अपने देश से हर किसी को प्यार होता है... पर भारत के लोगों का प्यार थोड़ा अलग है, उन्हें साफ-सुथरा देश चाहिए लेकिन सफाई नहीं करना चाहते, रिश्वत से उन्हें सख्त नफरत है लेकिन कुछ रुपये देकर काम बन रहा हो तो ज़रा भी पीछे नहीं हटते, बचपन में जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा पर निबंध किसने नहीं लिखे होंगे लेकिन पूरी ज़िंदगी इन सब चीजों के सहारे ही निकालते हैं... एक दूसरे को प्रेम करना सिखाते हैं(बस सिखाते हैं) लेकिन प्रेम विवाह का नाम आते ही बिना जाने-समझे पहला जवाब ना ही होता है, कुछ बेहतरीन जगहों पर तो प्रेमी जोड़े को इस दुनिया से ही मोक्ष दे दिया जाता है... पूजा में कुंवारी कन्यायों को देवी बनाकर पूजा करते हैं फिर उनका ही खुले आम शोषण भी करते हैं... बच्चों को सिगरेट न पीने की सलाह देते हैं लेकिन खुद छुपकर चैन स्मोकर कहलाने में कूल महसूस करते हैं...
अपने भातीय समाज का ये दोहरी चादर वाला प्यार देखकर मन परेशान हो चुका है, अब तो यहाँ से जड़ें जुड़ गयी हैं मेरी भी, चाहकर भी उड़ान नहीं भर सकता... यहाँ लोग अलग अलग तरीके से अपने भारतीय होने पर गर्व करते हैं, पर मुझे आज कल दुख ज्यादा होता है इस बात का...
मैंने अपनी मर्ज़ी से एक निर्णय लिया और न जाने कितने रिश्ते पल भर में बदल से गए, मेरे भी और उसके भी... समझ नहीं आता कहाँ जाकर अपनी खुशियों की दुहाई माँगूँ... मैं कमजोर नहीं पड़ रहा लेकिन इन बेफिजूल की बातों में हिम्मत दिखाने से खुद को भी चोट लगती है...
मैंने अपनी मर्ज़ी से एक निर्णय लिया और न जाने कितने रिश्ते पल भर में बदल से गए, मेरे भी और उसके भी... समझ नहीं आता कहाँ जाकर अपनी खुशियों की दुहाई माँगूँ... मैं कमजोर नहीं पड़ रहा लेकिन इन बेफिजूल की बातों में हिम्मत दिखाने से खुद को भी चोट लगती है...
इतनी बात तो पक्की है अगली बार भारत में तो जन्म नहीं लेना चाहता, ऐसी किसी भी जगह नहीं जहां इंसान अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी के फैसले न ले सके, उसके लिए उसे समाज की इजाजत लेनी पड़े... आपको ऐसा देश मुबारक, उसपर गर्व करते रहिए....