ये कैसी दुनिया है,
जहाँ मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन है,
कैसा शोर है ये चारो तरफ
जहाँ पंछियों की चहचहाहट सुनाई नहीं देती,
यह कैसी लालिमा है रक्त की,
जिसके आगे सृष्टि के सुन्दर नज़ारे धूमिल हो गए...
कैसी छींटें पड़ी हैं ये शरीर पर,
यह होली रंगों की तो नहीं है शायद,
ये कैसी भीड़ है जहाँ अपने बेगाने हो गए...
क्यूँ आज इंसान इंसान से डरता है,
ह्रदय की कोमल धरा पर यह कांटे क्यूँ उग आये हैं,
जीवन के मायने कुछ बदल से गए हैं,
अब अपनी जीत शायद दूसरों की हार में है,
आखिर यह संघर्ष क्यूँ ? ? ?
क्या है इस वर्चस्व की लड़ाई का मतलब ? ? ?
इस धरती का सुन्दर गुलशन
शायद बंजर हो चला है...
यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
यह तो कोई और ही नयी दुनिया है....
Sach mein so realistic..... ppl, save this world.........
ReplyDeletethe world has changed and become so inhumane.ur poem depicts the world of today
ReplyDeleteप्रशंसनीय ।
ReplyDeletesach kaha sirji...ye duniya agar mil bhi jaye to kya hai...
ReplyDeleteyah nai duniya sabke aage ek prashn liye khdee hai, ek hi sawaal... ye kya hai, hum kahan aa gaye?
ReplyDeletebahut hi sachche ehsaason ko likha hai
अब अपनी जीत शायद दूसरों की हार में है
ReplyDeleteyah panktee nahin pathar par khudee dardnak haqiqat hai.
Nice
behad khubsurat blog hain aapka..aur utna hi khubsurat aap likhte bhi hain.....ye nayi duniya jaise bhi hain hum bhi ab to iska hissa ban chuuke hain...na jaane kyon///
ReplyDeletebahut hi sundar rachna
ReplyDeleteसच कहा आपने यह तो कोई और ही दुनिया है ....जहाँ चिड़ियों की चहचहाहट नहीं बम और बंदूकों की आवाज है !बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! बधाई !
ReplyDeleteवाकई!!! यह नयी दुनिया..
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति..बधाई.
sahi kaha apne bilkul sahi....yeh aisi duniya nahi....jahan hame pyar batna chahiyee...wahan abb bass nafrat aur ek dusre say agee nikal jane ki hod hai bass
ReplyDeleteYeh duniya oot-pataanga!
ReplyDeleteKitthe haath te kitthe taanga!
Acchha likha hai!
badhiya likhte hian aap... jaari rakhen nikhaar hoti jayegi...
ReplyDeletearsh
Sir ji peshe se softwae engg hun aur aajkal bahut vyast bhi hun...par Hindi ke liye samay nikalna mera kartavya hai...jab bhi kabhi thoda samay milta hai..blogs check kar leta hun...aur waise likhne ka kram to neend me bhi chalta rehta hai...kai poems ahi jo bas sapne dekh kar hi likhi hai...
ReplyDeleteबहुत खूब । आज के हालात को आईना दिखा दिया आपने ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना है !
ReplyDeleteसुंदर रचना........
ReplyDeleteऔर सच्चाई के करीब...........
http://rajdarbaar.blogspot.com
Beautifully written. Bahut sahi kahaa hai aapne aajkal ki duniya ke baare mein.
ReplyDeleteI have written a blog on Dowry system. Please visit and if possible leave a comment. Also if you feel like then take the pledge too. Here is the link.
http://simplystayingalive.blogspot.com/
बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteशेखर भाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
बाकई कोई एसी जगह नहीं जहाँ सुकून हो
बढ़िया विषय पर लिखा
आभार .................................
Good concept
ReplyDelete-Shruti
Dear Shekhar,
ReplyDeleteYou have conveyed your feelings very beautifully in this poem. I liked it very much. :)
बहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है! हर एक शब्द दिल को छू गयी! आपने बिल्कुल सही कहा है कि ये वो दुनिया नहीं है जिसे इश्वर ने बनाया है बल्कि ये कोई और ही दुनिया बन गयी है जहाँ सिर्फ़ खून खराबी, लड़ाई झगड़े इत्यादि होते हैं और इंसान ही दूसरे इंसान के दुश्मन बन जाते हैं!
