"पता है, तुम खुश रहोगे तो मैं हमेशा खुश रहूंगी..."
"लेकिन मेरी ख़ुशी तो तुम्हारे साथ रहने में है..."
"आज न कल तो तुम्हें अकेले खुश रहना सीखना होगा न..."
"पर मैं तो ऐसे खुश नहीं रह पाऊंगा कभी...."
"फिर मैं भी दुखी रहूंगी हमेशा...."
"मैं तुम्हें दुखी नहीं देख सकता...."
"तो फिर खुश रहना सीख लो...."
"ठीक है..."
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"कैसे हो ? "
"ठीक हूँ..."
"सच कह रहे हो न ?"
"हाँ, बोला तो..., तुम खुश हो न.."
"हाँ, तुम खुश हो तो मैं भी खुश...."
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कीमत किस चीज की नहीं होती... हर बात, हर चीज, हर ज़िन्दगी, हर ख़ुशी यहाँ तक की हर दुःख की भी अपनी एक कीमत होती है... किसी और की ख़ुशी की कीमत का रास्ता कभी-कभी अपने दुःख से होकर गुजरता है... पर इस सबसे ज्यादा मुश्किल है दुखी होकर भी खुद को खुश दिखाना, अब ये हुनर कहाँ से लाये इंसान पता नहीं... ये जहां सच में झूठा है, सच में... यहाँ हम अपनी मर्ज़ी से दुखी भी नहीं हो सकते..
कभी किसी ने कहा था कि हमेशा अपने दिल की सुनना आज कोई उसी दिल को रौंद के आगे बढ़ जाने को कह रहा है... दूसरों के लिए वो सब कुछ कह देना उतना ही आसान होता है जितना तपती धूप में किसी का थक कर गिर जाना....