कभी जब छुट्टियों में
लौटता हूँ उस शहर को
तो वो नुक्कड़ मुझे
बेबस निगाहों से
ताक लिया करता है...
उस पुरानी इमारत पर
पड़ चुकी काई
मुझे देख फिसल सी जाती है,
वो गलियां अब मुरझा गयी हैं
वो खिड़की भी अब
अधखुली सी ऊँघती रहती है...
दिल करता है कभी
पूछूँ इस खस्ता सी चाँदनी से
क्या अब भी हर शाम
वो खिड़की खुलती है...
क्या झाँकता है कोई
अब भी उस खिड़की से...
लौटता हूँ उस शहर को
तो वो नुक्कड़ मुझे
बेबस निगाहों से
ताक लिया करता है...
उस पुरानी इमारत पर
पड़ चुकी काई
मुझे देख फिसल सी जाती है,
वो गलियां अब मुरझा गयी हैं
वो खिड़की भी अब
अधखुली सी ऊँघती रहती है...
दिल करता है कभी
पूछूँ इस खस्ता सी चाँदनी से
क्या अब भी हर शाम
वो खिड़की खुलती है...
क्या झाँकता है कोई
अब भी उस खिड़की से...
अबे आखिर का दु लाइन काहे खा गए हो लिखने में .............आवाज त एकदम रेडियो जाकी जईसन लगा बे :)
ReplyDeleteओहह !!! गलती हो गया भैया, दरअसल लिखने समय वो नहीं लिखा था लेकिन रिकॉर्ड करते समय बोल दिया.... अभी जोड़े देता हूँ....
Deleteअरे वाह! ..... कर ही लिया आखिर .... धन्य हुई मैं ... :-P
ReplyDeleteअच्छा है!! जिसे पढते थे उसकी आवाज़ सुनना अपने आप में एक एक्सपीरिएंस है!!
ReplyDeleteम्यूजिक ज़रा लाउड है!!
कल 15/11/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत भाई.... :)
Deleteमज़ा आया सुन के ... और हां जरूर झांकता होगा खिड़की से कोई ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह गुलज़ार साहब!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.....
लिखा भी सुन्दर...पढ़ा और भी सुन्दर.....
टाइपिंग एरर ठीक कर लो...फिसल "सी" जाती है...
:-)
(और हाँ...खिड़की से कोई नहीं झांकता...वो भी तो तुम्हारे शहर चली आयी थी तुम्हारे पीछे पीछे.....)
सस्नेह
अनु
क्या कहूँ.... वो खिड़की तो कब की बंद हो गयी हमेशा के लिए और न ही कोई कोई मेरे पीछे आया... खैर, थैंक यू.... :)
Deleteवैसे संतोष जी के कमेन्ट पर गौर कर लिया जाये.... :)
Deleteबहुत सुन्दर कविता। खिड़कियों का खुलना बंद नहीं होता, हाँ मकान बदल जाते है।
ReplyDeleteआज पहली बार आपकी आवाज़ सुनी. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteये ऑडियो कैसे लिंक करते है? क्या आप बता सकते है, मुझे?
This comment has been removed by the author.
Deletekaphi achi kavita hai
ReplyDeleteaap Hindi Shayari nhi likhte hai kya