कल रात देवांशु ने पूरे जोश में आकर एक नज़्म डाली अपने ब्लॉग पर, डालने से पहले हमें पढाया भी, हमने भी हवा दी, कहा मियाँ मस्त है छाप डालो... और तभी से उनकी गुज़ारिश है कि हम उसपर कोई कमेन्ट करें (वैसे सच्चे ब्लॉगर लोग के साथ यही दिक्कत है , उन्हें कमेन्ट भी ढेर सारे चाहिए होते हैं ...) हमें भी लगा, ठीक है चलो साहब की शिकायत दूर किये देते हैं ... कमेन्ट क्या पूरी की पूरी पोस्ट ही लिख मारी ...
ये है उसकी लिखी नज़्म ...
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तुम जो नहीं हो तो...
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चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है |
यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ,
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी |
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है |
फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं. महकती ..
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और अब कुछ बातें जो मुझे कहनी है ....
कई सारी बातें हैं जो लेखक (या कवि, जो भी कह लो क्या फर्क पड़ता है... कौन सा उसने नोबेल पुरस्कार मिलने वाला है ...) को बतानी ज़रूरी हैं....
तुम जो नहीं हो तो... (जब नहीं है तो ये हाल है, अच्छा ही है नहीं है.. होता तो ये सब पढ़कर निकल ही लेने में फायदा नज़र आता उसको भी...)
यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ...
बताईये रात को भी जगाकर खुश हो रहे हैं साहब, ज़रा भी नहीं सोचा कि और भी आशिक होंगे जिनको रात को जल्दी से सुला देने में ज्यादा इंटरेस्ट होगा... ऐसे स्वार्थी किस्म के आशिक न खुद भी कुछ नहीं करेंगे दूसरों पर भी रात का पहरा लगा दिया है...
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी..
ये तो हमको हार्डवेयर प्रॉब्लम लगता है, देखो बेटा हमारी बात मानो तो हमारे घर के पास एक होम्योपैथी का बहुत अच्छा क्लिनिक है वहां तुमको दिखवाये देते हैं... गंभीर बीमारी लगती है...
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है..
अबे रात के पौने ग्यारह बजे की पोस्ट में तुमको कौन सा सूरज सायरन दे रहा है, भारी घनघोर समस्या है, हमारे ख्याल से तो तुमको अगल बगल के पडोसी गाली दे रहे हैं, अरे इतनी देर से रात को जगाकर रखा है... और भगवान् के लिए कौवे को गौरैया मत समझा करो यार... :-(
अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है ,
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा..
अबे दुनिया की ऐसी कोई चीज छोड़ी भी, शाल ओढ़ कर छुप गया है, और नहीं तो क्या... छुपे नहीं तो क्या करे बेचारा... देखो बेटा बाकी सब तो ठीक है, लेकिन चाँद को यूँ परेशान मत किया करो बहुत लोगों की बददुआ लगने का खतरा है... क्यूंकि बच्चों के लिए वो मामा है, शादीशुदा स्त्रियाँ उसी चाँद को देखकर करवाचौथ का व्रत तोडती है (और देखो न करवाचौथ आने भी तो वाला है..) और प्रेमियों के लिए तो चाँद सब कुछ है.. तो बच के ही रहो...
मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है..
हाँ सही है अब जाग जाओ और दफ्तर को निकलो... खुद तो वेल्ले बैठे रहेंगे और दुनिया को भी परेशान करते रहेंगे... हुह्ह्ह्ह...
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ये पोस्ट सिर्फ इसलिए ताकि लोग इसी तरह नज़्म लिखते रहे और उनकी सप्रसंग व्याख्या के साथ साथ हमारे ब्लॉग का भी दाना पानी चलता रहे... :) मुझे पता है देवांशु माईंड नहीं करेगा क्यूंकि उसके लिए उसको घुटनों पर जोर डाल डाल के माईंड खोजना पड़ेगा और वो तो मिलने से रहा... कसम से....
ये है उसकी लिखी नज़्म ...
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तुम जो नहीं हो तो...
