बैंग्लोर की ये सर्द सी शाम दिल में अजीब सी चुभन पैदा कर रही है जबकि पता है मैं कितना भी चाहूँ इसे जलाकर राख़ नहीं कर सकता... तुम्हारी प्राथमिकताओं के साथ जीना मुश्किल हो रहा है मेरे लिए... ऐसा लगता है मैंने खुद ही अपना कातिल चुन लिया है... जिस चीज से मुझे सबसे ज्यादा नफरत थी, वो बात मेरे साथ बहुत दूर तक चलती नज़र आ रही है...
ध्यान रखना जो बहुत मुश्किल से मिलता है उसके टूटने की आवाज़ भी उतनी ही गहरी उतरती है...
कभी कभी बड़ी शिद्दत से वक़्त को पीछे धकेलने की तलब होती है, ठीक वैसे ही जैसे किसी चेन स्मोकर को सुबह सुबह सिगरेट की लगती होगी... अचानक से आज बोझ लगने लगता है, बासी से बीत गए उस कल को एक कश में अपने अंदर खींच लेने का दिल कर रहा है... उन सुर्ख पड़ी बातों का जुर्म बस इतना था कि वो अब बीत गयी हैं और दोबारा नहीं आ सकतीं... पुराना वक़्त बाहर बारिश में भीग रहा है...
ध्यान रखना जो बहुत मुश्किल से मिलता है उसके टूटने की आवाज़ भी उतनी ही गहरी उतरती है...
कभी कभी बड़ी शिद्दत से वक़्त को पीछे धकेलने की तलब होती है, ठीक वैसे ही जैसे किसी चेन स्मोकर को सुबह सुबह सिगरेट की लगती होगी... अचानक से आज बोझ लगने लगता है, बासी से बीत गए उस कल को एक कश में अपने अंदर खींच लेने का दिल कर रहा है... उन सुर्ख पड़ी बातों का जुर्म बस इतना था कि वो अब बीत गयी हैं और दोबारा नहीं आ सकतीं... पुराना वक़्त बाहर बारिश में भीग रहा है...
इंतज़ार की सतह इतनी खुरदुरी होती है कि उस पर औंधे मूंह गिरने का दर्द बयान नहीं कर सकते... सरप्राईजेज़ तो बहुत दूर की बात है अब तो जैसा सोचता हूँ वैसा भी नहीं होता...