कहते हैं फिल्म समाज का आईना होती हैं...
पर सवाल है किस समाज का, पृथ्वी पर करोड़ों तरह के समाज हैं, सबकी मान्यताएं अलग-अलग हैं... हम अपने आस-पास के समाज को तो जानते ही हैं, और अधिकतर लोग उसी को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं..
मैं हमेशा से ऐसी फिल्में देखना पसंद करता हूँ जो ऐसे समाज से अवगत कराती हों, मैं जिसका हिस्सा नहीं हूँ... कॉलेज के वक़्त ईरानी, पर्शियन, कोरियन ये सारी फिल्में देखीं, कुछ एक तो बिना Subtitles के भी...
कई सारी फिल्मों को देखते हुए जाना कि हम एक भारतीय के तौर पर जिन संस्कार और संस्कृति की बात करते हैं वो कमोबेश बाकी देशों में भी ऐसे ही हैं, कुछ-एक जगह शायद हमसे बेहतर भी... खैर सर्वश्रेष्ठ कहलाने की इस लालसा के बारे में फिर कभी...
आज बात एक फिल्म की, "Wonder"...
ये फिल्म है एक बच्चे की(Auggie) जो Treacher Collins syndrome से जूझ रहा है और लोगों की घूरती नज़रों से बचना चाहता है, ये फिल्म है उसके माता-पिता की जो उसे सामान्य ज़िन्दगी और सामान्य समाज का हिस्सा बनाना चाहते हैं, ये फिल्म उसकी बड़ी बहन की भी है जो ये जानती है कि उसके भाई को, उसके पेरेंट्स की ज्यादा अटेंशन चाहिए... फिर भी वो उन्हें मिस करती है कि काश वो उससे भी उतनी ही बातें करें जितना वो उसके भाई से करते हैं...
ये फिल्म है एक और लड़के की जो उसका दोस्त नहीं बनना चाहता, फिर बनना चाहता है लेकिन बाकी दोस्त क्या कहेंगे उससे भी डरता है...
ये फिल्म एक लम्बी लड़ाई है सभी किरदारों के लिए, लड़ाई किसी "एबनॉर्मल" से इंसान को "So called Normal" समाज का हिस्सा बनाने के लिए...
हम खुद इंसान हैं लेकिन इंसानी रिश्तों को समझना और उसे फिल्मों में उतारना शायद उतना मज़बूत Genre नहीं है... लेकिन इसपर जितनी फिल्में बनी हैं वो सभी कुछ न कुछ सिखाती ही हैं...
फिल्म के आखिरी में Auggie कहता है.... "Be kind, for everyone is fighting a hard battle. And if you really want to see what people are, all you have to do is look".
***********
फिल्म कहाँ देखें... अगर आपके पास एयरटेल मोबाइल कनेक्शन है तो https://www.airtelxstream.in/movies पर लॉगिन करके..
पर सवाल है किस समाज का, पृथ्वी पर करोड़ों तरह के समाज हैं, सबकी मान्यताएं अलग-अलग हैं... हम अपने आस-पास के समाज को तो जानते ही हैं, और अधिकतर लोग उसी को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं..
मैं हमेशा से ऐसी फिल्में देखना पसंद करता हूँ जो ऐसे समाज से अवगत कराती हों, मैं जिसका हिस्सा नहीं हूँ... कॉलेज के वक़्त ईरानी, पर्शियन, कोरियन ये सारी फिल्में देखीं, कुछ एक तो बिना Subtitles के भी...
कई सारी फिल्मों को देखते हुए जाना कि हम एक भारतीय के तौर पर जिन संस्कार और संस्कृति की बात करते हैं वो कमोबेश बाकी देशों में भी ऐसे ही हैं, कुछ-एक जगह शायद हमसे बेहतर भी... खैर सर्वश्रेष्ठ कहलाने की इस लालसा के बारे में फिर कभी...
आज बात एक फिल्म की, "Wonder"...
ये फिल्म है एक बच्चे की(Auggie) जो Treacher Collins syndrome से जूझ रहा है और लोगों की घूरती नज़रों से बचना चाहता है, ये फिल्म है उसके माता-पिता की जो उसे सामान्य ज़िन्दगी और सामान्य समाज का हिस्सा बनाना चाहते हैं, ये फिल्म उसकी बड़ी बहन की भी है जो ये जानती है कि उसके भाई को, उसके पेरेंट्स की ज्यादा अटेंशन चाहिए... फिर भी वो उन्हें मिस करती है कि काश वो उससे भी उतनी ही बातें करें जितना वो उसके भाई से करते हैं...
ये फिल्म है एक और लड़के की जो उसका दोस्त नहीं बनना चाहता, फिर बनना चाहता है लेकिन बाकी दोस्त क्या कहेंगे उससे भी डरता है...
ये फिल्म एक लम्बी लड़ाई है सभी किरदारों के लिए, लड़ाई किसी "एबनॉर्मल" से इंसान को "So called Normal" समाज का हिस्सा बनाने के लिए...
हम खुद इंसान हैं लेकिन इंसानी रिश्तों को समझना और उसे फिल्मों में उतारना शायद उतना मज़बूत Genre नहीं है... लेकिन इसपर जितनी फिल्में बनी हैं वो सभी कुछ न कुछ सिखाती ही हैं...
फिल्म के आखिरी में Auggie कहता है.... "Be kind, for everyone is fighting a hard battle. And if you really want to see what people are, all you have to do is look".
***********
फिल्म कहाँ देखें... अगर आपके पास एयरटेल मोबाइल कनेक्शन है तो https://www.airtelxstream.in/movies पर लॉगिन करके..