तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो,
माटी के डिबिये की रौशनी में,
सकुचाती हो, शरमाती हो...
इस दुनियादारी के गणित में उलझे,
जो जिए हैं वो पल तुमने
उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो...
अजीब ही पागल हो,
मेरी हर हंसी में,
ढूँढती हो जाने कितने अर्थ
और मेरे हर आंसू को व्यर्थ बताती हो...
तुम्हारी इन बातों के बारे में,
जब भी सोचता हूँ कुछ लिख दूं मैं,
पर खुद का जिक्र यूँ पन्नों पर पढ़कर
जाने क्यूँ मुझसे गुस्सा सी जाती हो...
अक्सर भेज दिया करता हूँ मैं
जो मेसेज तुम्हारे मोबाईल पर
उन्हें हर रोज पढ़कर,
हर रोज मिटाती हो...
सोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...
माटी के डिबिये की रौशनी में,
सकुचाती हो, शरमाती हो...
इस दुनियादारी के गणित में उलझे,
जो जिए हैं वो पल तुमने
उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो...
अजीब ही पागल हो,
मेरी हर हंसी में,
ढूँढती हो जाने कितने अर्थ
और मेरे हर आंसू को व्यर्थ बताती हो...
तुम्हारी इन बातों के बारे में,
जब भी सोचता हूँ कुछ लिख दूं मैं,
पर खुद का जिक्र यूँ पन्नों पर पढ़कर
जाने क्यूँ मुझसे गुस्सा सी जाती हो...
अक्सर भेज दिया करता हूँ मैं
जो मेसेज तुम्हारे मोबाईल पर
उन्हें हर रोज पढ़कर,
हर रोज मिटाती हो...
सोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...
सकुचाती हो, शरमाती हो...
ReplyDeleteइस दुनियादारी के गणित में उलझे,
जो जिए हैं वो पल तुमने
उनसे जुडी ज़िन्दगी का इतिहास सुनाती हो.
......सुंदरता से सराबोर ,कोमल एहसास वाली सुंदर रचना ।
बहुत बहुत धन्यवाद संजय भाई...
Deleteजो आता उसे आने दो काहे रोकते हो उसकी राह ...
ReplyDeleteन ही कभी रोकने की कोशिश की और न ही कभी रोकूंगा....
Deleteवाह बहुत खूबसूरत अहसास हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसुन्दर सरल प्यार भरे दिल को ही कविताओं में प्रवेश मिलता है...
ReplyDeleteलिखते रहे कवितायेँ... वो आती रहे कविताओं में ढ़ेर सारा प्यार लेकर!
सच में बहुत ही सुन्दर, सरल और प्यार भरा दिल ही है... मुझे भी यकीन है वो यूँ ही आती रहेगी....
Deletesunder ehsas ki sunder rachna............
ReplyDeleteवाह||
ReplyDeleteबहुत बहुत ,बहुत ही अच्छा है...
बेहतरीन भाव,,सुन्दर अहसास....
अजीब ही पागल हो,
ReplyDeleteमेरी हर हंसी में,
ढूँढती हो जाने कितने अर्थ
और मेरे हर आंसू को व्यर्थ बताती हो...
दीवानी है..........दीवाना बना के छोड़ेगी.............
अनु
अजीब ही पागल हो,
ReplyDeleteमेरी हर हंसी में,
ढूँढती हो जाने कितने अर्थ
और मेरे हर आंसू को व्यर्थ बताती हो...
दीवानी है............दीवाना बना के छोड़ेगी!!!!
अनु :-)
सोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ReplyDeleteये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...
सुन्दर अहसास....
सुन्दर अहसास....
ReplyDeleteजारी रखिये कवितायें लिखना... सुन्दर रचना... शुभकामनाएं
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeletewaah bahut sundarta se bahut kuch kah dala
ReplyDeleteसोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ReplyDeleteये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो..."
वाह ! क्या कहने !दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब यह ख्याल अच्छा हैं ....
आपने मनाना न छोड़ा, उन्होने आना न छोड़ा।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ....ऐसे ही प्यार से बुलाते रहे ..
ReplyDeleteकल 09/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
knock knock
ReplyDeleteOMG... LOOK, who is HERE,.. :) @saanjh... nice to see you yaar...
ReplyDeleteकोमलता से कह रहे हैं मन की विवशता ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर एहसास ......!!
शुभकामनायें ...
वाह...बड़ी कोमलता से कह दी अपनी बात..
ReplyDeleteवाह...बहुत कोमलता से अपनी बात रखी। सुंदर..
ReplyDeleteबहुत ही 'अबोध ' अभिव्यक्ति .....मासूम लगी ....
ReplyDeletecollege life me aksar koi na koi ata rehta h....... :P
ReplyDeletethe poem is so bful
बहुत खूब ... उनको भी तो बहाना चाहिए आने का ...
ReplyDeleteसोचता हूँ छोड़ दूं मैं
ReplyDeleteये कवितायें लिखना
पर क्या करूँ, इसी बहाने से ही सही,
तुम अक्सर मेरी कविताओं में आती हो...
....
छोड़ नहीं पाइएगा आप ..कोशिश भी मत कीजियेगा उसको सूना सा लगेगा
आपकी टिप्पणी ने दिल जीत लिया... सच में उसको सूना नहीं लगना चाहिए न.... इसलिए छोड़ भी नहीं पाऊंगा...
Deletekavita likhna to tumhari jindagi hai......
Deletekya esliye hi likhte ho taki use suna na lage???
इसलिए तो ज़िन्दगी भी नहीं छोड़ सकता... क्यूंकि कविता मेरी ज़िन्दगी है और उन कविताओं में वो बसती है...
Deleteवाह! बहुत बढिया!
ReplyDeleteमोहक रचना है, शुभकामनायें आपको !
ReplyDeletewah .. jo baat mai kahana chah rahi thi Anand diwedi ji ne kah di ... ab to yahi kah sakti hoon , yaadon ko jab hum bayan kar na sake to shabdon me dhala hai humne ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया शेखू!!! मज़ा आ गया | बढ़िया लिखे हो लड़के !!!!
ReplyDeleteअरे भाई यह कौन है जो कविताओं में आती है, सचमुच भी तो आती होगी, एक-आध फ़ोटो भी दिखाया होता !!
ReplyDeleteपता है शेखर, यह कविता कुछ अलग सी है। तुम्हारे बाकी और कविताओं से.... ये अंदाज नया है मगर अच्छा है, इसमें खुशी की महक है।
ReplyDelete