उस लम्हें में,
रात का स्याह रंग बदल रहा था
तुम्हें याद तो होगा न
चांदनी मेरा हाथ थामे
सो रही थी गहरी नींद में,
और रौशन कर रही थी
मेरे दिल का हर एक कोना...
**********
वो दिन भी याद है मुझे,
जब कभी चुपके से
तुम मुझे टुकुर-टुकुर
ताक लिया करती थी,
जैसे मेरे वजूद की चादर हटाकर
ढूंढ रही हो
कोई जाना-पहचाना सा चेहरा,
तुम लाख मना करो
पर तुम्हें था तो इंतज़ार जरूर किसी का
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब चुपके से तुम मुझे
टुकुर-टुकुर ताक लिया करती थी...
**********
कभी-कभी
खो जाता हूँ ,
मैं अपने स्वयं से बाहर निकलकर
और देखता रहता हूँ
तुम्हें,
चुपचाप...
रात का स्याह रंग बदल रहा था
तुम्हें याद तो होगा न
चांदनी मेरा हाथ थामे
सो रही थी गहरी नींद में,
और रौशन कर रही थी
मेरे दिल का हर एक कोना...
**********
वो दिन भी याद है मुझे,
जब कभी चुपके से
तुम मुझे टुकुर-टुकुर
ताक लिया करती थी,
जैसे मेरे वजूद की चादर हटाकर
ढूंढ रही हो
कोई जाना-पहचाना सा चेहरा,
तुम लाख मना करो
पर तुम्हें था तो इंतज़ार जरूर किसी का
क्यूंकि वो दिन याद है मुझे
जब चुपके से तुम मुझे
टुकुर-टुकुर ताक लिया करती थी...
**********
कभी-कभी
खो जाता हूँ ,
मैं अपने स्वयं से बाहर निकलकर
और देखता रहता हूँ
तुम्हें,
चुपचाप...
:) bas smile karne ka mann karta h ye padh kar :)
ReplyDeletemera bhi.. :-)
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteकभी-कभी
ReplyDeleteखो जाता हूँ ,
मैं अपने स्वयं से बाहर निकलकर
और देखता रहता हूँ
तुम्हें,
चुपचाप...
प्रेम में वजूद परस्पर मिलकर एक हो जाता है
बहुत खूब !
बहुत प्यारी, बहुत खुबसूरत :)
ReplyDeleteसबके मन की कहती चिप्पियाँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDelete:-)
कल 25/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
अस्तित्व को चांदनी का साथ मिला तो समझो प्रेम पक्का है।
ReplyDeleteYe bhi ab tum karoge....!!! Ham kya karenge ab..??? Lekh likho tum, aisi killer nazmein is taraf courier kar do ;)
ReplyDeletebeautiful.........
ReplyDeleteanu
वाह, बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत :)
ReplyDeleteचंद पोस्टों तक जाती एक गली , जिसमें हमने आपका एक ठिकाना भी सहेज़ लिया है , और उसके साथ एक मुस्कुराहट के लिए चंद शब्द जोड दिए हैं , आइए मिलिए उनसे और दोस्तों के अन्य पोस्टों से , आज की ब्लॉग बुलेटिन पर
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