फेसबुक आदि पर ये कविता पिछले कई दिनों लगातार शेयर होती रही है, लेकिन इसे लिखनेवाले की कोई पुख्ता पहचान नहीं मिली हालांकि सुधा शुक्ला जी ने ये कविता १९९८ में लिखी थी ऐसा कई जगह उन्होंने कहा है... खैर, जिसने भी लिखी हो इसे अपने ब्लॉग पर अज्ञात नाम से सहेज रहा हूँ... इस कविता की पंक्तियाँ अच्छी लगीं क्यूंकि सही मायने में, मैं भी कथित मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि से सहमत नहीं हूँ ....
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गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
बेटी बोली भाई
किसके जैसा? बाप ने लडियाया
रावण सा, बेटी ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
माँ ने घूरा, गाली देती है !
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला,
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला,
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज,
छाया जैसी साथ निबाहने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा, चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी
और कब तक राम को ही जनोगी,
माँ सिसक रही थी - पिता अवाक था.
-------अज्ञात
सहमत हूँ इस कविता और तुम्हारी भावनाओं से ...
ReplyDeletehmmm
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसेंसेशनल
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन गुड ईवनिंग लीजिये पेश है आज शाम की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधारणाएँ बदल रही है. सब अवाक है
ReplyDeleteरोचक अत्यंत रोचक भावनाएं | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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बेहद जरूरी है रावण जैसा भाई होना....
ReplyDeleteरोचक कविता प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteनये लेख : विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day)
"चाय" - आज से हमारे देश का राष्ट्रीय पेय।
रोचक है, सुविधाओं की मर्यादा भला किसे रोचक न लगेगी।
ReplyDeleteमैंने भी पहले पढ़ी थी ये कविता कहीं… ग़ज़ब की बात कही है… सहमत!
ReplyDeleteआज कल कि व्यवस्था में ऐसे विचार आना लाज़मी है
ReplyDeleteक्योंकि लड़की हूँ मैं
सोच में आमूल परिवर्तन वो भो धनात्मक ,देखकर ख़ुशी हुई. समाज में परिवर्तन की आवश्यकता है.
ReplyDeletelatest post तुम अनन्त
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteये पौराणिक प्रतिमान बदलने के लिए इस युग के नए एपिक लिखे जाने जरुरी हैं. बहुत अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeletegun raavan me bhee dhoondh liye logon ne ...sonia aur digvijay kya bure hain
ReplyDeleterochak..... aur vartmaan samay me ek dum prasangik lagti hai.......
ReplyDeleteBahut Khub...
ReplyDeletevaaha kyaa vichaara hai! kabhi hamaare blog Unwarat.com pr aaiye va apne vichaara vyakt kijiye.
ReplyDeleteVinnie,