वो एक बेचैन सी सुबह थी, आस पास लोगों की भीड़... कई सारे अपने से चेहरे, जैसे सभी से एक न एक बार मिल चुका हूँ कहीं, बस अपने आप को नहीं देख पा रहा था मैं, फिर देखा तो कोई लेटा हुआ था सफ़ेद कपड़ों में लिपटा, शक्ल कुछ जानी पहचानी सी... आखें अजीब बेजान सी, हलकी हलकी नम, जैसे आंसू की कोई बूँद कैद हो गयी हो पलकों में, जैसे अभी टपक पड़ेंगी... चेहरे पर अजीब सी सफ़ेद हो चुकी मायूसी, जैसे कोई बहता दरिया अचानक से बर्फ हो गया हो... उस ठन्डे हो चुके से शरीर को घेरे कुछ लोगों की आँखों से बेरंग पानी टपक रहा है, कुछ के चेहरे पर सुकून कि चलो अच्छा ही हुआ... ठहाकों की आवाज़ भी सुनी थी मैंने, मेरी मौत पर वो हँसते रहे, वो मेरे सपने थे जो मेरी बेचारगी को घूर रहे थे... उनकी वो नज़र जैसे भेद रही थीं मेरे उस बेजान पड़े शरीर को...
आखिर मेरे ही सपनो ने मुझे मार दिया, सपनो की ये बेरुखी ... आज मिटटी हो चुके मेरे शरीर की अर्थी को अंजाम देने आये हैं... उन्हें खबर है कि इन बेजान सुर्ख पड़ी आखों में आज भी कई सपने तड़प रहे हैं, वो मरे नहीं वो तो बस इंतज़ार कर रहे हैं, मेरे जल जाने का.. शायद ये उन सपनों की अग्निपरीक्षा का वक़्त है, मुझे यकीन है वो जीत जायेंगे.... मेरा शरीर तो कब का मर चुका है, वक़्त के तेज़ हवा के थपेड़े कब का बहा ले गए हैं उसे, इस बेगानी सी दुनिया की तेज़ धूप में जल चुकी है ये आत्मा भी, लेकिन ये आग इन सपनो को जला नहीं सकती... वो सपने तो अज़र हैं, अमर हैं... वो सपने फिर मेरे साथ आयेंगे, आखिर वो सपने ही तो मेरे अपने हैं जो हर रात मेरे चाहते-न चाहते हुए भी हमेशा मेरे साथ रहे.... मेरे हमदम की तरह, मेरे हमसफ़र की तरह... इस बहती ज़िन्दगी के साथ वो भी बहते रहे, बिना रुके बिना थके.... आज उस मनहूस सी बेचैनी के बीच जाने कितनी अतृप्त इच्छाएं शोर मचा रहीं हैं, उस गुमनाम बसंत का इंतज़ार कर रही हैं, जब सपनों का फिर से इन आँखों के अंजुमन में आना होगा...
जाने कब वो अगला जन्म होगा, सपने फिर आयेंगे और मेरे मन में फिर से जलाएंगे धीमे-धीमे खुद को पूरा करने की आग... मुझे यकीन है वो सपने फिर आयेंगे क्यूंकि मौत के साथ सपने नहीं मरते, बस सो जाते हैं थोड़ी देर के लिए क्यूंकि उन्हें फिर से आना होता है लौट कर इन्हीं आखों में ...
आखिर मेरे ही सपनो ने मुझे मार दिया, सपनो की ये बेरुखी ... आज मिटटी हो चुके मेरे शरीर की अर्थी को अंजाम देने आये हैं... उन्हें खबर है कि इन बेजान सुर्ख पड़ी आखों में आज भी कई सपने तड़प रहे हैं, वो मरे नहीं वो तो बस इंतज़ार कर रहे हैं, मेरे जल जाने का.. शायद ये उन सपनों की अग्निपरीक्षा का वक़्त है, मुझे यकीन है वो जीत जायेंगे.... मेरा शरीर तो कब का मर चुका है, वक़्त के तेज़ हवा के थपेड़े कब का बहा ले गए हैं उसे, इस बेगानी सी दुनिया की तेज़ धूप में जल चुकी है ये आत्मा भी, लेकिन ये आग इन सपनो को जला नहीं सकती... वो सपने तो अज़र हैं, अमर हैं... वो सपने फिर मेरे साथ आयेंगे, आखिर वो सपने ही तो मेरे अपने हैं जो हर रात मेरे चाहते-न चाहते हुए भी हमेशा मेरे साथ रहे.... मेरे हमदम की तरह, मेरे हमसफ़र की तरह... इस बहती ज़िन्दगी के साथ वो भी बहते रहे, बिना रुके बिना थके.... आज उस मनहूस सी बेचैनी के बीच जाने कितनी अतृप्त इच्छाएं शोर मचा रहीं हैं, उस गुमनाम बसंत का इंतज़ार कर रही हैं, जब सपनों का फिर से इन आँखों के अंजुमन में आना होगा...
जाने कब वो अगला जन्म होगा, सपने फिर आयेंगे और मेरे मन में फिर से जलाएंगे धीमे-धीमे खुद को पूरा करने की आग... मुझे यकीन है वो सपने फिर आयेंगे क्यूंकि मौत के साथ सपने नहीं मरते, बस सो जाते हैं थोड़ी देर के लिए क्यूंकि उन्हें फिर से आना होता है लौट कर इन्हीं आखों में ...
Bhai tu bahut deep sochne laga hai...i am glad that i have a friend like you with such beautiful thoughts.
ReplyDeleteक्या हो गया है????
ReplyDeleteसही कहा सपने नही मरते।
ReplyDeleteसपने कभी मर ही नहीं सकते ...http://mhare-anubhav.blogspot.com/ समय मिले कभी तो आयेगा मेरी इस पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteअबे क्या हो गया है तुमको... बंगलौर आ के डोज़ देना पड़ेगा लगता है बेट्टा....
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है..गहराई है लेखन में...
ReplyDeleteमगर आपकी उम्र में आपको इतना dark नहीं लिखना चाहिए...
कुछ और रंग दिखाओ अपनी लेखनी का...
शुभकामनाएँ.
अब जैसे विचार मन में आते हैं वैसा लिख देता हूँ, कभी ये सोच के नहीं लिखा कि DARK हो जाएगा... विचार बदलेंगे, विषय बदलेगा....
Deletebahut gehan chintan ............gehre bhav
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteकाश सपनों ने चेताया होता..
ReplyDeleteसावधान रहना।
ReplyDeleteमौत के साथ सपने नहीं मरते, बस सो जाते हैं थोड़ी देर के लिए क्यूंकि उन्हें फिर से आना होता है लौट कर इन्हीं आखों में ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति और गंभीर चिंतन.
बहुत गहन अभिव्यक्ति|
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