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चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है |
वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर,
सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी,
अभी भी चहक रहा है, बस थोड़ा सुस्त है |
यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ,
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी |
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है |
अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है ,
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा |
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा |
मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है |
गमलों में बालकनी है, डालें उससे लटक रही हैं ,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है |
गमलों में बालकनी है, डालें उससे लटक रही हैं ,
फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं. महकती ..
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और अब कुछ बातें जो मुझे कहनी है ....
तुम जो नहीं हो तो... (जब नहीं है तो ये हाल है, अच्छा ही है नहीं है.. होता तो ये सब पढ़कर निकल ही लेने में फायदा नज़र आता उसको भी...)
वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर,
सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी,
साला, परेशान तुम हो और उस
बेचारे जुगनू को रात भर थकाए दे रहे हो... वो भी सोचता होगा किस आशिक के
चक्कर में पड़ गए... हद्द होती है यार.... बेचारा जुगनू.... :-( यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ...
बताईये रात को भी जगाकर खुश हो रहे हैं साहब, ज़रा भी नहीं सोचा कि और भी आशिक होंगे जिनको रात को जल्दी से सुला देने में ज्यादा इंटरेस्ट होगा... ऐसे स्वार्थी किस्म के आशिक न खुद भी कुछ नहीं करेंगे दूसरों पर भी रात का पहरा लगा दिया है...
आँख में जगने की नमी है,
दिल में नींद की कमी..
ये तो हमको हार्डवेयर प्रॉब्लम लगता है, देखो बेटा हमारी बात मानो तो हमारे घर के पास एक होम्योपैथी का बहुत अच्छा क्लिनिक है वहां तुमको दिखवाये देते हैं... गंभीर बीमारी लगती है...
सूरज के आने का सायरन,
अभी एक गौरेया बजाकर गयी है..
अबे रात के पौने ग्यारह बजे की पोस्ट में तुमको कौन सा सूरज सायरन दे रहा है, भारी घनघोर समस्या है, हमारे ख्याल से तो तुमको अगल बगल के पडोसी गाली दे रहे हैं, अरे इतनी देर से रात को जगाकर रखा है... और भगवान् के लिए कौवे को गौरैया मत समझा करो यार... :-(
अब चाँद बादलों की शाल ओढ़ छुप गया है ,
सो गया हो शायद, थक गया होगा रात भर चलता जो रहा..
अबे दुनिया की ऐसी कोई चीज छोड़ी भी, शाल ओढ़ कर छुप गया है, और नहीं तो क्या... छुपे नहीं तो क्या करे बेचारा... देखो बेटा बाकी सब तो ठीक है, लेकिन चाँद को यूँ परेशान मत किया करो बहुत लोगों की बददुआ लगने का खतरा है... क्यूंकि बच्चों के लिए वो मामा है, शादीशुदा स्त्रियाँ उसी चाँद को देखकर करवाचौथ का व्रत तोडती है (और देखो न करवाचौथ आने भी तो वाला है..) और प्रेमियों के लिए तो चाँद सब कुछ है.. तो बच के ही रहो...
मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,
सुबह जगने का अलार्म बज चुका है..
हाँ सही है अब जाग जाओ और दफ्तर को निकलो... खुद तो वेल्ले बैठे रहेंगे और दुनिया को भी परेशान करते रहेंगे... हुह्ह्ह्ह...
गमलों में बालकनी है, डालें उससे लटक रही हैं ,
फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं महकती ...
गमलों में बालकनी ??? फूलों से तुम्हारी (किसकी) खुशबू ??? लो जी अब तो प्रॉब्लम सोफ्टवेयर तक पहुँच चुकी है... जितनी जल्दी हो सके आगरे का रुख करो... फूल भी हैं , बस तुम्हारी खुशबू नहीं महकती ...
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ये पोस्ट सिर्फ इसलिए ताकि लोग इसी तरह नज़्म लिखते रहे और उनकी सप्रसंग व्याख्या के साथ साथ हमारे ब्लॉग का भी दाना पानी चलता रहे... :) मुझे पता है देवांशु माईंड नहीं करेगा क्यूंकि उसके लिए उसको घुटनों पर जोर डाल डाल के माईंड खोजना पड़ेगा और वो तो मिलने से रहा... कसम से....
