Thursday, April 18, 2013

मुझे रावण जैसा भाई चाहिए ...

फेसबुक आदि पर ये कविता पिछले कई दिनों लगातार शेयर होती रही है, लेकिन इसे लिखनेवाले की कोई पुख्ता पहचान नहीं मिली हालांकि सुधा शुक्ला जी ने ये कविता १९९८ में लिखी थी ऐसा कई जगह उन्होंने कहा है... खैर, जिसने भी लिखी हो इसे अपने ब्लॉग पर अज्ञात नाम से सहेज रहा हूँ... इस कविता की पंक्तियाँ अच्छी लगीं क्यूंकि सही मायने में, मैं भी कथित मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि से सहमत नहीं हूँ ....

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गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई
बेटी बोली भाई
किसके जैसा? बाप ने लडियाया
रावण सा, बेटी ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
माँ ने घूरा, गाली देती है !
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला,
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला,
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज,
छाया जैसी साथ निबाहने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई 
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा, चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी
और कब तक राम को ही जनोगी,
माँ सिसक रही थी - पिता अवाक था.
-------अज्ञात 

19 comments:

  1. सहमत हूँ इस कविता और तुम्हारी भावनाओं से ...

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  2. आज की ब्लॉग बुलेटिन गुड ईवनिंग लीजिये पेश है आज शाम की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. धारणाएँ बदल रही है. सब अवाक है

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  4. रोचक अत्यंत रोचक भावनाएं | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  5. बेहद जरूरी है रावण जैसा भाई होना....

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  6. रोचक है, सुविधाओं की मर्यादा भला किसे रोचक न लगेगी।

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  7. मैंने भी पहले पढ़ी थी ये कविता कहीं… ग़ज़ब की बात कही है… सहमत!

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  8. आज कल कि व्यवस्था में ऐसे विचार आना लाज़मी है
    क्योंकि लड़की हूँ मैं

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  9. सोच में आमूल परिवर्तन वो भो धनात्मक ,देखकर ख़ुशी हुई. समाज में परिवर्तन की आवश्यकता है.
    latest post तुम अनन्त

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  10. ये पौराणिक प्रतिमान बदलने के लिए इस युग के नए एपिक लिखे जाने जरुरी हैं. बहुत अच्छी प्रस्तुति.

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  11. gun raavan me bhee dhoondh liye logon ne ...sonia aur digvijay kya bure hain

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  12. rochak..... aur vartmaan samay me ek dum prasangik lagti hai.......

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  13. vaaha kyaa vichaara hai! kabhi hamaare blog Unwarat.com pr aaiye va apne vichaara vyakt kijiye.
    Vinnie,

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