कोई शहर बदलता नहीं बस उसे देखने का नजरिया बदलता जाता है, पिछले दिनों जब
अपने शहर कटिहार में था तो कई सालों बाद उस शहर को उसी मासूम नज़रों से
देखा... कहते हैं न आप किसी शहर के नहीं होते वो शहर आपका हो जाता है... वो
शहर जहाँ मेरा लड़कपन आज भी उतना ही मासूम है... कुछ भी नहीं बदला था... बस
कुछ लोग लापता हो गए, कुछ उस शहर से और कुछ मेरी ज़िन्दगी से..
बीते कितने ही वक़्त से मेरे मन में कई तरह के ख्याल बिना अल्फाजों के उमड़ रहे हैं, न जाने क्यूँ वो शब्द न ही जुबान पे आ रहे हैं और न ही उँगलियों पे... ह्रदय के अन्दर भावनाओं का स्तर खतरे के निशान के करीब पहुँच चुका है... ऐसा न हो कि कभी ये आखों का बाँध तोड़कर छलक ही पड़े किसी दिन...
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कभी-कभी
लम्बी चुप्पी, एक आदत में तब्दील हो जाती है... किसी से कुछ कहना या फिर
डायरियों के पन्नों पे अपनी तन्हाई घसीटना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है... बीते कितने ही वक़्त से मेरे मन में कई तरह के ख्याल बिना अल्फाजों के उमड़ रहे हैं, न जाने क्यूँ वो शब्द न ही जुबान पे आ रहे हैं और न ही उँगलियों पे... ह्रदय के अन्दर भावनाओं का स्तर खतरे के निशान के करीब पहुँच चुका है... ऐसा न हो कि कभी ये आखों का बाँध तोड़कर छलक ही पड़े किसी दिन...
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मैं खुद के लिए अजनबी हो जाना चाहता हूँ, मुझे ऐसा लगता है ऐसा कर लेने से शायद खुद के सवालों और डर से परे हो जाऊँगा... लेकिन खुद से ही खुद की पहचान छुपा लेना, खुद के अन्दर शून्य निर्माण कर लेने के सामान है... ऐसे किसी ठीहे की तलाश में छत पे खड़े आसमान को निहारता रहता हूँ....
"मैं खुद के लिए अजनबी हो जाना चाहता हूँ, मुझे ऐसा लगता है ऐसा कर लेने से शायद खुद के सवालों और डर से परे हो जाऊँगा... लेकिन खुद से ही खुद की पहचान छुपा लेना, खुद के अन्दर शून्य निर्माण कर लेने के सामान है..."
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सुन्दर चिंतन
कुछ कहते रहने से स्वयं को ही अपने आप को स्पष्ट करने में आसानी होती है...
ReplyDeleteकहते रहना चाहिए... कुछ न हो लिखने को फिर भी लिखते रहना चाहिए!
छलक पड़ने दो.....भीग जाने दो डायरियों को.....पीर का बहना अच्छा...
ReplyDeleteअनु
दिल में रखी बातो का बाहर निकल जाना ही अच्छा. बस कलम उठाइये और लिख डालिए..
ReplyDeleteबाहर की सूखी त्वचा के अन्दर एक नम मन धड़कता है।
ReplyDeleteशेखर भईया |बिलकुल फिलोसफर के अंदाज में बड़ी गहन बातें आपने कह दी हैं |आप मेरे सर्वाधिक पसंदीदा लेखकों में से एक हैं ,हमेशा से ..जागरण जक्सन से आपको पढ़ते पढ़ते अब ब्लोगर तक आ पहुंचा |डॉ अजय
ReplyDeleteआज 08/008/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत खूब जी
ReplyDeleteआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 6 अगस्त से 10 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
ReplyDeleteकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा