एक पुरानी कविता पुरानी टिप्पणियों के साथ...
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तुम शायद भूल गए वो पल,जब उन नन्हे हाथों से
मेरी ऊँगली पकड़कर तुमने चलना सीखा था,
अपने पहले लड़खड़ाते कदम मेरी तरफ बढ़ाये थे.....
तुम शायद भूल गए...
जब मैं तुम्हारे लिए घोडा बना करता था
तुम्हारी हर बेतुकी बातें सुना करता था,
परियों कि कहानियां सुनते सुनते
मेरी गोद में सर रख कर न जाने तुम कब सो जाते थे,
जब मेरे बाज़ार से आते ही
पापा कहकर मुझसे लिपट जाते थे,
अपने लिए ढेर सारे खिलोनों कि जिद किया करते थे.
तुम शायद भूल गए...
जब दिवाली के पटाखों से डरकर मेरी गोद में चढ़ जाया करते थे,
जब मेरे कंधे पर सवारी करने को मुझे मनाते थे,
जब दिनभर हुई बातें बतलाया करते थे...
आज जब शायद तुम बड़े हो गए हो,
ज़िन्दगी कि दौड़ में कहीं खो गए हो,
ज़िन्दगी कि दौड़ में कहीं खो गए हो,
आज जब मैं अकेला हूँ,
वृद्ध हूँ, लाचार हूँ,
मेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ....
तुम ठीक तो हो न ....
nice effort
ReplyDeleteसच में, भूल तो गये.
ReplyDeleteभावुक कर गई आपकी रचना!
bahut sundar..........
ReplyDeletepata nahin kaise........
magar aaj se 7 din pehle hi maine bhi isi theme pe kavita likh rakhi hai jo main 1 May ko post karne wala hoon. maine socha shayad main hi pehla hoon iske liye...khair! ye achhi baat hai ki hamare man ke bhav kafi milte julte hain.....
kya farak padta hai pehle aap ya pehle main?
kafi achha hai.......subeh ki pehli kavita padhi aur kafi achhi rahi shayad din achha jaye.
dhanyavad.......aur badhayi.....
bahut sundar aur bhawpurna kavita hai ... badhai !
ReplyDeleteसुबह होती है , शाम होती है .. और इंतज़ार में किसी के यूँ ही जिन्दगी तमाम होती है
ReplyDeletebhoolte kuch nahi hum bas ik waqt me jo cheez mahatv rakhti hain hmare liye kisi dusre waqt koee or cheez...kabhi khilone,kabhi eraser kabhi kuch kabhi kuch,par maa baap ka pyaar waqt ke sath nahi badlata...
ReplyDeleteसुन्दर भाव,अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeletewo bade jab phir bachche se asamarth ho jate hain, jo hamen bada banate hain ...... hum kyun us pyaar se door vyavaharik ho jate hain,... bhool jate hain ki hamen bhi phir asamarth ho jana hai.... bahut hi bhawpoorn rachna
ReplyDeleteBeautifully presented feelings of parent.
ReplyDeleteGod bless you.
behad achhi vishay..achhe ehsaas...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति आँख भर आयी पढ़कर।
ReplyDeleteबहुत मार्मिक विषय ....अकसर ऐसा होता है कि लोग उन हाथों को भूल जाते हैं जिनको पकड़ कर चलना सीखा था.....मन को भावुक कर गयी ये रचना...
ReplyDeletesundar ehsaas..acchi soch!!
ReplyDeleteutni hi khubsurat kavita!
rishtey jindagi ka ek khoobsurat ehsaas hain..
ReplyDeleteaur uski ko bakhoobhi gadha hai aapne!
बहुत खूब .....
ReplyDeleteकितनी सही तस्वीर खिंची है आपने .....
कोई उन बुजुर्गों से जाकर पूछे जो वृद्धाश्रम घरों से ठुकराए हुए पड़े हैं ......
