ज़िन्दगी हर रोज अपने साथ कितनी पहेलियाँ समेट लाती है... किसी का ये कहना कि वो ज़िन्दगी में खुश है या दुखी दोनों ही बेमानी है... ज़िन्दगी कभी भी आपको अपने कमरे की उस दीवार जैसी नहीं लगती जिसका आप सिर्फ एक ही पहलू देख पाते हैं... ज़िन्दगी की सतहें पन्ना दर पन्ना खुलती जाती हैं और हम जीते जाते हैं... वैसे भी ज़िन्दगी का मज़ा भी वैसे ही लिया जाना चाहिए जैसे कोई महक सी हो सोंधी सी... बारिश की बूंदों का उस सूखी सी ज़मीन से गठबंधन हो रहा हो जैसे... ये खूशबू क्रियेट नहीं की जा सकती और कर भी लो तो वो करार नहीं आ सकता... आधे-अधूरे और पूरे से कुछ लम्हें ज़िन्दगी को बायलेंस करते रहते हैं... जैसे दूब पर ओस की बूँदें, हर पत्ती पर बारीकी से सजी हुयी ये प्यारी प्यारी सी बूँदें अपनी ख़ूबसूरती बिखेरती रहती हैं... क्या हम और आप इस तरह ओस की बूंदों को बिखेर सकते हैं... नहीं न... ज़िन्दगी के अपने कायदे होते हैं, अपनी उड़ान होती है... वो अपने दायरे खुद बनाती है, हम और आप उसमे अपनी बंदिशें नहीं डाल सकते...
ज़िन्दगी डेली आपके बरामदे में गिरने वाले अखबार की तरह है जो हम लेते ज़रूर हैं लेकिन उसका हर कॉलम पढ़ नहीं पाते... जाने कितनी खबरें जो अच्छी भी हो सकती हैं और बुरी भी, हम नज़र तक नहीं डाल पाते... कुछ चीजें जो हमारी आखों के सामने बोल्ड लेटर्स में आती हैं बस उनपर एक निगाह डालकर उस दिन के अखबार को कोने में डाल देते हैं, ये भी नहीं सोचते कि हो सकता है १३वें पन्ने की कोई सिंगल कॉलम खबर ही हमारे काम की हो... और वो सिंगल कॉलम खबर धीरे धीरे हमारी आखों में बसे सपनों के साथ दम तोड़ देती है... हम इंतज़ार ही करते रह जाते हैं कि हमारी खुशियाँ कभी हमारे सामने बोल्ड लेटर्स में आयें पर हमेशा ऐसा हो नहीं पाता... हमें खुश रहने की वजहें तलाश करनी पड़ती हैं... ये वजहें कहीं भी हो सकती हैं, जैसे एक सुनसान से रास्ते के बीच बना कोई मंदिर, जैसे बीच रेगिस्तान में कोई मज़ार...
ज़िन्दगी रैंडम सा बिहैवियर देती है, और इसको जीने का मज़ा भी तो ऐसे ही आता है न... आखिर कई रैंडम शेड्स को मिलाकर ही तो कोई खूबसूरत सी तस्वीर बनती है...
ज़िन्दगी बूँद बूँद बहती रहती हैं, धूप-छावं से गुंथी हुयी एक पतली सी पगडण्डी पर... उन पगडंडियों पर कई मुस्कुराहटें बिखरी पड़ी रहती हैं, खुशियों के लम्हें यूँ ही समेटने पड़ते हैं... हो सकता है कुछ चुभने वाले लम्हें भी मिल जाएँ, पर शिकायत करने की फुरसत ही कहाँ हैं हमारे पास.... हमें तो और आगे जाना है... आगे और भी कई मुस्कुराते चेहरे मिलने वाले हैं...
अभी पिछली 7 तारीख को जब बर्थडे केक काटा तो बस ऐसा लगा जैसे किसी को थैंक्स कह दूं पर समझ नहीं आया किसे... उनको जिन्होंने मुझे मेरा जीवन दिया, मेरा वजूद दिया या फिर उन दोस्तों का जो हर साल मेरा जन्मदिन ख़ास बनाते हैं या फिर उन खुशियों को जिनकी वजह से जीने की वजहें जिंदा रहीं... सबको थैन्क्ज़ कहने के बाद भी कुछ अधूरा सा लग रहा था... फिर ख़याल आया क्या इन खुशियों की वही इम्पोर्टेंस होती अगर ज़िन्दगी में वो दर्द भरे तन्हाई में लिपटे लम्हें न होते... क्या सुबह उठकर उस ख़ास चेहरे की एक झलक उतनी ही खूबसूरत होती अगर एक रात पहले अकेले में डिप्रेस होकर खूब जोर जोर से रोया न होता... क्या ये बारिश उतनी ही अच्छी लगती अगर कल उस तेज धूप ने उन सड़कों पर मेरे पैर न जलाए होते... अक्सर खुशियों के लम्हों में लिपटे हम उस दुःख का शुक्रिया अदा करना भूल जाते हैं जिसके कारण आज ये खुशियाँ हमें अच्छी लग रही हैं...