तुम लोगों ने ग्रुप निर्णय लिया है अच्छी खासी नज्मों और तस्वीरो का खून करने का ... देखो कहीं नज्में और तस्वीरे अपनी सेट्टिंग से तुम्हे हाइड ना कर दे :-) हैंडल विद केयर
ReplyDeleteअरे Sonal दी, बहुत दिनों से हम गुलेल लेकर निशाना खोज रहे थे, आज देवांशु पकडाया है तो कहाँ उसको छोड़ने वाले थे.. अभी तो उसको इसकी भनक तक नहीं है... अभी जब आएगा तो तो उसके होश फाख्ता हो जायेंगे... ;-) :-P
Deleteशेखू होश फाख्ता नहीं, दिल बाग़ बाग़ , दिल गार्डेन गार्डेन हो गया | कल जब तुमसे चैटिया रहे थे ( जब तुमको ये नज़्म/कविता/तुकबंदी/झोलझाल भेजी थी कि देखो ठीक है भी कि नहीं ) उस टाइम पर भी एक खुराफात चल रही थी | जिसके २ गवाह भी हैं | या ये कहो हमें पता था कि तुम इस टाइप की कोई हरकत ज़रूर करोगे , इसलिए गवाह रख लिए थे पहले ही ( बाकी की बातें वक़्त आने पर पता चलेंगी )|
ReplyDeleteऔर मुझे तो इसके पीछे २ लोगो का हाथ लगता है , एक है चेन्नई वाले पीडी और दूसरे हैं बंगलौर वासी दिल्ली निवासी अभिषेक बाबू , अभिषेक को भी सुबह लिंक हम ही भेजे थे की वो टांग खींचे तो मजा आये पर वो कुछ ज्यादा सीधे टाइप निकले , तारीफ़ करके निकल लिए | खैर !!! कोई नहीं !!!
अब आते हैं पोस्ट पर : लिखे तो अच्छा हो | बस ये बताओ की करवा चौथ का इंतज़ार काहे कर रहे हो वो भी बड़ी बेसब्री से :) :)
देखो आज हम सुबह सुबह दफ्तर आये, आते ही तुम पिंग मार दिए तो हम सोचे चलो बन्दा इतना छटपटा रहा है... इसकी मनोकामना पूरी किये देते हैं... और इस पोस्ट कि भनक किसी को लगे इसका टाईम ही नहीं था... आनन् फानन में पोस्ट लिख के मार दी...
Deleteरही बात करवाचौथ की तो हमें भूखे रहने का कोई शौक नहीं है, और न ही किसी को भूखे रखवाने का..
संयोग यह कि हमने कल और आज मिलाकर शेखर की कुछ पोस्टें पढ़ीं। उसके बाद ये शानदार मित्र-तारीफ़ वाली पोस्ट। दोनों का दोस्ताना देखकर बहुत अच्छा लगा। पोस्ट में जब पढ़ा:
Deleteमुझे पता है देवांशु माईंड नहीं करेगा क्यूंकि उसके लिए उसको घुटनों पर जोर डाल डाल के माईंड खोजना पड़ेगा और वो तो मिलने से रहा
तो मुझे बहुत अच्छा लगा यह देखकर कि आजकी युवा पीढ़ी के लोग अपने दोस्तों को न सिर्फ़ बहुत अच्छी तरह समझते हैं बल्कि उनको अपने एकदम सरीखा ही समझते हैं।
भगवान बचाए तुम जैसे ब्लोगरों और कमेंटरों से:). वैसे हमें पता था कि ऐसा कुछ होने तो वाला है अब इतना तो यकीन इस भाई गैंग पर है ही.
ReplyDeleteवैसे यूँ किसी की रोमांटिक सी कविता पर जलना ठीक बात नहीं :) करवा चौथ आ रही है अपना चाँद ढूंढ कर तुम भी लिख डालो कुछ :):).
हालाँकि यह भी बुरा नहीं लिखा:).सुबह हँसते हुए हुई.
