Thursday, July 31, 2025

जो पन्नों पर नहीं लिखा गया...

कुछ चुप्पियाँ
इतनी घनी होती हैं
कि उन्हें पढ़ने के लिए
शब्दों को भी
कहीं और से आना पड़ता है..

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मैंने अपनी सबसे सुन्दर कविता
तुमसे नहीं कही —

ताकि तुम मेरे साथ रहो हमेशा
मेरा बेस्ट सुनने के लिए ... 

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हर बार जब मैं
तुम्हारे नाम की आख़िरी मात्रा पर रुकता हूँ —
एक नज़्म वहीं से
उदास होकर लौट जाती है...

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वो जो एक चाय का कप
तुमने अधूरा छोड़ा था,
अब उसमें
मैं अपने दिन की तन्हाई घोलता हूँ...

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इश्क़ अब भी है,
बस वो अब
नज़्मों में नहीं,
दोपहरों की खिड़कियों में
कभी-कभी सूखता मिलता है...

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इंतज़ार एक ऐसी चुप्पी है, जिसे सिर्फ वही सुन सकता है जिसे तुमने कभी अलविदा नहीं कहा...

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मैंने खुद को उस वक़्त सबसे ज्यादा समझा
जब कोई समझने वाला नहीं था...

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जिन शब्दों को किसी ने नहीं पढ़ा, वही मेरी सबसे ईमानदार कविता थी... 

Thursday, July 24, 2025

थोड़ी बातें इश्क़ की करके, थोड़ा -थोड़ा जल लेंगे ...

एक कहानी थी
जो मैं हर शाम सोचता रहा,
पर कभी पूरी नहीं कर पाया,
क्योंकि उसका अंत सिर्फ तुम्हारे पास था... 

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अगर ये आख़िरी जीवन है
तो मेरा इश्क़
तुम्हारे इंतज़ार में
मरणोत्तर हो जाना चाहता है,
शायद कहीं
किसी शब्द के बाद
एक ख़ामोश जन्म और बाकी हो…

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बिछड़ने का सबसे बड़ा डर
मरना नहीं है,
बल्कि यह कि
मर जाने के बाद
कहीं दोबारा मिलने का हक़ ही 
ना मिले…

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अगर फिर मिलते तो
शायद मैं पूछता नहीं
तुम कैसी हो —
बस तुम्हारे कंधे पर
वो बारिश रख देता
जो तब के आंसुओं में छूट गई थी... 

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नादान प्रेम में
"तुमसे बात करनी है"
सबसे बड़ी कविता होती है... 

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सादा प्रेम
कभी नफरत तक नहीं जाता,
वो वहीं रुक जाता है
जहाँ पहली बार
आँखों ने इक़रार 
कर लिया था... 

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हम दोनों ने
कुछ भी नहीं कहा 
फिर भी
सब कुछ कह दिया,
उन दिनों में
जब प्रेम,
सिर्फ़ कर लिया जाता था,
चुपचाप…

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उसकी गलती नहीं थी
कि वो मुझे समझ नहीं पाई,
मैंने भी इश्क़ को
बहुत नादानी से लिखा था —
जैसे पहली बार कोई नज़्म 
लिखी जाती है
बिना सोचे, बिना समझे... 
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