चश्मा उतारता हूं
धुंधली हो जाती है दुनिया
ऐसा लगता है
बारूदी धुएँ से अटा पड़ा है सब कुछ
चीज़ें साफ़ नज़र नहीं आतीं
जैसे अभी-अभी हुआ है विस्फोट
क्षत-विक्षत लाशें चलती हुईं दिखती हैं
स्त्रियों-बच्चों के भय से स्वर मिलाकर
जो कहना चाहता हूं अटक जाता है गले में ही
बेरहम तंत्र
मेरे सामने जो नोट फेंक जाता है
उसमें से बाहर निकलकर आता है
एक बूढ़ा क्रांतिकारी
झुककर देता है मुझे मेरा चश्मा
कहता है
`सत्यमेव जयते को फिर से पढ़ो और नया कुछ गढ़ो´ ।
धुंधली हो जाती है दुनिया
ऐसा लगता है
बारूदी धुएँ से अटा पड़ा है सब कुछ
चीज़ें साफ़ नज़र नहीं आतीं
जैसे अभी-अभी हुआ है विस्फोट
क्षत-विक्षत लाशें चलती हुईं दिखती हैं
स्त्रियों-बच्चों के भय से स्वर मिलाकर
जो कहना चाहता हूं अटक जाता है गले में ही
बेरहम तंत्र
मेरे सामने जो नोट फेंक जाता है
उसमें से बाहर निकलकर आता है
एक बूढ़ा क्रांतिकारी
झुककर देता है मुझे मेरा चश्मा
कहता है
`सत्यमेव जयते को फिर से पढ़ो और नया कुछ गढ़ो´ ।
.....रचनाकार
राग तेलंग..
साथ में एक ख़ूबसूरत सी प्रार्थना, आप भी सुनिए...
दिल को छू गई आपकी रचना, और गीत के तो क्या कहने ।
ReplyDeletedil ke kareeb hai yah gajab ka ahsas .badhai
ReplyDeleteshare karane ke liye aabhar
ReplyDeleteबढियां...आतंक के साये में....
ReplyDeleteवाह क्या तरीका है...इज्जत दे के इज्जत बचाने का....
शर्म की बात है... हमारे कानून इस बात पे ध्यान नहीं देते .... और एक वक़्त के बाद पीडिता खुद ..किसी को पीड़ित करने लगती है....
शायद... होता हो ऐसा लेकिन जीने का जज्बा देखिये .... फिर भी जिए जाते हैं यहाँ...
राग भाई, मन को छू गये आपके भाव।
ReplyDelete---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
उसमें से बाहर निकलकर आता है
ReplyDeleteएक बूढ़ा क्रांतिकारी
झुककर देता है मुझे मेरा चश्मा
kya baat hai....kya khoob dhoondkar laaye ho....bohot bohot hi kamaal ki kavita hai....kya kahoon, i hav no words...its amazing!!!
मन को छू गये आपके भाव। धन्यवाद|
ReplyDeleteपिछले दिनों राग जी को आमने-सामने रायपुर में सुनने का अवसर मिला. इस कवि की ईमानदार संवेदना और उसकी साफ-साफ अभिव्यक्ति प्रभावित करती है.
ReplyDeleteजय हो !
ReplyDeletebahut achhi prastuti
ReplyDeleteदिल को छू गई आपकी रचना.
ReplyDeleteदिल है कि धडकने का सबब भूल गया है
ReplyDeleteजीने का सलीका और अदब भूल गया है ।
bahut sundar rachna
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22- 02- 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
प्रार्थना नहीं सुन पाया ,लेकिन कविता के भाव बहुत असर कर गये
ReplyDelete`सत्यमेव जयते को फिर से पढ़ो और नया कुछ गढ़ो´
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.
marmik abhivyakti...maan ko chu gayi........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना..
ReplyDeletesatikk shabd.......
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