शिखा दी हम तो बहुत ही सभ्य समझे जाने वाले ब्लौगर(कमेन्टर) हैं, लेकिन क्या करें घोड़े को घास दिख जाए तो फिर काहे की शरीफियत.. उस पर से खुराफात मचाने का अलग ही मज़ा है...
Deleteबेहतरीन नज़्म, उत्तम विचार जैसे कमेन्ट पढ़ पढ़ कर ब्लौगर ऊब जाता है... तो इसलिए इस तरह की पोस्ट से रिफ्रेसमेंट होती है... बाकी लिखते तो सभी अच्छा है... और सब पर तारीफों के लम्बे लम्बे कसीदे भी पढ़े जाते हैं... थोडा डिफरेंट करना पड़ता है...
shekhar i'm blocking you !!!!!!!
ReplyDeleteकहीं तुमने ऐसी टिप्पणी मेरी रचना पर दी तो हमारा तो दाना पानी उठ जाएगा लेखन की दुनिया से :-)
अर्रे स्माइली गलत बन गयी :-/
अनु
अनु जी संभल कर रहिएगा... लेकिन ऐसी हरकत हम कभी कभी ही करते हैं... सो ज्यादा खतरा नहीं है... :)
Deleteहा हा हा :D :D
ReplyDeleteखतरनाक पोस्ट हैं और आप तो और भी ज्यादा खतरनाक आदमी मालुम पड़ते हैं ;)
हा हा हा... आदमी तो हम बहुत सीधे सादे हैं लेकिन क्या करें... हमें इस पोस्ट के लिए उकसाया गया है... :P ;-)
Deleteलेकिन हमको लगता है की जैसे होलीवुड फिल्मों से इंस्पायर्ड होकर हमारी फ़िल्में बनती हैं न वैसे ही अजय भैया से इंस्पायर्ड होकर आपने ये पोस्ट लिखी है...अजय भैया कॉपीराईट का दावा ठोक सकते हैं!!
ReplyDelete
Deleteअजय भैया की नक़ल... राम राम राम.... हमारी इतनी हिम्मत.... :-/
ही ही ही हम जैसे नज्म कविताओ के कम जानकारों के लिए उत्तम पोस्ट जहा उसका अर्थ भी विस्तार से बता दिया जाये ताकि समझाने में अपना दिमाग कम खर्च हो और बात समझ में भी आ जाये :)
ReplyDeleteअंशुमाला जी, बहुत दिनों बाद आपको अपने ब्लॉग पर देखकर अच्छा लगा.. अगर इस तरह की पोस्ट से आपका आना फिक्स हो तो बोलिए और भी कई कवि हैं ब्लॉग जगत में और लिखते भी वो बहुत सारा हैं... :D :P
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Delete@तो बोलिए और भी कई कवि हैं ब्लॉग जगत में
क्यों ब्लॉग जगत से जी उब गया है क्या इस बार बच गए क्योकि सामने वाले ने घुटनों पर जोर नहीं डाला, वरना ब्लॉग जगत को कइयो से तो परचित ही हो आप , जो हर बात बेबात पर जोर लगा ही देते है :)
अंशुमाला जी, हमें भी इतने दिनों में इंसानों की समझ हो गयी है.. :)
Deleteबहुत अच्छे बच्चे. हम तो सोचे थे कुछ 'रोमैंटिक' सा लिखे होगे. तुम तो यहाँ खिंचाई कर रहे हो:)
ReplyDeleteदेवांशु की ये नज़्म तो कल पढ़ी थी मैंने. टिप्पणी नहीं की क्योंकि अक्सर नज़्म और कविता पर कुछ सूझता नहीं कि क्या टिप्पणी की जाय. अगर ऐसी टिप्पणी करनी हो तो मज़ा आ जाए:)
वैसे नज़्म सच में बहुत अच्छी थी.
हा हा हा... अब तो सबको पता चल ही गया है कि यहाँ रोमैंटिक पोस्ट ही मिलेगी तो आज थोडा टेस्ट बदल दिया... नज़्म तो वाकई में बहुत अच्छी थी लेकिन अब तो उसकी ऐसी की तैसी हो गयी है...
