Monday, January 17, 2011

ज़ज्बा...

                  लँगड़ा भिखारी बैसाखी के सहारे चलता हुआ भीख माँग रहा था—“तेरी बेटी सुख  में पड़ेगी। अहमदाबाद का माल खाएगी। मुंबई की हुण्डी चुकेगी। दे दे सेठ, लँगड़े को रुपए-दो रुपए…!”
                  उसने एक साइकिल की दुकान के सामने गुहार लगाई। सेठ कुर्सी पर बैठा-बैठा रजिस्टर में किसी का नाम लिख रहा था। उसने सिर उठाकर भिखारी की तरफ देखा। कहा,“अरे, तू तो अभी जवान और हट्टा-कट्टा है। भीख माँगते शर्म नहीं आती? कमाई किया कर।”
भिखारी ने अपने को अपमानित महसूस किया। स्वर में तल्खी भरकर बोला,“सेठ, तू भाग्यशाली है। पूरब जनम में तूने अच्छे करम किए हैं। खोटे करम तो मेरे हैं। भगवान ने जनमते ही एक टाँग न छीन ली होती तो मैं आज तेरी तरह कुर्सी पर बैठा राज करता।”
सेठ ने इस मुँहफट भिखारी को ज्यादा मुँह लगाना ठीक नहीं समझा। वह गुल्लक में भीख लायक परचूनी ढूँढ़ने लगा। भिखारी आगे बढ़ा।
“ये ले, लेजा।”
                  भिखारी हाथ फैलाकर नजदीक गया। परन्तु एकाएक हाथ वापस खींच लिया, मानो सामने सिक्के की बजाय जलता हुआ अंगारा हो। कुर्सी पर बैठकर ‘राज करने वाले’ की दोनों टाँगें घुटनों तक गायब थीं।

34 comments:

  1. वाह शेखर जी .............

    बहोत ही प्रेरणादायक कहानी लिखी है आपने

    धन्यवाद

    ...........

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  2. जीवन भी क्या विरोधाभास है ...बहुत प्रेरणादायक प्रस्तुति ...शुक्रिया

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  3. प्रेरणादायी .....सुंदर बोधकथा

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  4. सच बात है.. अगर सच्चा जज्बा हो तो कोई रुकावट आड़े नहीं आ सकती है...

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  5. बहुत प्रेरणादायक प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  6. वाह शेखर जी
    प्रेरणादायक प्रस्तुति

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  7. किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  9. उफ़! सत्य के कैसे कैसे रूप होते हैं।

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  10. दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना काम है , अच्छी कहानी | आप ने जो फोटो लगाई है उस कहानी को भी मैंने डिस्कवरी पर देखी है वो भी काफी अच्छी है |

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  11. काम - कम

    काम को कम पढ़े |

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  12. प्रेरक कहानी, जबरदस्‍त तस्‍वीर.

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  13. I had no shoes and and I complained till I saw the man who had no feet.

    अंग्रेज़ी में इस कहावत की याद आ गई

    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ

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  14. im speechless...!!!

    kya ho gaya hai tumhe yaara...aajkal itna qaatilana kyun likh rahe ho...

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  15. बाप रे बाप पढ़ कर दो मिनट दिमाग ही सन्न हो गया

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. jitni tareef ki jaye kam hai ...behar sarthak aur prernadayak lagi aapki prastuti.
    maaf kijiyega ek tipani galti se delete ho gai.

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  18. आप सभी का शुक्रिया...
    आज कल तबियत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए किसी ब्लॉग पर जाना संभव नहीं हो पा रहा है...उम्मीद है आप समझेंगे...
    ठीक होते ही माफीनामे सहित आप सभी के ब्लॉग पर हाज़िर होऊंगा ....
    धन्यवाद....

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  19. अंशुमाला ji...
    जल्दी ही इस महान शख्स के बारे में भी जानकारी दूंगा....

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  20. जबर्दस्त्त....बहुत ही बढ़िया .हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा.

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  21. प्रेरणादायक प्रस्तुति ...

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  22. Padh kar pahle to aankhe hi bhar aai. man mein ek saath kai vichar uthe type karke 5 baar comment post nahi kar pai fir socha padha hai to comment dena hi chahiye . Achi prastuti hai

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  23. ये लघु कथा नही ... एक सीख है समाज में ऐसे सभी लोगों के लिए ...

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  24. शेखर जी..बहुत ही प्रेरणादायी प्रस्तुति. अच्छी सीख देती पोस्ट.

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  25. सभी पाठको को सूचित किया जाता है कि पहेली का आयोजन अब से मेरे नए ब्लॉग पर होगा ...

    यह ब्लॉग किसी कारणवश खुल नहीं प रहा है

    नए ब्लॉग पर जाने के लिए यहा पर आए
    धर्म-संस्कृति-ज्ञान पहेली मंच

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  26. अत्यंत प्रेरणादायक पोस्ट
    बहुत बधाई
    आभार

    आप अभी तक ठीक नहीं हुए जी
    ऐसा गजब न करें ...जल्दी से फिट करें खुद को :)

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  27. Encouraging n i lyked da twist.. hamesha bhikhari ki side se soch kar likhi gayi kahani padhi thi.. alag sa ant dekh kar achha laga :)

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  28. ek prrnadayak parastuti...wakai gajab ka jajba..

    aabhar.

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  29. शेखर जी,
    आपकी लघु कथा की जितनी भी प्रसंशा की जाय कम है !
    विचारों को उद्वेलित करती है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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