बहुत दिनों से इस खामोश दिल ने सुगबुगाहट नहीं की, क्या करें वक़्त बहुत कम ही मिल पाता है और जितना भी मिलता है न शरीर और न ही दिमाग ये इजाजत देता है कि कुछ लिख सकूं... पता नहीं कैसे आज शाम अचानक बैठे बैठे ख्याल आया, कि अगर हमें छुट्टी मिलती है तो हम क्या करते हैं (ये सवाल सिर्फ कुंवारे लोगों से है क्यूंकि शादी शुदा बेचारों के लिए छुट्टी का क्या मतलब है ;))... खैर, मज़ाक नहीं, कैसे बिताते हैं आप छुट्टियाँ ???? लोगों के पास कई जवाब होंगे, मसलन घूमने जाते हैं, घर के बचे काम निपटाते हैं, इंटरनेट करते हैं, हमारे ब्लॉगर दोस्त सारी छुट्टी, ब्लॉग को सरल भाव से समर्पित कर देते हैं.. आदि आदि.... लेकिन फ़र्ज़ करें आप इस धरती पर अकेले इंसान हैं और आपको बोला जाए ७ दिन बिताने को (अरे हाँ, ब्लॉगर दोस्तों से माफ़ी सहित इंटरनेट की सेवा भी हटा ली जाए)... जानता हूँ मुमकिन नहीं, लेकिन फिर सिर्फ एक बार सोच कर देखें, आपके पास टेलीविजन नहीं हो, कंप्यूटर, मोबाईल कुछ भी नहीं हो...सिर्फ आप अकेले एक सुनसान जगह पर, क्या करेंगे ??? रोंगटे खड़े हो गए न....
अरे नहीं ये कोई ब्लॉग पोस्ट नहीं ये तो बस यूँ ही आपको परेशान करने का दिल किया, अगर आपके पास कोई बेहतरीन उपाय हो छुट्टियाँ बिताने का तो जरूर कहियेगा.... :))
नोट :- कृपया इस पोस्ट को ज्यादा सीरियसली न लें, मैं तो बस ये चेक कर रहा था कि आप मुझे भूले तो नहीं....
अरे नहीं ये कोई ब्लॉग पोस्ट नहीं ये तो बस यूँ ही आपको परेशान करने का दिल किया, अगर आपके पास कोई बेहतरीन उपाय हो छुट्टियाँ बिताने का तो जरूर कहियेगा.... :))
नोट :- कृपया इस पोस्ट को ज्यादा सीरियसली न लें, मैं तो बस ये चेक कर रहा था कि आप मुझे भूले तो नहीं....
ओह क्या लाज़वाब प्रश्न किया है आपने ...
ReplyDeleteहमेशा से सोचती हूँ की कब मैं अपने साथ होऊं ....सिर्फ अपने साथ
पर हाँ बिलकुल अकेली नहीं क्यूंकि मुझे भूतों से डर लगता है .....
well मैं तो बहुत कुछ करने वाली हूँ .... ढेर सारी books पढूंगी ....
मैं और मेरी diary .... ओह कितना मज़ा आएगा ..... जितना चाहे लिख सकूंगी
मन भर कर..... कोई disturb करने वाला नहीं होगा...... ओह कब आएगा वो दिन
कृपया कर अब ये भी बतायें ....... ?
कठिन हो जायेगा पर निभा लेंगे।
ReplyDeleteकिताबें तो हैं न? वहीं पढ़कर सारा समय बिता लेंगे। या सोकर भी चलेगा।
ReplyDeleteअरे ये क्या बात हुई पहले बिताते थे न ..जब यह सब नहीं था.किताबें हों बस.
ReplyDeleteआपने तो एकदम सीरियसली ही लिख दिया.
ReplyDeleteअपने आपसे खूब जमकर बात करेंगे। मुझे तो एकान्त बहुत अच्छा लगता है। वैसे आपका प्रश्न बहुत ही संजीदा है। व्यक्ति को अवश्य इसपर चिंतन करना चाहिए।
ReplyDeleteऐसे मौके पर किताब पढ़कर या सो कर ही समय बिताया जा सकता है, या फिर प्रभु चरणों में ध्यान लगा रहे|
ReplyDeleteलग रहा है की जैसे मेरा ही हाल लिख दिया है अभी अभी इस दौर से गुजरी हूँ अकेली इन्सान तो नहीं थी पर अचानक से ही सूचना के सारे स्रोतों से कट गई थी कल ही इस दुनिया में वापस आई हूं |
ReplyDeleteलाज़वाब प्रश्न
ReplyDeleteअकेले होना थोड़ा बोरिंग हो जाएगा और कुछ नहीं चाहिए बस दोस्तों का साथ हो ... तो सब चलेगा ... ;)
ReplyDeleteसमय मिल जाये कभी तो आइये गा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.com/
ha ha shekhar ..fikar not ..ham nahi bhule tume..:))
ReplyDeletehahahaha...nice question....chaliye hamare comment say yeh bhi sabit ho gaya ki apko bhule nahi hum
ReplyDeleteसोचनीय प्रश्न!
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