इस पहेली के विजेता हैं प्रकाश गोविन्द जी.. ( १०० अंक )
और उपविजेता हैं वंदना महतो जी ( ९९ अंक )
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आप सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई और जिनके जवाब गलत रहे उन्हें अगली पहेली के लिए शुभकामनाएं |
चलते चलते आप सबको जयशंकर प्रसाद जी की ये कविता याद दिलाता चलूँ....
अरुण यह मधुमय देश हमारा ...
अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका जीवन हरियाली पर मंगल कुंकुम सारा।। लघु सुरधनु से पंख पसारे शीतल मलय समीर सहारे। उड़ते खग जिस ओर मुँह किए समझ नीड़ निज प्यारा।। बरसाती आँखों के बादल बनते जहाँ भरे करुणा जल। लहरें टकरातीं अनंत की पाकर जहाँ किनारा।। हेम कुंभ ले उषा सवेरे भरती ढुलकाती सुख मेरे। मदिर ऊँघते रहते जब जग कर रजनी भर तारा।। - जयशंकर प्रसाद |
आदरणीय प्रकाश गोविन्द सर को विजेता बनाने पर ढेरों शुभकामनाएँ ....
ReplyDeleteवन्दना महतो जी को भी ढेरों शुभकामनाएँ ....
इस सुन्दर पहेली को आयोजित करने के लिए शेखर जी को भी बधाई...
आशीष मिश्रा जी उम्मीद है अगली पहेली में आपके दर्शन जरूर होंगे...
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई ......
ReplyDeleteइतनी सुंदर कविता पढवाने के लिए धन्यवाद ......
विजेताओं को बधाई !
ReplyDeleteजयशंकर प्रसाद जी की कविता पढवाने के लिए शुक्रिया ... इसे पढ़ो तो पाता चलता है कि कितने उच्चकोटि के कवि थे प्रसाद जी ..
@ शेखर जी हम तो यही डेरा जमाये बैठें है .............:)
ReplyDeleteसभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteजहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को
ReplyDeleteमिलता एक सहारा।
aur kaun likh sakta tha aisa, prasad ji ke siva. jo kshitij ko hi sahara de, vo hamare desh ke siva aur kaun ho sakta hai....shukriya ye padhvaane ke liye dost
सांझ ...
ReplyDeleteआपका स्वागत...
विजेताओं को हार्दिक बधाई ......
ReplyDeleteसभी विजेताओं को हार्दिक बधाई
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई !
ReplyDeleteजयशंकर प्रसाद जी की कविता पढवाने के लिए शुक्रिया॥
प्रकाश गोविन्द तो पहेलियों का एन्साईक्लोपीडिया है। प्रकाश और वन्दना को बहुत बहुत बधाई। कविता बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई ......
ReplyDeleteप्रकाश गोविन्द सर को विजेता बनाने पर ढेरों शुभकामनाएँ ....
ReplyDelete.
ReplyDeleteसुमन जी आपने बड़ी ही सुन्दर व्यवस्था बना रखी है कार्यक्रमों को करने की. सप्ताह में प्रति दिन नया स्वाद. वाह.
सुमन जी .. करना कोई उपाय
स्पर्धा ... कुछ ऎसी हो जाय
बेरोजगारों की होवे .... आय
परस्पर का भय सब मिट जाय.
नंगों को .. कच्छा मिल जाये.
और .. भूखे भी भूख मिटायें.
शेर-बकरी .. मिल गाना गायें
विजयनी .. मानवता हो जाये.
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ReplyDeleteप्रसाद जी को समर्पित ........
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सुमन ये अनभय देश हमारा
जहाँ नहीं हो भय निर्बल में, नहीं कोई बेचारा.
मूक पशु भी निर्भय घूमें, खायें अपना चारा.
जीभ स्वाद के वशीभूत ना बहे खून की धारा.
बच ना पाए अमन आड़ में मज़हब का हत्यारा.
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ReplyDeleteसुमन ये अनभय देश हमारा
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विजेताओं को बधाई ....बहुत खूबसूरत कविता पढवा दी आज ...बहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteविजेताओं को हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteप्रतुल जी
ReplyDeleteआपकी रचनाओं ने तो यहाँ चार नहीं चौदह चाँद लगा दिए हैं....
आपका यूँ ही आना होता रहे तो थोड़ी कविता करना मैं भी सीख जाऊँगा...
विजेताओं को बहुत बहुत बधाई!!!
ReplyDeleteprakash ji aur vandana ji ko badhai
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई के साथ शुभकामनायें ...इतनी सुन्दर रचना के लिये आभार ।
ReplyDeleteजयशंकर प्रसाद जी की कविता पढवाने के लिए शुक्रिया
ReplyDeleteवन्दना महतो जी को बधाई- शुभकामनाएँ ....
givind sir ko bhala mai kya badhayi dun. wo to great hain hi. pata nahi kaise khoj lete hain ?
hamne bhi jai shankar prasad ji ki google men khoob saari pictures dekhi thi lekin hamen to yah picture kahin nahi dikhi.
ye paheli bahut kathin rakhi thi aapne. bahut pareshan huye ek baar fir hum. next time asaan rakhiyega :)
अदिति जी
ReplyDeleteआप हिंदी में इनका नाम लिखें और गूगल पर सर्च करें..
Quote:
ReplyDeleteअदिति जी
आप हिंदी में इनका नाम लिखें और गूगल पर सर्च करें..
Unquote:
क्या किसी तसवीर को इंगित करके, गूगल के माध्यम से उस तसवीर की खोज की जा सकती है?
प्रकाश गोइविन्दजी और वन्दना जी को हमारी बधाई।
कविता पढवाने हेतु आभार!
ReplyDeleteविजेताओं को बधाई!
han maanti hun
ReplyDeleteabhi jab hindi men likha tab google men dikh gaya.
lekin ek baat bataaun ?
please aap hasiyega nahi
maine hindi course ki book se saare sahityakaron ko ek-ek karke khoob check kiya tha.
ab kya kahun aage ... mera bad luck :)
विश्वनाथ जी..
ReplyDeleteनहीं, अगर ऐसा हो सकता तो पहेली का मज़ा खराब हो जाता....
थोडा सब्र रखना होता है अगर गूगल से ढूँढ रहे हैं, अगर जवाब आता है तो क्या कहने....
उत्तर के लिए आभार
ReplyDeleteकिसी ने कहा था यह संभव है।
हम आगे भी पूछताछ करेंगे और यदि कोई सूचना मिलती है तो आपको बता देंगे।
आजकल बहुत वयस्त हूँ और आपके और अन्य मित्रों के ब्लॉग पर टिप्पणी करने के लिए समय नहीं मिल रहा है।
बस थोडा समय चुराकर ब्लॉग को पढता हूँ।
कल कुछ दिनों के लिए हैदरबाद जा रहा हूँ और शाय्द इंटर्नेट से दूर रहूँगा।
सोमवार वापस आ जाऊंगा और इस बीच यदि हम सम्पर्क में नहीं रहते तो कृपया अन्तथा न लें।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
विश्वनाथ जी,
ReplyDeleteअन्यथा लेने का सवाल ही नहीं उठता है | व्यस्तता का दर्द समझ सकता हूँ | आपकी यात्रा मंगलमय हो...