हैं, ठीक ठाक सी कमाई हो जाए, शाम को आराम से ऑफिस से लौटें और अपने परिवार के साथ सुकून के दो पल बिताएं... और इसमें कोई बुराई भी तो नहीं है, आखिर अपनी सुविधा कौन नहीं देखता... अब इस बात पर कुछ लोग ये कहते मिल जायेंगे कि भाई साहब हम तो अपनी अपनी जगह पर रहकर भी देश सेवा कर सकते हैं तो फिर राजनीति में उतरने की ज़रुरत क्या है... लेकिन ये सिर्फ अपने बचाव के लिए एक वक्तव्य मात्र है... ये हम सभी जानते हैं कि हम राजनीति में नहीं जाना चाहते चाहे जो भी कारण हो और न ही कोई माता-पिता चाहते हैं कि उनका बेटा या बेटी बड़े होकर कोई नेता बने... अगर कोई युवा इस तरफ अपनी रुचि दिखाए भी तो उसे अपने परिवार में घोर विरोध का सामना करना पड़ेगा...
            खैर कारण चाहे जो भी हो, सच यही है कि मेरा भी राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं है... बस इस तरफ थोडा ध्यान दिलाना चाहता था सबका, ताकि अगर किसी के मन में ज़रा भी पेशोपेश हो तो बेधड़क राजनीति का रुख करें.. इस देश को सच में पढ़े लिखे और जागरूक नेताओं की ज़रुरत है...

Friday, May 18, 2012

मेरी हर सांस, हर कविता एक तोहफा है सिर्फ तुम्हारे लिए...

         आस पास जब तन्हाईओं की शीतलहरी में मेरा दम घुटने लगता है, तो तुम्हारी इसी मुस्कराहट की चादर ओढ़े मैं सांस लेता हूँ... फिर चाहे वो इस समय की तेज़ धुप हो या फिर बारिश की ये तेज़ बौछारें... न ही मेरे पास और कोई छतरी है न ही कोई छत... बस तुम्हारा साया ही है जो मुझे हमेशा आगे चलते रहने का हौसला देता है....
      कभी कभी तुम मुझे सपनों की किसी सोन चिरैया की तरह लगती हो, जो रह रह कर किसी अनजाने से डर में मेरी छाती में दुबक जाती है... फिर जब तुम्हारी और मेरी धड़कन आपस मिल कर वो प्यार भरा संगीत बनाती हैं तो बरबस ही मेरी आखों के कोर नम हो जाते हैं... जब तुम मेरे साथ नहीं होती, तो तुम्हारी याद को अपने मन में गुनता रहता हूँ और तुम्हारे इंतज़ार का एक एक मोती तुम्हारी याद में चुनता रहता हूँ.... यूँ ही अपने कमरे में बैठे बैठे बाहर होती इस रिमझिम सी बारिश का दीवाना होता जा रहा हूँ.... खिड़की के इस शीशे से अपने चेहरे को सटाये बाहर बारिश की इन एक एक बूंदों तो टपकते हुए देखता हूँ, इन हरी हरी पत्तियों से होते हुए वो सड़क पर रेत में कहीं खो सी जाती है, उनका वजूद ठीक उसी तरह है जैसे मेरे चेहरे पर तुम्हारे लिए प्यार.... जो कभी कभी भले ही दिखता नहीं लेकिन वो वहीँ है कहीं छिपा हुआ चुपके से.... मेरे अन्दर का भी ये भारी सा अकेलापन बूँद बूंद  टपकता रहता है और कभी यूँ ही इन आखों की शिराओं से होकर बहते हुए मेरे चेहरे पर सूख जाया करता है....
        सोचता हूँ कभी तुम्हारे लिए कोई कविता लिखूं, फिर सोचता हूँ उसमे ऐसा क्या लिखूं जो उसके छंद मुकम्मल हो जाएँ, एक तुम्हारा वजूद ही तो है जिसके आगे सारी कविताओं का रंग फीका पड़ जाता है... तुम्हें पता है कल कल्पना की उड़ान में, सपनों के जहान में, मिट्टी के घरोंदे बनाते हुए जब उँगलियाँ सन गयीं तो कविता बनते हुए दिखाई दी थी मुझे.... बड़े करीने से उस घरोंदे को बाहर धूप में डाल दिया, सोचा शायद इसी घरोंदे से हमारी ज़िन्दगी की शुरुआत होनी हो... फिर फ़ूलों से गँध चुरा कर, तितली से रँग लेकर और अहसास के समन्दर में सीपियाँ चुनी,तो भी कविता बन गयी... कल जब तुम हमारी ज़िन्दगी की किताब के पन्नों को पलटोगी तो शायद तुम्हें इस बात का इल्म हो जाएगा कि ये सारी कवितायें सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए लिखी गयी हैं... अक्सर कविताओं से बुनी हुयी ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत होती है इसलिए तो हर सांझ के सूरज की मद्धिम सी रौशनी में तुम्हारे लिए एक कविता लिखता हूँ, इन सब कविताओं से घिरा हुआ हमारा संसार कितना प्यारा होगा न...
          आस पास की इस भीड़ में एक एहसास है जो मुझे तुम्हारे साथ बिताये हुए हर उस लम्हें की याद दिलाता है जो हमेशा हमेशा के लिए मेरी ज़िन्दगी में चस्प हो गए हैं... कितने दिनों से सोच रहा हूँ आज के दिन तुम्हें क्या तोहफा देना चाहिए, कुछ समझ नहीं आने पर निराश होकर ये पोस्ट लिखने बैठा हूँ.... आज के दिन बस इतनी ही ख्वाईश कि आने वाले कई कई सालों और जन्मों तक तुम यूँ ही मेरा हमसाया बन कर चलती रहोगी... आज का दिन वाकई में बहुत ख़ास है, हम आज साथ हैं क्यूंकि आज के दिन ही तुम आई थीं इस प्यार भरी दुनिया में...