ज़िन्दगी एक कम्प्लीट पैकेज है जिसमे हमें सब कुछ मिलता है... हर उस चीज का शुक्रिया करते हुए आगे बढ़ना चाहता हूँ.... उस हर एक दुःख का, हर उस आंसू का शुक्रिया... शुक्रिया ज़िन्दगी... शुक्रिया मुझे ख़ास बनाने के लिए....
ज़िन्दगी डेली आपके बरामदे में गिरने वाले अखबार की तरह है जो हम लेते ज़रूर हैं लेकिन उसका हर कॉलम पढ़ नहीं पाते... जाने कितनी खबरें जो अच्छी भी हो सकती हैं और बुरी भी, हम नज़र तक नहीं डाल पाते... कुछ चीजें जो हमारी आखों के सामने बोल्ड लेटर्स में आती हैं बस उनपर एक निगाह डालकर उस दिन के अखबार को कोने में डाल देते हैं, ये भी नहीं सोचते कि हो सकता है १३वें पन्ने की कोई सिंगल कॉलम खबर ही हमारे काम की हो... और वो सिंगल कॉलम खबर धीरे धीरे हमारी आखों में बसे सपनों के साथ दम तोड़ देती है... हम इंतज़ार ही करते रह जाते हैं कि हमारी खुशियाँ कभी हमारे सामने बोल्ड लेटर्स में आयें पर हमेशा ऐसा हो नहीं पाता... हमें खुश रहने की वजहें तलाश करनी पड़ती हैं... ये वजहें कहीं भी हो सकती हैं, जैसे एक सुनसान से रास्ते के बीच बना कोई मंदिर, जैसे बीच रेगिस्तान में कोई मज़ार...
ज़िन्दगी रैंडम सा बिहैवियर देती है, और इसको जीने का मज़ा भी तो ऐसे ही आता है न... आखिर कई रैंडम शेड्स को मिलाकर ही तो कोई खूबसूरत सी तस्वीर बनती है...
ज़िन्दगी बूँद बूँद बहती रहती हैं, धूप-छावं से गुंथी हुयी एक पतली सी पगडण्डी पर... उन पगडंडियों पर कई मुस्कुराहटें बिखरी पड़ी रहती हैं, खुशियों के लम्हें यूँ ही समेटने पड़ते हैं... हो सकता है कुछ चुभने वाले लम्हें भी मिल जाएँ, पर शिकायत करने की फुरसत ही कहाँ हैं हमारे पास.... हमें तो और आगे जाना है... आगे और भी कई मुस्कुराते चेहरे मिलने वाले हैं...
अभी पिछली 7 तारीख को जब बर्थडे केक काटा तो बस ऐसा लगा जैसे किसी को थैंक्स कह दूं पर समझ नहीं आया किसे... उनको जिन्होंने मुझे मेरा जीवन दिया, मेरा वजूद दिया या फिर उन दोस्तों का जो हर साल मेरा जन्मदिन ख़ास बनाते हैं या फिर उन खुशियों को जिनकी वजह से जीने की वजहें जिंदा रहीं... सबको थैन्क्ज़ कहने के बाद भी कुछ अधूरा सा लग रहा था... फिर ख़याल आया क्या इन खुशियों की वही इम्पोर्टेंस होती अगर ज़िन्दगी में वो दर्द भरे तन्हाई में लिपटे लम्हें न होते... क्या सुबह उठकर उस ख़ास चेहरे की एक झलक उतनी ही खूबसूरत होती अगर एक रात पहले अकेले में डिप्रेस होकर खूब जोर जोर से रोया न होता... क्या ये बारिश उतनी ही अच्छी लगती अगर कल उस तेज धूप ने उन सड़कों पर मेरे पैर न जलाए होते... अक्सर खुशियों के लम्हों में लिपटे हम उस दुःख का शुक्रिया अदा करना भूल जाते हैं जिसके कारण आज ये खुशियाँ हमें अच्छी लग रही हैं...
ज़िन्दगी एक कम्प्लीट पैकेज है जिसमे हमें सब कुछ मिलता है... हर उस चीज का शुक्रिया करते हुए आगे बढ़ना चाहता हूँ.... उस हर एक दुःख का, हर उस आंसू का शुक्रिया... शुक्रिया ज़िन्दगी... शुक्रिया मुझे ख़ास बनाने के लिए....
आशाएं फिल्म का ये गीत जिसको सुनते सुनते ही ये पोस्ट लिखी है, आप भी ज़रूर सुनिए... आपको भी अच्छा लगेगा.. एक ही गाने में ज़िन्दगी समझा गया है कोई ... :-)
बहुत दिनों बाद तुमको पढ़ा आज उतना ही अच्छा लगा ...जिंदगी की ये समझ आते आते उम्र ढल जाती है .. बधाई ..तुमको बहुत शुभकामनाये की तुम लम्बी व अच्छा जीवन जियो .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteशुक्रिया शेखर.....
शुक्रिया ज़िन्दगी........
अनु
खाँचों का जीवन बड़ा नीरस है, आवारगी में कल का भरोसा नहीं, कोई क्या करे?
