Monday, July 20, 2020

बैठे-ठाले...

"बेहतर ज़िन्दगी क्या है.... "
"जो हम जी रहे हैं वही सबसे बेहतर है... "
"तो क्या हमें संतुष्ट हो जाना चाहिए ??"
"नहीं, हमें इसे बेहतर बनाना है, लेकिन अगर मुश्किल आये तो इसका मतलब ये नहीं कि उदास होकर बैठ जाएँ..."
"लोगों को मूड स्विंग क्यों होते हैं, और उसे क्यों नहीं होता था...."
"हर इंसान अलग होता है, कुछ लोगों को हर ३ दिन में हो जाता है और किसी को 7 साल में एक बार भी नहीं... "
"हम्म्म, पता है दिक्कत क्या है... दिक्कत ये है कि ये मूड स्विंग की ढाल लेकर हम उन लोगों को हर्ट कर देते हैं, जिनसे बात करके मूड सही होना चाहिए... "
"कुछ इंसान कितने अजीब होते हैं न, ज़िन्दगी का क्या दुःख नहीं देखा उसने, पर एक अजीब सा सुकून रहता है उसके चेहरे पर... एकदम शांत, एकदम निर्मल... कोई शिकायत नहीं, कोई उदासी नहीं, जैसे ज़िन्दगी को उसी तरह जीना जैसे-जैसे ज़िन्दगी के सफ़हे खुलते हों... "
"पता है बमुश्किल 23 की होगी वो जब मैं उससे मिला...  कोई इतनी कम उम्र में इतना mature कैसे हो सकता है लेकिन... "
"कितनी आसानी से उसने हर चीज को हैंडल किया, कैरियर, फैमिली, प्रेम... सब कुछ... "
"काश !! मैं भी उतना ही mature होता उस वक़्त..."
"पता है, इन दिनों मैं उस जैसा होना चाहता हूँ... "
"वैसा इंसान मुझे शायद फिर कभी न मिले... उसने कितना कुछ सिखाया मुझे..."
"हर कोई कुछ-न-कुछ सिखा के ही तो जाता है... "
"आज कल मुझे बहुत हंसी आती है पता है, लगता है कुछ चीजें कुछ लोग टीनएज में ही सीख जाते और कुछ लोग बुढ़ापे तक भी नहीं... "
"जो जितनी जल्दी ज़िन्दगी में जितना कुछ देखता है, वो उतनी जल्दी सीखता है..."
"बिना दुनिया देखे, बिना हज़ार तरह के लोगों से मिले कोई क्या ही सीखेगा... "
"कुछ लोग सीखना भी तो नहीं चाहते... ज्ञान बोलकर मज़ाक उड़ा देते हैं... "
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