Sunday, May 13, 2012

मेरी माँ थोड़ी अलग सी है...

            जानता हूँ इस पोस्ट का शीर्षक कई लोगों को अजीब सा लगेगा, आखिर ऐसी क्या अलग बात है मेरी माँ में... लेकिन माँ की जो सूरत अपने आस पास के लोगों से देखी, जैसी ममता, जैसे अपनेपन की बात सभी करते हैं वैसा कुछ भी मैंने अपनी निजी ज़िन्दगी में महसूस किया हो ऐसा नहीं है... हालांकि माँ तो सभी की अपने बच्चों से उतना ही प्यार करती है, लेकिन सभी अपना प्यार जतला सकें ऐसा नहीं है...
            मेरी माँ भी कुछ ऐसी ही हैं, उनके वर्किंग वुमेन होने का असर हमारे लिए मिलने वाले समय पर पड़ा... कभी फुर्सत में बैठ के बातें करना, दुलारना, पुचकारना शायद हमारी किस्मत में नहीं था... अलग दुनियादारी, अलग जिम्मेदारियां और ढेर सारा काम... मैं भी हमेशा अपने आस पास अपने दोस्तों की माओं को देखता था तो मेरा भी मन करता था कि कभी मेरी माँ भी इसी तरह मुझे प्यार से बेटा कह कर गले से लगा ले, आखिर किसका मन नहीं करता लेकिन ऐसा कोई पल कभी मेरी ज़िन्दगी में न आ सका... कितनी ही बार मन किया माँ की गोद में सर रख कर सो जाऊं... लेकिन कभी कभी ज़िन्दगी अपनी कुछ परिभाषाएं छुपा लेती है, और इसे मेरी बदकिस्मती समझूं या फिर नियति ज़िन्दगी का सबसे खुबसूरत एहसास ही छुप गया मुझसे... आखिर ज़िन्दगी का होना और उसका यूँ फलना-फूलना माँ के प्यार के बिना भला क्या मायने रखता है... लगता था मेरी माँ मुझे प्यार ही नहीं करती... शायद इसी डर से कि कहीं वो मुझसे दूर न चली जाए मैं ह्मेशा उनका आँचल पकडे चला करता था...
           जब धीरे धीरे बड़ा हुआ, थोडा समझदार(?) हुआ तब लगा कि वो प्यार तो ज़रूर करती होंगी लेकिन उन्हें जतलाना नहीं आता... फिर भी इस बात को कई सालों तक मैं एक्सेप्ट नहीं कर सका, आज भी कभी कभी जब अपने आस पास किसी माँ को अपने बच्चे से प्यार से गले लगाते हुए देखता हूँ तो आखें नम हो जाती हैं... कभी माँ के बारे में कुछ लिखने का सोचता हूँ तो वो एहसास नहीं ला पाता अपने शब्दों में, वो कुछ मैं महसूस ही नहीं कर सका कभी...कई बार माँ की बहुत याद आती है और रह रह कर लिखता भी रहा उनके बारे में...
           आज मदर्स डे पर और कुछ  कहने को नहीं है बस यही बात कि माँ मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन आपके प्यार के लिए हमेशा तरसता रहा... हैप्पी मदर्स डे.... 

Do you love it? chat with me on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...