Thursday, January 20, 2011

नयी दुनिया...

ये कैसी दुनिया है,
जहाँ मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन है,
कैसा शोर है ये चारो तरफ
जहाँ पंछियों की चहचहाहट सुनाई नहीं देती,
यह कैसी लालिमा है रक्त की,
जिसके आगे सृष्टि के सुन्दर नज़ारे धूमिल हो गए...
कैसी छींटें पड़ी हैं ये शरीर पर,
यह होली रंगों की तो नहीं है शायद,
ये कैसी भीड़ है जहाँ अपने बेगाने हो गए...
क्यूँ आज इंसान इंसान से डरता है,
ह्रदय की कोमल धरा पर यह कांटे क्यूँ उग आये हैं,
जीवन के मायने कुछ बदल से गए हैं,
अब अपनी जीत शायद दूसरों की हार में है,
आखिर यह संघर्ष क्यूँ ? ? ?
क्या है इस वर्चस्व की लड़ाई का मतलब ? ? ?
इस धरती का सुन्दर गुलशन
शायद बंजर हो चला है...
यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
यह तो कोई और ही नयी दुनिया है....

74 comments:

  1. Sach mein so realistic..... ppl, save this world.........

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  2. the world has changed and become so inhumane.ur poem depicts the world of today

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  3. sach kaha sirji...ye duniya agar mil bhi jaye to kya hai...

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  4. yah nai duniya sabke aage ek prashn liye khdee hai, ek hi sawaal... ye kya hai, hum kahan aa gaye?
    bahut hi sachche ehsaason ko likha hai

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  5. अब अपनी जीत शायद दूसरों की हार में है

    yah panktee nahin pathar par khudee dardnak haqiqat hai.
    Nice

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  6. behad khubsurat blog hain aapka..aur utna hi khubsurat aap likhte bhi hain.....ye nayi duniya jaise bhi hain hum bhi ab to iska hissa ban chuuke hain...na jaane kyon///

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  7. सच कहा आपने यह तो कोई और ही दुनिया है ....जहाँ चिड़ियों की चहचहाहट नहीं बम और बंदूकों की आवाज है !बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ! बधाई !

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  8. वाकई!!! यह नयी दुनिया..


    बेहतरीन अभिव्यक्ति..बधाई.

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  9. sahi kaha apne bilkul sahi....yeh aisi duniya nahi....jahan hame pyar batna chahiyee...wahan abb bass nafrat aur ek dusre say agee nikal jane ki hod hai bass

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  10. Yeh duniya oot-pataanga!
    Kitthe haath te kitthe taanga!
    Acchha likha hai!

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  11. badhiya likhte hian aap... jaari rakhen nikhaar hoti jayegi...


    arsh

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  12. Sir ji peshe se softwae engg hun aur aajkal bahut vyast bhi hun...par Hindi ke liye samay nikalna mera kartavya hai...jab bhi kabhi thoda samay milta hai..blogs check kar leta hun...aur waise likhne ka kram to neend me bhi chalta rehta hai...kai poems ahi jo bas sapne dekh kar hi likhi hai...

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  13. बहुत खूब । आज के हालात को आईना दिखा दिया आपने ।

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  14. सुंदर रचना........

    और सच्चाई के करीब...........

    http://rajdarbaar.blogspot.com

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  15. Beautifully written. Bahut sahi kahaa hai aapne aajkal ki duniya ke baare mein.

    I have written a blog on Dowry system. Please visit and if possible leave a comment. Also if you feel like then take the pledge too. Here is the link.

    http://simplystayingalive.blogspot.com/

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  16. बहुत अच्छी रचना ।

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  17. शेखर भाई
    बहुत सुन्दर रचना
    बाकई कोई एसी जगह नहीं जहाँ सुकून हो
    बढ़िया विषय पर लिखा
    आभार .................................

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  18. Dear Shekhar,

    You have conveyed your feelings very beautifully in this poem. I liked it very much. :)

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  19. बहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है! हर एक शब्द दिल को छू गयी! आपने बिल्कुल सही कहा है कि ये वो दुनिया नहीं है जिसे इश्वर ने बनाया है बल्कि ये कोई और ही दुनिया बन गयी है जहाँ सिर्फ़ खून खराबी, लड़ाई झगड़े इत्यादि होते हैं और इंसान ही दूसरे इंसान के दुश्मन बन जाते हैं!