ReplyDeleteachhi rachna hai .pasand aayi badhaiyan
ReplyDeleteएकदम सही लिखा अंकल जी. ..और भला आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूँ. आप तो मेरे लिए चाकलेट लेकर आएंगे.
ReplyDelete____________________
'पाखी की दुनिया' में माउन्ट हैरियट की सैर जरुर करें.
SHEKHAR BHAI MAI PICHE REH GYA SUNDER KAVITA PADHNE SE
ReplyDeleteMaaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
ReplyDeleteGood work friend
ReplyDeleteShalini
सच है जीवन के मायने बदल गये हैं .... इन्हे फिर से बदलना होगा ...
ReplyDeleteHello,
ReplyDeleteBahut hi badiya topic!!
Aur itni khoobi se likha hai aapne :)
Very very good......
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
Admi gar insaniyat bhool jaye to sabse adhik darawna prani hota hai..! Yah puratan saty hai,jise aapne bade hee khoobsarat tareeqese apni rachaname dhala hai..
ReplyDeleteबहुत सही कहा शेखर जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता, बधाई.
kuchh kahne ki anumati chahta hu.
न जाने कैसी ये दुनिया हो गयी है, Facebook तो हजारो दोस्त हो गए हैं सबके, पर बगल में कौन रहता है पता नहीं,
एक मेरा दोस्त "मुझसे" अब touch में नहीं, क्योकि हर दिन मै उसे scrap regular karta nahi...
रविश तिवारी
http://alfaazspecial.blogspot.com/
bahut khoob......
ReplyDeleteयही हकीकत है ....
ReplyDeleteडॉक्टर रूपी इंसान आपको स्वस्थ्य करने में मददगार हो, शुभकामनाओं सहित.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है
ReplyDeleteGreat writing.
ReplyDeleteNowadays, I am distressed with the blog world also.
Some of your lines apply to blogsphere too
For example:
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ये कैसी दुनिया है,
जहाँ मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन है,
कैसा शोर है ये चारो तरफ
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ये कैसा ब्लॉग जगत है
जहाँ ब्लॉग्गर ही ब्लॉग्गर का दुश्मन है
कैसी अभद्र टिप्पणियाँ है चारों तरफ़
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क्यूँ आज इंसान इंसान से डरता है,
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क्यूँ आज ब्लॉग्गर ब्लॉग्गर से जलता है
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यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
यह तो कोई और ही नयी दुनिया है...
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यह वो दुनिआ तो नहीं जो टेक्नोलोजी ने हमें भेंट की
यह तो कोई और ही नयी दुनिया है...
=================================
आप वाकई अच्छा लिखते हैं और हमें आपकी रचनाओं को पढना बहुत अच्छा लगता है
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
pukhraaj said...
ReplyDeleteयही हकीकत है ....
Sunday, April 25, 2010 6:52:00 AM GMT+05:30
क्या बात है शेखर भाई पुराने कमेंट उठा कर इस पोस्ट मे लगा दिया, अपने आप ही कमेंट करने लगे हो अपनी पोस्ट पर
लगे रहो भाई ...
अल्लाह आपको जल्द स्वस्थ्य लाभ दे
बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteget well soon.
ऊपर की सभी टिप्पणियॉ मे तारीख अप्रेल की है
ReplyDeleteइस धरती का सुन्दर गुलशन
ReplyDeleteशायद बंजर हो चला है...
यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
यह तो कोई और ही नयी दुनिया है.........bahut badhiya.
क्या करे सब इन्सान जो है इंसानी बुराइया कहा जाएँगी | अच्छी कविता |
ReplyDelete@ बंटी...
ReplyDeleteजी हाँ क्यूंकि कविता भी अप्रैल की ही है, मैंने लिखा भी है पुरानी कविता....
पुराने वाले ब्लॉग की कुछ चुनिन्दा रचनायें दुबारा प्रकाशित कर रहा हूँ तो सोचा टिप्पणियाँ क्यूँ छोड़ी जायें...
आपको कोई आपत्ति है ????
है भी तो मेरी बला से....
आज की दुनिया की सच्चाई प्रस्तुत की हैं
ReplyDeleteशुभकामनायें
ये कहाँ आ गए हम...सच्ची कविता.