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteसमाज का वास्तविक चित्रण , प्रशंसनीय ।
ReplyDeletesahi kahi....hum bade ho jate hai...par hamre parents kay liye hamesha bacche hi rehte hai....woh hamesha hamri fikar karte hai....nicely written,ever words gives feelings....thanx for nicee lines
ReplyDeletefull with emotions. very good.
ReplyDeleteKamaal hai Shekhar!!!
ReplyDeleteEk hi vishay par tumhaari aur meri kavita!
Zindagi ke 'sooryaast' par aksar upekshit mata-pita ye hi poochhte hain ki 'tum kahan ho?'
Eeshwar kisi ko aisa din na dikhaaye!
Umda abhivyakti, bhavpoorn rachna!
main nahi bhoola wo din, aur meri yaadon ko aur taaza kar diya aapki kavita ne..... bahut hi bhavuk kar diya aapki is rachna ne...... bachpan mein jaise main ullas se bol parta tha wahi aaj fir se isey padh bolne ki fir se ichha jaag uthi hai....."MAST"
ReplyDeleteBahut sundar rachna....
ReplyDeleteबबहुत ही सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteआभार..............
नन्हे मन की नन्हीं बातें...भला कोई भूलता है...प्यारी है ये कविता.
ReplyDeletebahu bahut sunder rachna bhavo se bharpooor ...likhte rahiye ..best wishes :)
ReplyDeleteदिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है और आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
ReplyDeletebeautiful n touching..
ReplyDeletehaqikat ko charitarth karti aapki yah post dil hi dil me bahut kuchh kaha gai.bhaukta se bhari rachana.
ReplyDeletepoonam
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया .....ख़ुशी के साथ अफ़सोस भी हुआ .....:() :(
ReplyDeleteअब तक जो दूर था ....एक भावुक और सच के करीब ...शानदार प्रस्तुति
बहुत सुंदर
ReplyDeleteतुम कहाँ हो ???
ReplyDeleteमाता पिता हमेशा चिंतित रहते हैं !आपकी रचना पढकर मन उदास हो गया और आँखें भीग गई ! समवेदन शील रचना ! बधाई !
Aah jab bachhe bade ho jate hain to unhen apne maa baap bachhon jaise aparipakv lagne lagte..unki baat sun leneki fursat hoti nahi,bewajah jhidak dete hain...sankuchit ho rahe pariwaron me ab fursatke lamhen khatm ho gaye..
ReplyDeleteवाह आज भी उसकी सलामती की चिंता ..... अपना सब कुछ खोने के बाद भी ... मार्मिक अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteHello :)
ReplyDeleteBahut hi badiya likha hai aapne.
Sorry I couldnt leave a comment before... was a bit occupied with work.
Gehraai aur sachhh :)
Bahut achha!!
बहुत ही सुन्दर तरीके से आपने एक पिता के व्यथा को दर्शाया है । दिल को छू गई आपकी यह रचना ।
ReplyDeletevery nice :-)
ReplyDeleteregards,
Deepak
cadeepaknarula.blogspot.com
nostalgicwrites.blogspot.com
Sundar aur bhavpurn.badhai.
ReplyDeletebhaut sahi kaha hai aapne, hum apne dainik karyo me itne kho gaye hai, ki yeh bhul chuke hai, ki jub hum bachche the, tab hamare mata pita apni har vyastata ke baawjud hamare liye har wah kaam karte the, jiski hum jidd karte the,,,
ReplyDeletebhaavuk kar dika aapki rachna ne, bahut he utkrisht rachna hai, badhai!
amit~~
भावनाये बहुत अच्छी लगी और आपने लिखा भी बहुत अच्छे विषय पर है..ऐसा हर जगह हो रहा है..
ReplyDeleteबहोत ही सुन्दर कविता शेखर भाई .....
ReplyDeleteवृद्ध हूँ, लाचार हूँ,
मेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ....
बहोत खूब ........
