इतनी सारी जगहें, इतने देश घूमने के दरम्यान इतना तो मुझे समझ आया कि तुमसे अच्छा ट्रेवल पार्टनर कोई नहीं है.. पता नहीं शायद तुम्हारे लिए कोई और भी हो, पर ऐसा कोई नहीं जिसके साथ मैं इतना आज़ाद होता हूँ, इन सारी ट्रिप में वायनाड ही है जिसमे सबसे ज्यादा मज़ा आया...
मुझे याद है तुमने लद्दाख ट्रिप के वक़्त कहा था कि अगर मैं होता तो तुम्हें मज़े करने नहीं देता, हो सकता है किसी हद तक ये बात सच हो लेकिन यकीन मानो अगर मैं होता तो वो ट्रिप हम दोनों का ही सबसे यादगार ट्रिप होता... लेकिन इस अगर-मगर ने बहुत कुछ अधूरा छोड़ दिया मेरे अन्दर...
अभी तो मेरे हिस्से बस एक काश ! ही रह गया है... न जाने कितने काश हैं जो कचोटते हैं, मन उदास होता है फिर लगता है कि क्या पता फिर मौका मिले...
मैं सबसे बेसिक बात ही भूल गया था इन सालों में कि क्या पता कल हो न हो...
पूरी दुनिया घूमनी है बस तुम्हारे साथ, तुम्हें सच में बहुत मिस करता हूँ... जब किसी नई जगह जाओ तो तुम जिस तरह कहती हो न "Wow...!" बस वही हर वक़्त सुनाई देता है मुझे... अरसा हो गया ऐसा कुछ सुने हुए, इन सब बातों को मैं बस यादों में तब्दील नहीं कर सकता, ये तो मेरा हकीकत थी, हमारी ख़ुशी का जरिया...