Wednesday, July 22, 2015

खरोंच...

ज़िंदगी एक मिथ्या है,
ज़िंदगी में खुश रहना एक मृगतृष्णा...
खुशियाँ चिराग है एक रोशनी का,
और उसके ठीक नीचे छुपा है गमों का अंधेरा...

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तुम्हारी आखें एक झूला है,
जिसमे मैं ज़ोर ज़ोर से उड़ान भरता हूँ,
पर तुम्हारे हर एक आँसू के साथ
पलट कर ज़मीन पर गिर जाता हूँ...

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ये तन्हाई की खरोंच
दिल तक बहुत ज़ोर से छिलती है,
इस चुभन को निहारते हुये
क्या मैं रो सकता हूँ सुकून से दो पल के लिए...
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