ReplyDeleteनहीं शेखर भाई , भला हमे क्या आपत्ति हो सकती है , ब्लॉग आपका है , आप जो चाहे करे .........
ReplyDeleteवैसे कविता बहुत बढ़िया है , आपने लिखी है क्या ?
Bahut sunder aur duniya ki sachchai ko pradarshit karti hui behatreen kavita.....Get well soon.
ReplyDeletekya baat hai ...haqiqat kah di aapne...badhai
ReplyDeleteGET WELL SOON :)
Brilliant reflection on today's world and sadly we are part of it. Hopefully, we can change it a bit towards the positive. Hope you're feeling better :-)
ReplyDeletetouchy poem nayi ho ya purani rachna achi hai
ReplyDeleteAur haan kya itna din se bimar bimar? jaldi se thik hoiye na itna bimaar hone se kaam nai chalega chyawanpraash khaiye 2 chammach ki taiyari rakhe door bimari hahahaha
सत्यं शिवम् सुन्दरम्!
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी और प्रभावी अभिव्यक्ति...... जाने क्यों पर यही हो रहा है.....?
ReplyDelete
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - नयी दुनिया - गरीब सांसदों को सस्ता भोजन - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
शेखर सुमन जी
ReplyDeleteअच्छी कविता के लिए बधाई !
सच कहा आपने -
यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनाई थी,
यह तो कोई और ही नई दुनिया है....
ईश्वर ख़ुद अपनी बनाई दुनिया को अब ढूंढ़ता फिर रहा है , मुझे मिला था :)
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहोत ही सुन्दर कविता लिखी है
ReplyDeleteसच में आज की दुनिया कुछ ज्यादा ही नयी हो गयी है
आप जल्द ही स्वास्थलाभ प्राप्त करे
बहोत बहोत धन्यवाद
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजब तक cmindia की नई क्विज़ प्रस्तुत हो, इस पुरानी क्विज़ को
ReplyDeleteहल करें। http://rythmsoprano.blogspot.com/2011/01/blog-post_3129.html
सटीक अभिव्यक्ति ...इंसान ने दुनिया बदल कर रख दी है ..
ReplyDeleteदुनिया तो वही है शेखर जी ...पर लोग वो नहीं रहे .... और उनके साथ बहुत कुछ बदल गया .... आप जल्दी ठीक हो ये भवान से दुआ है .... शुभकामनाएँ
ReplyDeleteWish you good health.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पोस्ट...बधाई.
ReplyDelete_________________________
'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में एक साल...'
बहुत सुन्दर कविता है
ReplyDeleteआभार
very true lines about todays world
ReplyDeleteशेखर भाई, सचमुच यह तो कोई और ही दुनिया है।
ReplyDelete---------
क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
ARE O BACHBA 'CHARCHA' KE LIYE KYON TARASTE HO
ReplyDeleteJARA AUR SE AIR DHAAR LAGAO JAGAH AP HI MIL JAWEGA
SWASTH LABH KARO PHIR 'SARE LABH MIL JAWEGA'
'AUR HAAN BLOGGER BLOGGER SE NA JALEGA TO KY PHES-BOOKIYA/ORKUTIYA/BAZZIYA/ SE JALEGA' KA MASTER APNI KARTAVYA KARTE RAHO BAKIYA SAB KUCH
UPAR WALE PAR CHOR DO'
SADAR
बहुत सुन्दर कविता है
ReplyDeleteयह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
ReplyDeleteयह तो कोई और ही नयी दुनिया है....
Aah!
Gantantr Diwas kee hardik badhayi!
thought provoking piece...lovely!
ReplyDeleteआदरणीय शेखर सुमन जी
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ।
आप जल्द स्वस्थ्य हो ऐसी कामना करते है! शुभकामनाओं सहित
haan kain baar aisa hi lagta hai aur jab kabhi prakriti ke kareeb jane ka mauka milta hai to hum apne dayron ko bhoolkar ek naye jahan ko pate hai..vakai ye duniya ..vo nahi ..
ReplyDeleteसच कहा है आपने और बहुत अच्छा लिखा है...
ReplyDeleteसच बयानी है और सुन्दर रचना है !
ReplyDeleteबेहतरीन!चंद दिनों से खामोश था लेकिन इन लाइनों को पढ़ कर ताजगी महसूस कर रहा हूं।
ReplyDelete