धन्यवाद
bahut hi maarmik..bhaavpurn rachna.dil ko chhoo gayee.
ReplyDeleteएक बाप की ममतामई अनुभवों को उजागर करती सुन्दर पोस्ट | आभार|
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकविता लिखने के लिए ये विषय आपने लिया बहुत बधाई ..बहुत लोगो को पिता की याद आ जाये ये भी उम्मीद करती हूँ ........
ReplyDeleteदिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ....
अंतिम पन्तियाँ बहुत भावपूर्ण .........
bahot sundar...aaj ka yathart...apki ye rachna padh kar yakeen hai ki aap nahi bhule honge unhe...mai bhi nahi bhulti aur bhagwaan se pahle unka naam leti hu.
ReplyDeleteकाफी सुन्दर लगी ये कविता!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअपनी टिप्पणी अपनी ही आवाज में Voice mail द्वारा भेजना चाहता हूँ।
इस कडी पर आप मेरी आवाज सुन सकते हैं
http://vocaroo.com/?media=vsWJY0BM6Z2HywMiX
speaker on कीजिए और मेरी टिप्प्णी सुनिए।
कडी सार्वजनिक है और कोई भी इसे सुन सकता है।
यदि आप और (अन्य मित्र भी) ठीक से सुन सकते हैं तो इस प्रयोग को सफ़ल समझूँगा और आगे भी voice द्वारा अपनी टिप्प्णी भेजा करूंगा।
जब लिखने के लिए समय नहीं हैं तो यह एक आसान तरीका है।
ज्यादा जानने के लिए vocaroo.com आजमाइए।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
वृद्ध हूँ, लाचार हूँ,
ReplyDeleteमेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
shekhar ji , bahut hi bhavuk kavita....gahre jajbat ke sath.
यही तो ज़िन्दगी की अमिट सच्चाई है……………सुन्दर भाव समन्वय्।
ReplyDeleteसुन्दर अहसासों की मार्मिक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
आज जब मैं अकेला हूँ,
ReplyDeleteवृद्ध हूँए लाचार हूँ,
मेरे हाथ तुम्हारी उँगलियों को ढूंढ़ते हैं,
लेकिन तुम नहीं हो शायद,
दिल आज भी घबराता है,
कहीं तुम किसी उलझन में तो नहीं ,
तुम ठीक तो हो न ।
इस कविता में पुत्र के प्रति एक पिता की संवेदना मार्मिक ढंग से व्यक्त की गई है।
...प्रभावशाली रचना।
Kitna sunder chitran hai ek putra ke liye uske pita ke komal pyar va fikra ka, Mann ko chhoone vale ahsaas hain aapki rachna me.......
ReplyDeletedil ko choo lene wali rachna..........behtreen
ReplyDeleteनए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता!
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteनये साल में नयी रचना जरूर लगाना!
ReplyDeleteविश्वनाथ जी
आपकी टिपण्णी सुनी...
अपने आप में वाकई बड़ा नया अनुभव था..ये टिपण्णी मेरे लिए अनमोल है...
टिपण्णी को डाउनलोड कर लिया है...बहुत बहुत धन्यवाद....
और आप तो बड़ी अच्छी हिंदी बोल भी लेते हैं...:)
Very Nice
ReplyDeleteNAYA SAAL 2011 CARD 4 U
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please open it
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Yad Rakhna mai ne sub se Pehle ap ko Naya Saal Card k sath Wish ki ha….
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
सच बयानी इसे ही कहते हैं। कॄपया इस पर भी गौर करें,आभार।http://amit-nivedit.blogspot.com/2010/12/blog-post_08.html
ReplyDeleteनए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
ReplyDeleteआज आयेगी ९ बजे रात को नई पहेली
पूछा था आपने सो बताना ठीक समझा जी ....
आप सभी को नए साल की मुबारकबाद अल्लाह आपकी जिन्दगी को खुशियों से भर दे http://aapkiamanat.blogspot.com
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