ReplyDeleteचलते रहने और बढ़ते जाने का नाम ही जिन्दगी है , सबसे जरुरी है कहना "शुक्रिया जिंदगी" ढेर सारी शुभकामनायें....
ReplyDeleteऐसी ही हैं ये जिंदगी ......निरंतर बढते रहो ......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति. :-).
ReplyDeleteआज का आगरा
Baat to bahut hi lajawaab kahi bandhuvar....
ReplyDeleteDukh hi to sukh ka ehsas karata hai...
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १०/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं |
ReplyDeleteबेटा हम तो तुम्हें शुक्रिया बोलना चाहेंगे सुबह-सुबह इतना खुबसूरत गीत को सुननाने की लिए...
ReplyDeleteशुक्रिया दोस्त,,..
bahut bahut sahi likha apne zindagi kay bare may.....padh kar kaisa laga kya batau...ek sukun sa mehsoos hua....
ReplyDeleteदिल से लिखा दिल तक गया ... जनम दिन मुबारक ...
ReplyDeleteजिंदगी के बारे में आपने बहुत सुन्दर ढंग से भावनात्मक विश्लेषण किया है ... सच ही है कि सुख और दुःख दोनों मिलकर ही जिंदगी बनती है ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसुख दुःख का साथ लिए धुप छाँव है जिंदगी.
जन्म दिन की बधाई.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteजन्म दिन की बहुत बहुत बधाई.बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteकुछ पंक्तियां,जो कह गयीं फ़लसफ़ा-ए-ज़िंदगी----
ReplyDelete’ज़िंदगी डेली आपके बरामदे में गिरने वाले अखबार की तरह है---जिसका हर कालम पढ नहीं पाते हैं—
’अक्सर खुशियों के लम्हों में लिपटे हम उस दुख का शुक्रिया अदा करना भूल जाते हैं—
’ज़िंदगी कम्प्लीट पैकेज है----’
’कशमशे-कश-ज़िंदगी---उभर आई है
यह भी ज़िंदगी है—एक लहज़ा है,जीने का
फ़र्श नहीं संगेमर्मर का—ज़िंदगी
तभी तो संभल-संभल जाते हैं---
वरना------!!!
बहुत ही गहरी सोच शेखू..
ReplyDeleteऔर गाने के बारे में क्या कहूँ, मेरे भी पसंदीदा गानों में से एक !!!!
बहुत ही बढ़िया !!!!
मतलब गाना और सोच दोनों बेहतरीन है, है न....?? ;-)
Deleteज़िन्दगी के बेहद करीब |
ReplyDeletebahut sundar post
ReplyDeletehappy birth day
hmmm kya kahu tumhari yahi baat to sabhi ko bahut pasand hai har lamhe ko khul kar jeena,khushi ho ya gum,har ek pal ko jeete ho aur dosto ko bhi jeena sikhate ho.....tum sachmuch me chitrakar ho jo har
ReplyDeletepal me rang bhar deta hai........ :-)
ज़िन्दगी को लगातार जीना चाहिए... उसके कुछ टुकड़ों को अलग रखने का कोई फायदा नहीं है... जिस तरह केवल मीठा खाना खाया नहीं जा सकता उसी तरह केवल खुशियों को भी नहीं जी सकते न...
Deleteऔर जहाँ तक बात रही रंग भरने की तो मुझे अच्छा लगता है, एकरंगी ज़िन्दगी जीने वालों का हाथ पकड़कर इन्द्रधनुष तक लाना ही अच्छा लगता है... ज़िन्दगी ख़ूबसूरत है और ये खूबसूरती सभी को मिले बस यही तमन्ना है... और ज़िन्दगी ने शायद ये हुनर दिया है मुझे...
जब तक इस चित्रकार के पास रंग हैं, वो अपना काम करता रहेगा...
शुक्रिया ज़िन्दगी...
ज़िन्दगी बूँद बूँद बहती रहती हैं, धूप-छावं से गुंथी हुयी एक पतली सी पगडण्डी पर... उन पगडंडियों पर कई मुस्कुराहटें बिखरी पड़ी रहती हैं, खुशियों के लम्हें यूँ ही समेटने पड़ते हैं..
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति !
बधाई !!
bauhat sundar shabdon mein piroya hai aapne zindagi ko...belated happy birthday :)
ReplyDeleteदेर से ही सही जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई....!
ReplyDeleteतभी तो कृष्ण ने कहा था ,कि "जो आज तेरा है वो कल किसी और का था और कल किसी और का हो जायेगा".ये तो जीवन के पड़ाव हैं बन्धु. कुछ भी तो स्थिर नहीं है.फिर कैसा गम ,कैसी शिकायत ? जो दुःख तुम्हे खाए जां रहा है वह कइयों के हिस्सों में आया और जिस सुख पे तुम इतरा रहे हो ,वह कइयों कि जिंदगी से फिसला है.इसलिए सदा सम भाव में जो रहा ,जीवन का असल स्वाद ही उसी ने चखा है.जीवन के प्रति आपकी इतनी पाजिटिव अप्रोच देख् कर अच्छा लगा.
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