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  20. achhi rachna hai .pasand aayi badhaiyan

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  21. एकदम सही लिखा अंकल जी. ..और भला आपसे कैसे नाराज़ हो सकती हूँ. आप तो मेरे लिए चाकलेट लेकर आएंगे.

    ____________________
    'पाखी की दुनिया' में माउन्ट हैरियट की सैर जरुर करें.

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  22. SHEKHAR BHAI MAI PICHE REH GYA SUNDER KAVITA PADHNE SE

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  23. Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

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  24. सच है जीवन के मायने बदल गये हैं .... इन्हे फिर से बदलना होगा ...

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  25. Hello,

    Bahut hi badiya topic!!
    Aur itni khoobi se likha hai aapne :)

    Very very good......

    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

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  26. Admi gar insaniyat bhool jaye to sabse adhik darawna prani hota hai..! Yah puratan saty hai,jise aapne bade hee khoobsarat tareeqese apni rachaname dhala hai..

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  27. बहुत सही कहा शेखर जी,
    बहुत सुन्दर कविता, बधाई.
    kuchh kahne ki anumati chahta hu.


    न जाने कैसी ये दुनिया हो गयी है, Facebook तो हजारो दोस्त हो गए हैं सबके, पर बगल में कौन रहता है पता नहीं,
    एक मेरा दोस्त "मुझसे" अब touch में नहीं, क्योकि हर दिन मै उसे scrap regular karta nahi...



    रविश तिवारी
    http://alfaazspecial.blogspot.com/

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  28. यही हकीकत है ....

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  29. डॉक्‍टर रूपी इंसान आपको स्‍वस्‍थ्‍य करने में मददगार हो, शुभकामनाओं सहित.

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  30. बहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है

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  31. Great writing.
    Nowadays, I am distressed with the blog world also.
    Some of your lines apply to blogsphere too
    For example:

    -----------------
    ये कैसी दुनिया है,
    जहाँ मनुष्य ही मनुष्य का दुश्मन है,
    कैसा शोर है ये चारो तरफ
    -------------------------

    ==========
    ये कैसा ब्लॉग जगत है
    जहाँ ब्लॉग्गर ही ब्लॉग्गर का दुश्मन है
    कैसी अभद्र टिप्पणियाँ है चारों तरफ़
    ====================
    ----------------------------------------------
    क्यूँ आज इंसान इंसान से डरता है,
    -----------------------------------------------
    ===========
    क्यूँ आज ब्लॉग्गर ब्लॉग्गर से जलता है
    ================================
    --------------------------------------------
    यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
    यह तो कोई और ही नयी दुनिया है...
    -----------------------------------
    ====================================
    यह वो दुनिआ तो नहीं जो टेक्नोलोजी ने हमें भेंट की
    यह तो कोई और ही नयी दुनिया है...
    =================================

    आप वाकई अच्छा लिखते हैं और हमें आपकी रचनाओं को पढना बहुत अच्छा लगता है
    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ

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  32. pukhraaj said...

    यही हकीकत है ....
    Sunday, April 25, 2010 6:52:00 AM GMT+05:30

    क्या बात है शेखर भाई पुराने कमेंट उठा कर इस पोस्ट मे लगा दिया, अपने आप ही कमेंट करने लगे हो अपनी पोस्ट पर

    लगे रहो भाई ...

    अल्लाह आपको जल्द स्वस्थ्य लाभ दे

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  33. बहुत अच्छी रचना ।

    get well soon.

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  34. ऊपर की सभी टिप्पणियॉ मे तारीख अप्रेल की है

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  35. इस धरती का सुन्दर गुलशन
    शायद बंजर हो चला है...
    यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
    यह तो कोई और ही नयी दुनिया है.........bahut badhiya.

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  36. क्या करे सब इन्सान जो है इंसानी बुराइया कहा जाएँगी | अच्छी कविता |

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  37. @ बंटी...
    जी हाँ क्यूंकि कविता भी अप्रैल की ही है, मैंने लिखा भी है पुरानी कविता....
    पुराने वाले ब्लॉग की कुछ चुनिन्दा रचनायें दुबारा प्रकाशित कर रहा हूँ तो सोचा टिप्पणियाँ क्यूँ छोड़ी जायें...
    आपको कोई आपत्ति है ????
    है भी तो मेरी बला से....

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  38. आज की दुनिया की सच्चाई प्रस्तुत की हैं
    शुभकामनायें

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  39. ये कहाँ आ गए हम...सच्ची कविता.

