Sunday, February 5, 2023

स्टैक में फँसे ख़्याल…

कभी लगता है तुम्हें बहुत ज़ोर से आवाज़ लगाऊँ, लेकिन कहते हैं कि मन से याद भी करो तो आवाज़ पहुँच जाती है तुम तो परेशान हो जाती होगी न मेरी इन आवाज़ों से, सोचती होगी अगर इतनी आवाज़ें पहले लगाई होती तो शायद आज ये नौबत भी नहीं आती… 

सबसे कठिन वक़्त वो है जब कुछ कहने का दिल करे और सुनने वाला कोई ना हो, जब कुछ लिखो और पढ़ने वाली आँखें कहीं और खो गयी हों… 

ऐसा नहीं है कि ऐसा लम्हा आया नहीं कभी, पर जाने कैसे ये मन अकेले इतने सारे बवंडर को अपने अंदर समेट ले गया… एक, सिर्फ़ एक इंसान भी उस वक़्त मिला होता तो शायद आज इतना भारी भारी सा नहीं लगता सब कुछ… 

तुम कहती हो कुछ नया लिखो, नयी ज़िंदगी के बारे में लिखो लेकिन ये जो इतना पुराना लिखने को बचा है उसका क्या करूँ… एक स्टैक में जैसे फँस के रह गए हैं मेरे ख़याल, जब तक पुराने ख़याल नहीं निकलेंगे, नया कुछ लिख नहीं पाऊँगा… 

और अगर जो पुराना लिखने बैठ गया तो पढ़ते पढ़ते ये सारा जन्म ख़त्म हो जाएगा… 

तो रहने देते हैं, इस क़िस्से को… ये फ़साना समझो कि बह गया… जब बिना रोए पढ़ सकने की हिम्मत आ जाए तो बता देना, पुराना कुछ पढ़ाऊँगा तुम्हें, इतना पुराना जितने पुराने अब वो टूटे ख़्वाब हैं मेरे… 


Do you love it? chat with me on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...