भरोसे के एक गहरे समंदर में तुमने मुझे छोड़ दिया है, मेरी बेपरवाही की आजादी कहीं खोती सी जा रही है , यूँ समझदार बने रहने की जद्दोजहद में उलझ कर रह गया हूँ, ठीक उसी तरह जैसे भँवरा कमल के अन्दर कैद हो जाता है... मेरे मन के अन्दर के आज़ाद से झरने को शांत करने की जितनी ही कोशिश कर रहा हूँ, बूंदों का शोर बढ़ता जा रहा है...
दिल अजीब सी ख़ामोशी की तरफ बढ़ता जा रहा है, यहाँ कागज के पन्नों का शोर
नहीं, यहाँ कलम की नीब के घिसटने की आवाज़ भी नहीं... शब्दों को अपनी सोच से
अलग करने की नाकाम कोशिश ज़ारी है... कुलांचें भरता हुआ ये मन अचानक से रेत
की तरह ज़र्रे ज़र्रे में बिखर जाना चाहता है... मंजिलों को पाने की परवाह
तो मैंने कब की छोड़ दी थी, लेकिन अब तो रास्ते भी बहते जा रहे हैं...

मेरे सपने रुई के फाहे की तरह हलके हो गए हैं, लाख कोशिश करूँ समेट नहीं पाता हर बार ही उनका रूख जाने-अनजाने में तुम्हारी तरफ हो जाता है... मुझे पता है मेरा बार-बार ऐसा करना तुम्हें बेवजह ही उदास कर जाता है, पर यकीन मानो अपनी इस बेचारगी और बदनसीबी से मेरा मन भी कुंठित सा हो गया है... मैं उदास नहीं, हताश भी नहीं बस थोडा थक गया हूँ, इस थकान का असर तुम्हें भी दिख ही जाता होगा मेरे चेहरे पर... जाने क्यूँ अपनी इस ब्लैक एंड व्हाईट शाम में तुम्हारी मौजूदगी के रंग भरने का शौक पाल बैठा मैं...
खैर मेरी परवाह मत करना,मेरी ज़िन्दगी की हर शाम बस यूँ ही गुजरेगी... सूरज की डूबती किरणों में ओझल हो जाएगी धीरे धीरे... लेकिन मैं जहाँ भी रहूँ, तुम्हें तोहफे में अपनी तन्हाई और तुम्हारी मुस्कान भेजा करूंगा...
रास्तों का मोल बहुत है जीवन में, हम ध्येय ही देखते रहते हैं...
ReplyDeleteकिसी के विश्वास के रक्षार्थ यूँ समर्पित होना... वाह!!!
ReplyDeletebahut bahut dhanyawaad anupama ji...
Deleteप्रवीण जी की बात से पूर्णतः सहमत हूँ :) समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/
ReplyDeleteखैर मेरी परवाह मत करना,मेरी ज़िन्दगी की हर शाम बस यूँ ही गुजरेगी... सूरज की डूबती किरणों में ओझल हो जाएगी धीरे धीरे... लेकिन मैं जहाँ भी रहूँ, तुम्हें तोहफे में अपनी तन्हाई और तुम्हारी मुस्कान भेजा करूंगा...
ReplyDeleteदिले से निकले सुंदर विचार स्वागत योग्य. बधाई.
धारा प्रवाह पढता गया ... और कहीं दूर खो गया ...
ReplyDeleteगज़ब का लिखा है ...
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..दिल के अहसास हैं ये ....
ReplyDeleteबहुत खूब. दिल कि गहराइयों में कहीं स्पर्श करती है.
ReplyDeleteVery Nice kena thoda ajeeb hai.....is write up mei ek dukh hai.....Shabdon k Jadugar hain aap
ReplyDelete:-)
Deletecompliments ke liye thankz... wakayi mein is write up ek dukh hi tha par ab nahin hai......
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना है...
ReplyDeleteसुन्दर लेखन.
बहुत बढ़िया दोस्त!!!
ReplyDeleteउदासी भी कभी कभार बेहद खूबसूरत होती है...आपके कुछ बिम्ब मन को छू गए...
ReplyDeleteशब्दों को अपनी सोच से अलग करने की नाकाम कोशिश ज़ारी है... कुलांचें भरता हुआ ये मन अचानक से रेत की तरह ज़र्रे ज़र्रे में बिखर जाना चाहता है... मंजिलों को पाने की परवाह तो मैंने कब की छोड़ दी थी, लेकिन अब तो रास्ते भी बहते जा रहे हैं...
Just WOW!
Thankz... :-)
Deleteबहुत खूब ,
ReplyDeleteप्रभावशाली अभिव्यक्ति !
:-)
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