कभी-न-कभी
हम कलैंडर के
उस पन्ने पर पहुंचेंगे
जब तकिये पर अटकी
उन आखिरी झपकियों के सहारे,
हम देख रहे होंगे
अपनी ज़िंदगी के कुछ आखिरी सपने,
हमारे सपने यहीं रहेंगे,
इसी धरती पर
चाहे हम रहें न रहें....
हम कलैंडर के
उस पन्ने पर पहुंचेंगे
जब तकिये पर अटकी
उन आखिरी झपकियों के सहारे,
हम देख रहे होंगे
अपनी ज़िंदगी के कुछ आखिरी सपने,
हमारे सपने यहीं रहेंगे,
इसी धरती पर
चाहे हम रहें न रहें....
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