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  40. नहीं शेखर भाई , भला हमे क्या आपत्ति हो सकती है , ब्लॉग आपका है , आप जो चाहे करे .........

    वैसे कविता बहुत बढ़िया है , आपने लिखी है क्या ?

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  41. Bahut sunder aur duniya ki sachchai ko pradarshit karti hui behatreen kavita.....Get well soon.

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  42. kya baat hai ...haqiqat kah di aapne...badhai

    GET WELL SOON :)

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  43. Brilliant reflection on today's world and sadly we are part of it. Hopefully, we can change it a bit towards the positive. Hope you're feeling better :-)

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  44. touchy poem nayi ho ya purani rachna achi hai
    Aur haan kya itna din se bimar bimar? jaldi se thik hoiye na itna bimaar hone se kaam nai chalega chyawanpraash khaiye 2 chammach ki taiyari rakhe door bimari hahahaha

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  45. सत्यं शिवम् सुन्दरम्!

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  46. बहुत अच्छी रचना ।

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  47. बहुत अच्छी और प्रभावी अभिव्यक्ति...... जाने क्यों पर यही हो रहा है.....?

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  48. बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - नयी दुनिया - गरीब सांसदों को सस्ता भोजन - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

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  49. शेखर सुमन जी
    अच्छी कविता के लिए बधाई !

    सच कहा आपने -
    यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनाई थी,
    यह तो कोई और ही नई दुनिया है....


    ईश्वर ख़ुद अपनी बनाई दुनिया को अब ढूंढ़ता फिर रहा है , मुझे मिला था :)

    ~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  50. बहोत ही सुन्दर कविता लिखी है

    सच में आज की दुनिया कुछ ज्यादा ही नयी हो गयी है

    आप जल्द ही स्वास्थलाभ प्राप्त करे

    बहोत बहोत धन्यवाद

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  51. जब तक cmindia की नई क्विज़ प्रस्तुत हो, इस पुरानी क्विज़ को
    हल करें। http://rythmsoprano.blogspot.com/2011/01/blog-post_3129.html

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  52. सटीक अभिव्यक्ति ...इंसान ने दुनिया बदल कर रख दी है ..

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  53. दुनिया तो वही है शेखर जी ...पर लोग वो नहीं रहे .... और उनके साथ बहुत कुछ बदल गया .... आप जल्दी ठीक हो ये भवान से दुआ है .... शुभकामनाएँ

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  54. बहुत सुन्दर पोस्ट...बधाई.

    _________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'अंडमान में एक साल...'

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  55. बहुत सुन्दर कविता है
    आभार

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  56. शेखर भाई, सचमुच यह तो कोई और ही दुनिया है।

    ---------
    क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

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  57. ARE O BACHBA 'CHARCHA' KE LIYE KYON TARASTE HO
    JARA AUR SE AIR DHAAR LAGAO JAGAH AP HI MIL JAWEGA

    SWASTH LABH KARO PHIR 'SARE LABH MIL JAWEGA'

    'AUR HAAN BLOGGER BLOGGER SE NA JALEGA TO KY PHES-BOOKIYA/ORKUTIYA/BAZZIYA/ SE JALEGA' KA MASTER APNI KARTAVYA KARTE RAHO BAKIYA SAB KUCH
    UPAR WALE PAR CHOR DO'

    SADAR

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  58. बहुत सुन्दर कविता है

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  59. यह वो दुनिया तो नहीं जो ईश्वर ने बनायीं थी,
    यह तो कोई और ही नयी दुनिया है....
    Aah!
    Gantantr Diwas kee hardik badhayi!

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  60. thought provoking piece...lovely!

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  61. आदरणीय शेखर सुमन जी
    बहुत अच्छी रचना ।
    आप जल्द स्वस्थ्य हो ऐसी कामना करते है! शुभकामनाओं सहित

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  62. haan kain baar aisa hi lagta hai aur jab kabhi prakriti ke kareeb jane ka mauka milta hai to hum apne dayron ko bhoolkar ek naye jahan ko pate hai..vakai ye duniya ..vo nahi ..

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  63. सच कहा है आपने और बहुत अच्छा लिखा है...

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  64. सच बयानी है और सुन्दर रचना है !

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  65. बेहतरीन!चंद दिनों से खामोश था लेकिन इन लाइनों को पढ़ कर ताजगी महसूस कर रहा हूं।

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