tag:blogger.com,1999:blog-71042331508239786702024-03-09T00:42:44.823+05:30खामोश दिल की सुगबुगाहट...Shekhar Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comBlogger25413tag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-88679945848307551832024-01-25T11:44:00.001+05:302024-01-25T11:44:22.003+05:30मैं इश्क़ लिखता हूँ, तो तेरी याद आती है...
मैं इन दिनों
सादे खत लिखता हूँ,
शब्द जैसे इस रूखी धूप में
सूख से जाते हैं...
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देखा है तुमने कभी
मार्च की हवाओं का गुलदस्ता,
भरी है कभी पिचकारी में
मेरी साँसों की नमी...
कहो तो इस नमी में भिगो के लिए आऊं
तुम्हारे लिए कई सारे छोटे-छोटे चाँद....
****************
मैं दोषी हूँ उन शब्दों का,
जिन्हें मैंने पेन्सिल से लिखा
और मिटा दिया
नटराज के इरेजर से...
****************Shekhar Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-5087253327868082842024-01-02T23:37:00.001+05:302024-01-02T23:37:21.013+05:30सुकून...लड़ाई लंबी थी, लेकिन अब वो दोनों हार चुके थे... शायद हताशा थी या अकेले रहने का डर, विकास ने नये रास्ते की तरफ़ रुख़ कर लिया. एक पल में जैसे सब कुछ बिखर गया था, उसे अब किसी बात पर जैसे हंसी आती ही नहीं थी, बस एक ढोंग करता गया पूरी दुनिया के सामने... एक बार फ़ोन तक नहीं किया, इतना पत्थर बन गया जैसे खुद को बचा रहा हो... अंशु ने नई मंज़िल चुनने से पहले कहा कि उसे बस अब सुकून Shekhar Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7104233150823978670.post-13988431301352782292023-07-19T11:09:00.000+05:302023-07-19T11:09:59.942+05:30कुछ टुकड़ों का ताना-बाना...पतझड़ का मौसम है, और पिछले कई सालों की तरह इस बार भी मेरे लफ्ज़ लाल होकर दरख्तों पर लटके पड़े हैं, जो इक बार तुम्हारे आने की आहट का संदेसा ये हवाएं ले आएं तो सारे-के-सारे हर्फ़ नज़्म बनकर तुम्हारे क़दमों से लिपट जाएँ, पर अब न ऐसा मुमकिन है और न ही मेरा ऐसा कोई ख्वाब... मुझे जीवन से बहुत कुछ कहना है, समझ नहीं आता किस रूप में कहूँ, मैं उदास साउंड नहीं करना चाहता... मैं थैंकफुल होना चाहता हूँ..Shekhar Sumanhttp://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.com