tag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post7958123481807371045..comments2024-03-27T12:37:26.047+05:30Comments on खामोश दिल की सुगबुगाहट...: माफ़ करो इन्हें, ये तो इनके पढने-खेलने के दिन हैं...Shekhar Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-12229708929393955242012-06-11T10:31:51.437+05:302012-06-11T10:31:51.437+05:30मुझे भी यही लगता है कि हर चीज़ को धर्म के चश्मे से...<b><i>मुझे भी यही लगता है कि हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखना सही नहीं है... लेकिन दुःख इस बात का है कि इस्लाम में ऐसा कोई कानून क्यूँ नहीं है जो इतनी कम उम्र में विवाह होने को रोक सके...<br />ये बात सिर्फ भारत में नहीं आप पूरी दुनिया में देख लीजिये अधिकतर मुसलमान देशों में विवाह की न्यूनतम आयु बहुत कम है... इतनी कम उम्र में एक मासूम की ज़िन्दगी का भविष्य तय करने वाले हम कौन होते हैं... अगर किसीShekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-50007764742582101002012-06-11T09:17:38.804+05:302012-06-11T09:17:38.804+05:30इसमें हिन्दू-मुस्लिम वाली कोई बात नहीं है.... हिन्...इसमें हिन्दू-मुस्लिम वाली कोई बात नहीं है.... हिन्दू सिविल कोड के मुताबिक भी 15 वर्ष की आयु के विवाह वैध माने गए हैं.... यह फैसला भी परिस्थितियों को देखते हुए ही हुआ होगा... हर बात को धर्म के चश्में से देखने सही नहीं है... और यह कहना भी मैं सही नहीं समझता हूँ कि सब के लिए एक जैसे कानून होने चाहिए.... अगर कोई मामला किसी धर्म से सम्बंधित है तो उसमें सबके लिए एक जैसे कानून कैसे हो सकते हैं?<br /><brShah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-15780892700922789142012-06-10T15:43:22.706+05:302012-06-10T15:43:22.706+05:30सच कहा है आपने ... कई बातें सभी तरह के क़ानून में ...सच कहा है आपने ... कई बातें सभी तरह के क़ानून में एक सी होनि चाहियें ... आखित कार इंसान तो एक ही है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-81776946118418032572012-06-10T13:34:39.837+05:302012-06-10T13:34:39.837+05:30विश्व आगे बढ़ रहा है और भारत पीछे ...यही कहा जा सकत...विश्व आगे बढ़ रहा है और भारत पीछे ...यही कहा जा सकता हैCoralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-42051005728370089782012-06-09T19:43:52.207+05:302012-06-09T19:43:52.207+05:30भले ही कोर्ट ने १५ वर्ष की उम्र को विवाह के लिए पर...भले ही कोर्ट ने १५ वर्ष की उम्र को विवाह के लिए पर्याप्त मान लिया हो लेकिन ये फैसला आपको करना है कि आप विवाह के लिए उचित अवस्था क्या मानते हैं...........सही कहा हैं आपने .....शादी करने से भी जरुरी पहले खुद को विकसित करना होता हैं ...शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को समृद्ध करने के बाद ही ...शादी का निर्णय सार्थक रहता हैं .........बहुत बढिया लेखAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-13430886441573202482012-06-09T16:31:24.670+05:302012-06-09T16:31:24.670+05:30शादी की षी उम्र तो मानसिक और शारीरिक विकास और सोच ...शादी की षी उम्र तो मानसिक और शारीरिक विकास और सोच के सही ढंग पर निर्भर करती है |जब अपना भला बुरा समझने की शक्ति विकसित हो जाए तभी शादी की सोचना चाहिये |लेख बहुत अच्छा है |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-9382513258653625572012-06-09T12:35:23.454+05:302012-06-09T12:35:23.454+05:30पता नहीं पर विश्व में माफ न करने वालों की संख्या क...पता नहीं पर विश्व में माफ न करने वालों की संख्या कहीं अधिक है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-18562268255702460642012-06-09T10:35:18.091+05:302012-06-09T10:35:18.091+05:30बहुत ही ज्वलंत विषय उठाया है आपने ..खेलने कूदने की...बहुत ही ज्वलंत विषय उठाया है आपने ..खेलने कूदने की उम्र में शादी कहाँ की समझदारी हैVIJAY KUMAR VERMAhttps://www.blogger.com/profile/06898153601484427791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-66236702132342455692012-06-09T09:04:22.388+05:302012-06-09T09:04:22.388+05:30बिलकुल सही कहा है, ये पढने-लिखने और खेलने कूदने की...बिलकुल सही कहा है, ये पढने-लिखने और खेलने कूदने की उम्र होती है शादी करके जिम्मेदारी उठाने की नहीं, कानून भी चला है छीनने बचपन को इन मासूमों से. माता-पिता को सोचना चाहिए क्या उनकी नन्ही सी बिटिया तैयार है इसके लिए....?संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.com