Friday, May 17, 2013

मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान है, ग़र याद रहे...

         कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ बुरा होना ब्लेसिंग इन डिसगाईज हो जाता है.. अब देखिये न पिछले दो महीने से लैपटॉप ख़राब पड़ा है इन दिनों कुछ भी नहीं लिख सका, कुछ लिखा भी तो डायरी के पन्नों तक ही रहा.. फिर एक दिन बैठा बैठा उन पन्नों को पढना शुरू किया और साथ ही साथ रिकॉर्ड करना भी, जानता हूँ मेरी आवाज़ के हिसाब से पॉडकास्ट एक कोई ख़ास अच्छा आईडिया तो नहीं ही है, फिर भी अपनी आवाज़ में अपना कुछ लिखा सुनना किसे अच्छा नहीं लगता... कुछ गलतियां हुईं, सुधारता रहा और आज सब कुछ सुना तो दो पन्ने अच्छे बन पड़े हैं, उन दो पन्नों को पॉडकास्टस के रूप में यहाँ रख रहा हूँ... अगर कोई गलती लगे तो ध्यान ज़रूर दिलाईयेगा...





17 comments:

  1. केतना नीमन आवाज है मेरे बबुआ का :D

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  2. अहा, बहुत खूब, सुनने में कितना भाव आ जाता है।

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  3. वाह ..बहुत बढ़िया

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  4. kitni sunder to awaj hai...:-)

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  5. Yaar yeh wala Shekhar kahan tha jab hum log Nahaan main rehte the. Bhai carry on, i think the podcast brings out better in you. You may just need to invest in better audio equipments. Your effort is top notch.

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    1. bhai ye shekhar tab bhi wahin tha lekin itna kuch pata nahin tha mujhe na. :P

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  6. कर दिखाया तुमने .....बहुत खूब!...स्वागत है- इस नए अवतरण का ....... स्नेहाशीष

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  7. मस्त है जी ...
    स्वागत है ..

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  8. :-)

    परिपक्व आवाज़.....
    keep it up!!!

    अनु

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  9. वाह! बहुत सुन्दर !

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postअनुभूति : विविधा
    latest post वटवृक्ष

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  10. 'क्यूंकि, तुम प्यार करने वाली लड़की हो...'
    वाह!
    'तुम मेरी कविताओं में आना...'
    सुन्दर!

    सुनना अच्छा लगा...आवाज़ भाव को जीवंत जो करती जाती है!!!

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  11. अच्छा लगा सुनना!
    शब्दों को आवाज़ मिलती है तो भाव जीवंत हो उठते हैं!

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