
कभी छुड़ाते दामन कभी बे हौसला करते
बेवफा कहती है हमें तो कह ले दुनिया,
वफा का तलबगार होके भी हम क्या करते,
सीने से मुझे लगा के भी जो तू इतना रोती थी
तो अलविदा कहते नहीं तो और क्या करते,
मिजाज मेरा तेरी मुफ़लिसी पे आ गया था
पर जब हम खुद ही अधूरे थे तो क्या करते
इंतज़ार करने को तेरा हम तैयार थे ताउम्र
तूने रास्ता ही बदल लिया तो हम क्या करते
एक आँसू देखकर जब दिल बुझ सा जाता था
उन आँखों में समंदर देखते तो हम क्या करते...