लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
रचनाकार:
वैसे इन्टरनेट पर बहुत जगह इसे बच्चन साहब की कविता कहा गया है.... अगर कोई मित्र इसके बारे में पुख्ता जानकारी रखते हों तो कृपया सूचित करें....
सत्य वचन ... बेहद उम्दा पोस्ट !
ReplyDeletesundar prastuti.
ReplyDeleteshekhar ji ... bahut hi prernadayak panktiya.... harivash ji ki is rachna ko prastut karne ke liye aabhar.
ReplyDeleteप्रेरणादायक बहुत ही अच्छी कविता.चित्र चयन भी ग्रेट है.
ReplyDeleteशेखर जी बढ़िया लिखा है आपने
ReplyDeleteशेखर भाई, आप कि चर्चा यहा पर भी हो रही, जरा आप भी कुछ कहे
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
ReplyDeleteक्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
बहुत अच्छी लगी ,बधाई |
ReplyDeleteआशा
हरिवंशराय बच्चन की कालजयी रचना पढ़वाने के लिए शुक्रिया!
ReplyDelete..........सत्य वचन
ReplyDeleteबच्चन जी कि सुन्दर कविता को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteयह कविता जीवन के लिए प्रेरणादायी है .इस कविता के रचनाकार के बारे में फिर से तहकीकात कर लें .धन्यवाद . http://www.hindikunj.com/2010/02/suryakant-tripathi-nirala_21.html.
ReplyDeletehttp://www.hindikunj.com/2010/02/suryakant-tripathi-nirala_21.html
शेखर जी,
ReplyDeleteकोई कुछ भी कहे, मैं मानता हूँ कि आप सही काम कर रहे हैं ...
पहेली एक बहाना है इन वीरों को याद करने का ... अगर आप ये पहेली नहीं लाते तो क्या लोग इन वीरों के बारे में जानने की कोशिश करते ? कोई नहीं करता ... कम से कम अब हम इन शहीदों को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं ...
हाँ एक अनुरोध है ... जब भी आप जवाब प्रकाशित करते हो, तो उस सप्ताह जिस शहीद वीर के बारे में पुछा गया है उसके बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी दिया जाय तो मैं समझता हूँ कि बेहतर होगा ...
मेरे इस अनुरोध पर गौर फरमाइयेगा ... आपको थोड़ी सी मेहनत और करनी होगी ... पर नतीजा बहुत अच्छा होगा
कविता तो बहुत अच्छी लगी।
ReplyDeleteमैंने इसे save कर ली है।
बार बार पढना चाहता हूँ।
पर किसकी कविता है? बच्चनजी की या निरालाजी की?
हिन्दीकुंज ब्लॉग पर फ़रवरी महीनें में यही कविता छपी है और लिखा है कि निराला जी की रचना है।
कृपया जाँच करके हमें सूचना दीजिए।
वैसी हमें इससे कोई ज्यादा फ़र्क नहीं पढता।
हमें आम खाने से मतलब है, न कि पेड गिनने से।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
ReplyDeleteवैसे इन्टरनेट पर बहुत जगह इसे बच्चन साहब की कविता कहा गया है.... अगर कोई मित्र इसके बारे में पुख्ता जानकारी रखते हों तो कृपया सूचित करें....
कविता बहुत अच्छी है .किसी की भी हो .शुक्रिया यहाँ पढवाने का.
ReplyDeleteसार्थक रचना पढवाने हेतु आभार!
ReplyDeleteye meri pasandita rachnao me se ek hai...aapka dhanyawad.
ReplyDeleteमुझे भी निराला जी की ही लग रही है पर सौ फीसदी नहीं कह सकती हु | जिसकी भी है अच्छी है |
ReplyDeleteसुन्दर कविता को प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद|
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक कविता |
ReplyDeleteye kavita Bachchan ji ki hai, Amitabh Bachchan isse KBC me suna chuke hai.
ReplyDeletedusyant kumar tyagi
ReplyDeleteप्रेणना से भरपूर रचना.
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