Thursday, April 19, 2012

इन लव विद गुलमोहर...

गुलमोहर तुम तब भी थे न,
जब जाता था मैं
माँ का आँचल पकडे
यूँ उन पक्की सड़कों पर
अपने स्कूल की तरफ 
और देखता रहता था तुम्हें
अपनी नन्हीं अचरज भरी आखों से...  

हर महीने के
मेरे इंतज़ार से बेखबर
आते थे केवल अप्रैल-मई में ही
और रंग देते थे सड़कों की छत
अपने इस लाल-केसरिये रंग से...

तुम तब भी थे न
जब धीमी धीमी बारिश में
तुम्हारे पेड़ के नीचे
छिप जाते थे हम
और तुम गिरा देते थे प्यार से
अपने फूलों का एक गुच्छा...

जाने तुमसे ऐसा कौन सा रिश्ता है,
बचपन से ही हर बार
अपनी अधखिली कलियाँ
मुझे दे जाते हो...
लेकिन मुझे एक बात बताओ
क्या तुम्हें वसंत और सावन 
कुछ भी पसंद नहीं 
जो इस सूरज की तेज़ गर्मी में आते हो....

कितनी ही बार महसूस 
किया है मैंने
हमेशा से ही आते हो
जब होता हूँ मुश्किलों में,
और जो हो जाते हो संग मेरे
बिखरते हुए मेरे अस्तित्व को
अजीब सा सुकून दे जाते हो...

कुछ तो कशिश है तुझमे
जो यूँ खिचा चला आता हूँ,
अपने प्यार की ये 
मनोहर कहानियाँ 
तुझसे बस तुझसे
बांटने लाता हूँ...

इन लाल-हरे फूल-पन्नों के बीच
रूप तुम्हारा गज़ब का
निखरता है,
इन दिनों मुझे आने वाले सपनो में
बस और बस
गुलमोहर बिखरता है..... 

17 comments:

  1. वाह.............

    बहुत सुंदर...

    गुलमोहर मुझे भी बहुत आकर्षित करता है....
    कभी लिखा था मैंने......
    "मेरे घर के द्वार पर लगे गुलमोहर की फूलों से लदी डाली- मानों कोई नव वधु गृह प्रवेश कर रही हो..."
    :-)
    अनु

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  2. गुलमुहर के फूलों से बचपन से लेकर अब तक की बातचीत और अंत में अपने प्यार से जोड़ना.. बहुत सुन्दर!!

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  3. " लू उगलती धूप में भी फूल का सेहरा लिए
    मुस्कुरा के भर नजर इस गुलमुहर को देखिए"

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  4. bahut khoob bahut acha likha hai .... aaj gulmohar ka phool todte samay aisa khayal aya tha kya ...

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  5. लेकिन मुझे एक बात बताओ
    क्या तुम्हें वसंत और सावन
    कुछ भी पसंद नहीं
    जो इस सूरज की तेज़ गर्मी में आते हो....
    wah.....adbhud soch hai aapki.....

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  6. सूरज की तेज झुलसा देने वाली गर्मी में सुकून देने जो आता है गुलमोहर !
    अच्छी कविता !

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  7. यह रूप मुग्ध कर जाता है, गुलमोहर का..

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  8. गुलमोहर पर भावमय करती अभिव्‍यक्ति ।

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  9. :)
    Hmmm isi ka wait kar rahe the hum :)
    Loved it boy :)

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  10. क्या तुम्हें वसंत और सावन
    कुछ भी पसंद नहीं
    जो इस सूरज की तेज़ गर्मी में आते हो....

    मैं भी गर्मी में ही उससे मिलने जाया करता था !! कुछ पुराने टाँके खोल दिए दोस्त...
    ख़ूब लिखा है

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  11. इन लाल-हरे फूल-पन्नों के बीच
    रूप तुम्हारा गज़ब का
    निखरता है,
    इन दिनों मुझे आने वाले सपनो में
    बस और बस
    गुलमोहर बिखरता है.....

    वाह वाह बहुत सुंदर रचना.

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  12. बढ़िया लिखे हो शेखू!!!

    तुम लोग भी ना, पता नहीं क्या क्या याद दिला के ऑफिस में काम नहीं करने देते हो !!!!

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