Deleteहम भी इसी तरह संदर्भ और व्याख्या करते थे, जब कॉलेज में पढ़ते थे, लगे रहें, इसी बहाने रचना अच्छी लगी ।
ReplyDelete:-)
Deleteहा..हा...हा...बहुत ही रोचक पोस्ट |देवांशु जी ने क्या-क्या भाव सोचकर लिखे होंगे ये नज़्म और आपने उन भावों को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया.....खैर ये प्रयोग बहुत ही धासूं लगा...:)
ReplyDeleteसादर |
अरे मन्टू क्या करें, ऐसा करते रहने से ब्लॉग पर मन लगा रहता है... :)
Deleteहमें तो रचना बड़ी गम्भीर लग रही है, न जाने कितना विचार और भाव समाहित हैं इसमें..
ReplyDelete
Deleteरचना तो वाकई में गंभीर है, लेकिन बस ऐसे ही थोड़ी मसखरी थोडा मज़ा... नथिंग पर्सनल.... :)
बेटा अब तुम हम से बचे रहना ... ;-)
ReplyDeleteकुछ तो फर्क है, कि नहीं - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !
ha ha ha... :D
Deletebulletin mein shamil karne ke liye thanku...
ये पोस्ट सिर्फ इसलिए ताकि लोग इसी तरह नज़्म लिखते रहे और उनकी सप्रसंग व्याख्या के साथ साथ हमारे ब्लॉग का भी दाना पानी चलता रहे... :)
ReplyDeleteचलो हम तो बरी हो गए...कविताएँ नहीं लिखते (अधिकतर )
पर व्याख्या क्या खूब की है...भाई वाह :):)
अब दोस्त ही तो ऐसी लिबर्टी ले सकते हैं...
Rashmi दी... ऐसा नहीं है कि बाकी लोग बच जायेंगे.... ;-)
Deleteये भी बहुत खूब रही |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
ही ही ही..
ReplyDeleteबेटा पढ़ के तो हमको खुबे हँसी आई...
लेकिन तुम्हारा इस पोस्ट के बाद बाद का फ्युचर सोच के और भी जोर की हँसी आई...
बेटा मस्त अब तुम कढाई में डाल कर फ्राई किये जाने वाले हो.. और आह... उह.... किये तो नमक का भी छिडकाव किया जायेगा ...
और मस्त टेस्ट ले ले ले तुमको चाव से अब खाया जायेगा....
हाँ कहीं भी छुप लो (वैसे भी ब्लागर बेचारा छुप के जायेगा भी तो जायेगा कहाँ.. लौट के तो हर हाल में यहाँ ओओगे ही) अब लेकिन बच नहीं पाओगे .... मस्त तुम्हें टालते देख कर अपन को बड़ा मजा आने वाला है..
अगर हमको तला गया तो हम भी सबको खीच लेंगे मैदान में... और नहीं तो क्या... तुम भी बहुत मज़ा ले रहे हो बच्चू...
Deleteधमकी ????
Deleteहमारा तो उम्र निकल गया है.. इसलिए बच्चा लोग के बीच से इकल जाते हैं..
ReplyDeleteरोचक पोस्ट
ReplyDeleteजिस तरह ससंदर्भ सप्रसंग व्याख्या की है बेट्टा लग्त है कि बस.... हिन्दी में ही इज़्ज़त वाले मार्क्स लाते होगे... मगर हमें क्या.. कौन सा हमारी बेइज़्ज़ती हुई है ... देवांशु ने भि तो कम मज़े नहीं लिये हैं दुनिया वालों के... gud work :D
ReplyDeleteतुम्हारा बेइज्जती इतनी आसानी से थोड़े न खराब होने देंगे.... by d way.. Thankz 4 d appreciation... :-)
Deleteइसकी व्याख्या हम भी करते हैं फुर्सत निकाल कर.. यहीं कमेन्ट करेंगे.. घबराओ मत..
ReplyDeleteबोले तो... देवांशु के पोस्ट का कि मेरे पोस्ट का... :P
Delete