Saturday, September 29, 2018
Friday, September 7, 2018
तुम प्यार करोगी न मुझसे
तुम प्यार करोगी न मुझसे,
तब, जब मैं थक के उदास बैठ जाऊँगा
तब, जब दुनिया मुझपे हंस दिया करेगी
तब, जब अँधेरा होगा हर तरफ
तब, जब हर शाम धुंधलके में भटकूँगा मैं उदास
तब एक उम्मीद का दिया जगाये
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब मैं थक के उदास बैठ जाऊँगा
तब, जब दुनिया मुझपे हंस दिया करेगी
तब, जब अँधेरा होगा हर तरफ
तब, जब हर शाम धुंधलके में भटकूँगा मैं उदास
तब एक उम्मीद का दिया जगाये
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब मुझे दूर तक तन्हाई का रेगिस्तान दिखाई दे
तब, जब मेरे कदम लड़खड़ाएं इस रेत की जलन से
तब, जब मैं मृगतृष्णा के भंवर में फंसा हूँ
तब, जब इश्क़ की प्यास से गला सूख रहा हो मेरा
तब अपनी मुस्कान ओस की बूंदों में भिगोकर
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब ये समाज स्वीकार नहीं करे इस रिश्ते को
तब, जब प्रेम एक गुनाह मान लिया जाए
तब, जब सजा मिले हमें एक दूसरे के साथ की
तब, जब मुँह फेर लेने का दिल करे इस दुनिया से
तब इस साँस से लेकर अंतिम साँस तक
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
तब, जब ये समाज स्वीकार नहीं करे इस रिश्ते को
तब, जब प्रेम एक गुनाह मान लिया जाए
तब, जब सजा मिले हमें एक दूसरे के साथ की
तब, जब मुँह फेर लेने का दिल करे इस दुनिया से
तब इस साँस से लेकर अंतिम साँस तक
तुम प्यार करोगी न मुझसे...
Sunday, September 2, 2018
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत इतनी कि
सड़क पर अपनी गाड़ी की
हलकी सी खरोंच पर भी
हो जाएँ मरने-मारने पर अमादा,
और मोहब्बत इतनी भी नहीं कि
अपने माँ-बाप को लगा सकें
अपने सीने से
और कह सकें शुक्रिया...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
मोहब्बत सिगरेट की फ़िल्टर सी है,
नफरत का सारा धुंआ खुद से होकर गुजारती है
सारी नफरत ले चुकने के बाद
हम उस मोहब्बत को ही फेक देते हैं
और कुचल देते हैं
अपनी जूतों की हील से
और नफरत !!
वो तो समा चुकी है हमारे सीने में टार बनके...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत इतनी कि
सड़क पर अपनी गाड़ी की
हलकी सी खरोंच पर भी
हो जाएँ मरने-मारने पर अमादा,
और मोहब्बत इतनी भी नहीं कि
अपने माँ-बाप को लगा सकें
अपने सीने से
और कह सकें शुक्रिया...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
मोहब्बत सिगरेट की फ़िल्टर सी है,
नफरत का सारा धुंआ खुद से होकर गुजारती है
सारी नफरत ले चुकने के बाद
हम उस मोहब्बत को ही फेक देते हैं
और कुचल देते हैं
अपनी जूतों की हील से
और नफरत !!
वो तो समा चुकी है हमारे सीने में टार बनके...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
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