Wednesday, July 22, 2020

मैं यहीं हूँ, कहाँ जाऊँगा,

मैं यहीं हूँ
कहाँ जाऊँगा, 
एक प्रेमपत्र हूँ 
उड़ता हुआ सा
आँधियों में, 
ग़र बारिश हुई 
यहीं गिरकर
भींग जाऊँगा... 

मैं यहीं हूँ 
कहाँ जाऊँगा... 

हर्फ़ हूँ मैं 
आख़िरी ही सही, 
हर सफ़हे पर
नज़र आऊँगा 
मैं यहीं हूँ 
कहाँ जाऊँगा... 

लाख ठोकरें 
हज़ार पत्थर 
दुत्कार दिया जाऊँगा, 
पर बदहवास प्रेम हूँ 
कहीं न कहीं 
ज़हन में रह ही जाऊँगा... 

मैं यहीं हूँ 
कहाँ जाऊँगा...
Do you love it? chat with me on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...