बचपन में जन्मदिन मनाने का कोई ख़ास दिल नहीं किया, मेरे घर पर कभी किसी का जन्मदिन मना नहीं और न ही कभी किसी को कोई खास फर्क पड़ा...
पहला जन्मदिन मना 2001 में, कोई केक वगैरह नहीं बस चिप्स और मैगी की पार्टी.. कुछ ख़ास दोस्तों को मेरे जन्मदिन में इंटरेस्ट आने लग गया था और शायद मुझे भी... अच्छा लगने लगा था लोगों का विश करना, लगता था पूरी साल में ये एक दिन सिर्फ मेरा है... 2003 का जन्मदिन भी ख़ास था बहुत, पहला केक और लाइफ का पहला सरप्राइज...
खैर कई सारे जन्मदिन यूँ ही गुज़रे, कभी न कभी किसी न किसी ने ख़ास बना ही दिया है इस दिन को...
बहुत कुछ लिखना चाहता हूँ, जैसे हर एक जन्मदिन से जुडी याद... लेकिन समझ नहीं आ रहा क्या लिखूं, कैसे लिखूं...
Lockdown में अकेले बैठे बैठे मन उचटता सा जाता है... लगता है ऐसे में अगर पूरा ही अकेले होता तो क्या होता, पर अक्सर ज़िन्दगी से हम कुछ ज्यादा ही शिकायतें कर बैठते हैं, कहीं न कहीं ज़िन्दगी की झोली में खुशियों के सिक्के होते ही हैं, बस उन्हें खोजने की ज़रुरत है... कम से कम मोबाइल पर ही सही, लोग जुड़े तो हैं...
और आखिर गुल्लक है ज़िन्दगी, उससे वही निकलेगा जो हम उसमे डालेंगे...
समंदर की बहुत याद आ रही, शाम को सूरज को देखने का दिल कर रहा है, उस शान्ति में बैठे बस वो लहरों की आवाज़ सुननी है...
समंदर की बहुत याद आ रही, शाम को सूरज को देखने का दिल कर रहा है, उस शान्ति में बैठे बस वो लहरों की आवाज़ सुननी है...
ज़िन्दगी की कई तहरीरें होती हैं, कुछ समझ में आती हैं कुछ नहीं... पर हमेशा की ही तरह, शुक्रिया ज़िन्दगी....
I am thankful of everything whatever life has given to me, I am still the same Guy with dreams in his eyes and wonder in the heart and no situations can take these away from me.....
I am thankful of everything whatever life has given to me, I am still the same Guy with dreams in his eyes and wonder in the heart and no situations can take these away from me.....
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