लँगड़ा भिखारी बैसाखी के सहारे चलता हुआ भीख माँग रहा था—“तेरी बेटी सुख में पड़ेगी। अहमदाबाद का माल खाएगी। मुंबई की हुण्डी चुकेगी। दे दे सेठ, लँगड़े को रुपए-दो रुपए…!”
उसने एक साइकिल की दुकान के सामने गुहार लगाई। सेठ कुर्सी पर बैठा-बैठा रजिस्टर में किसी का नाम लिख रहा था। उसने सिर उठाकर भिखारी की तरफ देखा। कहा,“अरे, तू तो अभी जवान और हट्टा-कट्टा है। भीख माँगते शर्म नहीं आती? कमाई किया कर।”
भिखारी ने अपने को अपमानित महसूस किया। स्वर में तल्खी भरकर बोला,“सेठ, तू भाग्यशाली है। पूरब जनम में तूने अच्छे करम किए हैं। खोटे करम तो मेरे हैं। भगवान ने जनमते ही एक टाँग न छीन ली होती तो मैं आज तेरी तरह कुर्सी पर बैठा राज करता।”
सेठ ने इस मुँहफट भिखारी को ज्यादा मुँह लगाना ठीक नहीं समझा। वह गुल्लक में भीख लायक परचूनी ढूँढ़ने लगा। भिखारी आगे बढ़ा।
“ये ले, लेजा।”
भिखारी हाथ फैलाकर नजदीक गया। परन्तु एकाएक हाथ वापस खींच लिया, मानो सामने सिक्के की बजाय जलता हुआ अंगारा हो। कुर्सी पर बैठकर ‘राज करने वाले’ की दोनों टाँगें घुटनों तक गायब थीं।
वाह शेखर जी .............
ReplyDeleteबहोत ही प्रेरणादायक कहानी लिखी है आपने
धन्यवाद
...........
जीवन भी क्या विरोधाभास है ...बहुत प्रेरणादायक प्रस्तुति ...शुक्रिया
ReplyDeleteप्रेरणादायी .....सुंदर बोधकथा
ReplyDeleteसच बात है.. अगर सच्चा जज्बा हो तो कोई रुकावट आड़े नहीं आ सकती है...
ReplyDeleteबहुत प्रेरणादायक प्रस्तुति| धन्यवाद|
ReplyDeleteवाह शेखर जी
ReplyDeleteप्रेरणादायक प्रस्तुति
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteउफ़! सत्य के कैसे कैसे रूप होते हैं।
ReplyDeleteदुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना काम है , अच्छी कहानी | आप ने जो फोटो लगाई है उस कहानी को भी मैंने डिस्कवरी पर देखी है वो भी काफी अच्छी है |
ReplyDeleteकाम - कम
ReplyDeleteकाम को कम पढ़े |
प्रेरक कहानी, जबरदस्त तस्वीर.
ReplyDeleteI had no shoes and and I complained till I saw the man who had no feet.
ReplyDeleteअंग्रेज़ी में इस कहावत की याद आ गई
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
im speechless...!!!
ReplyDeletekya ho gaya hai tumhe yaara...aajkal itna qaatilana kyun likh rahe ho...
बाप रे बाप पढ़ कर दो मिनट दिमाग ही सन्न हो गया
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletejitni tareef ki jaye kam hai ...behar sarthak aur prernadayak lagi aapki prastuti.
ReplyDeletemaaf kijiyega ek tipani galti se delete ho gai.
आप सभी का शुक्रिया...
ReplyDeleteआज कल तबियत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए किसी ब्लॉग पर जाना संभव नहीं हो पा रहा है...उम्मीद है आप समझेंगे...
ठीक होते ही माफीनामे सहित आप सभी के ब्लॉग पर हाज़िर होऊंगा ....
धन्यवाद....
अंशुमाला ji...
ReplyDeleteजल्दी ही इस महान शख्स के बारे में भी जानकारी दूंगा....
जबर्दस्त्त....बहुत ही बढ़िया .हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा.
ReplyDeleteप्रेरणादायक प्रस्तुति ...
ReplyDeletePadh kar pahle to aankhe hi bhar aai. man mein ek saath kai vichar uthe type karke 5 baar comment post nahi kar pai fir socha padha hai to comment dena hi chahiye . Achi prastuti hai
ReplyDeleteप्रेरक कथा।
ReplyDeleteये लघु कथा नही ... एक सीख है समाज में ऐसे सभी लोगों के लिए ...
ReplyDeleteशेखर जी..बहुत ही प्रेरणादायी प्रस्तुति. अच्छी सीख देती पोस्ट.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete.
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विज्ञान पहेली -4 आ गयी और विज्ञान पहेली -3 का जवाब देखे
very interesting and inspiring.
ReplyDeleteसभी पाठको को सूचित किया जाता है कि पहेली का आयोजन अब से मेरे नए ब्लॉग पर होगा ...
ReplyDeleteयह ब्लॉग किसी कारणवश खुल नहीं प रहा है
नए ब्लॉग पर जाने के लिए यहा पर आए
धर्म-संस्कृति-ज्ञान पहेली मंच
अत्यंत प्रेरणादायक पोस्ट
ReplyDeleteबहुत बधाई
आभार
आप अभी तक ठीक नहीं हुए जी
ऐसा गजब न करें ...जल्दी से फिट करें खुद को :)
Encouraging n i lyked da twist.. hamesha bhikhari ki side se soch kar likhi gayi kahani padhi thi.. alag sa ant dekh kar achha laga :)
ReplyDeleteek prrnadayak parastuti...wakai gajab ka jajba..
ReplyDeleteaabhar.
शेखर जी,
ReplyDeleteआपकी लघु कथा की जितनी भी प्रसंशा की जाय कम है !
विचारों को उद्वेलित करती है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
very nice post ..............
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
very nice and inspiring also
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