बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत इतनी कि
सड़क पर अपनी गाड़ी की
हलकी सी खरोंच पर भी
हो जाएँ मरने-मारने पर अमादा,
और मोहब्बत इतनी भी नहीं कि
अपने माँ-बाप को लगा सकें
अपने सीने से
और कह सकें शुक्रिया...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
मोहब्बत सिगरेट की फ़िल्टर सी है,
नफरत का सारा धुंआ खुद से होकर गुजारती है
सारी नफरत ले चुकने के बाद
हम उस मोहब्बत को ही फेक देते हैं
और कुचल देते हैं
अपनी जूतों की हील से
और नफरत !!
वो तो समा चुकी है हमारे सीने में टार बनके...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत से कहीं धीमी...
नफरत इतनी कि
सड़क पर अपनी गाड़ी की
हलकी सी खरोंच पर भी
हो जाएँ मरने-मारने पर अमादा,
और मोहब्बत इतनी भी नहीं कि
अपने माँ-बाप को लगा सकें
अपने सीने से
और कह सकें शुक्रिया...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
मोहब्बत सिगरेट की फ़िल्टर सी है,
नफरत का सारा धुंआ खुद से होकर गुजारती है
सारी नफरत ले चुकने के बाद
हम उस मोहब्बत को ही फेक देते हैं
और कुचल देते हैं
अपनी जूतों की हील से
और नफरत !!
वो तो समा चुकी है हमारे सीने में टार बनके...
बहुत धीमी बहती है मोहब्बत लोगों की रगों में,
नफरत से कहीं धीमी...
Bhut hi acchi lines...sachai hai iss Kavita mai
ReplyDeleteवाह शब्दों के जादूगर
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नए दौर की गुलामी “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDelete