हमें ना समझाओ कि उदास हैं हम
हमें न बुलाओ कि उदास हैं हम,
ज़िन्दगी मेरे करीब से गुज़र गयी
यह भी न देखा कि पास हैं हम,
जिसकी सुबह मोड़ से लौट गयी
ऐसी रात की टूटी आस हैं हम,
और उम्र न दे मुझे ए रब
इस ज़िन्दगी से निराश हैं हम,
ओस की एक बूँद को तरसती रह गयी
इस मैदान की वो सूखी घास हैं हम....
bhavmayi prastuti ... shekhar ji
ReplyDeleteजिसकी सुबह मोड़ से लौट गयी
ऐसी रात की टूटी आस हैं हम,
bahut khoob .....
आपकी उदासी अच्छी नहीं लगती हम तो ये ही कहेंगे की ............
ReplyDeleteक्यों न समझाये ,क्यों न बुलाये,
पता तो चले क्यों उदास है आप!
जिन्दगी करीब से गुजर गयी होगी,
परन्तु जिन्दगी का और भी लम्हा है आपके पास!
रात की टूटी आस के बाद,
सुबह की किरण है आपके पास!
जिन्दगी से निरास न हो,
रब की इनायत होगी आपके पास!
ओस की बूंद को ना तरसो,
अगली बरसात होगी आपके पास!
बेहतरीन!
ReplyDeleteवाह ...
ReplyDeleteजिंदगी मेरे पास से गुजर गई..
क्या बात है
और उम्र न दे मुझे ए रब
ReplyDeleteइस ज़िन्दगी से निराश हैं हम,
jyada nirasha achi baat nahi....shekhar bhai..
sundar prastuti...........bahvpoorna
ReplyDeleteबढियां !
ReplyDeleteशेखर भाई ...आपकी ये रचना बहुत ही दमदार है.
ReplyDeleteसच्ची दिल से कह रहा हूँ.
अमरजीत जी
ReplyDeleteआपका यह जवाब तो मुझे बहुत पसंद आया...
दिन सफल कर दिया मेरा आपने....बहुत बहुत धन्यवाद....
वीरेन्द्र भाई
ReplyDeleteविश्वास है आपपर आपने दिल से ही कहा होगा..
अच्छी है कविता, उदासी नहीं!
ReplyDeleteRachana bahut achhee hai...os kee boond ko tarastee ghaans...bahut sundar upma!
ReplyDeleteओस की एक बूँद को तरसती रह गयी
ReplyDeleteइस मैदान की वो सूखी घास हैं हम....
मार्मिक अभिव्यक्ति। इतनी निराशा भी ठीक नही। शुभकामनायें।
रचना तो अच्छी है
ReplyDeleteपर उदासी अच्छी नहीं
जिन्दगी अभी निकल नहीं गई
अब तुम्हारी उम्र ही क्या है?
बस बीस या बाईस साल?
अभी तो कई साल और भी हैं जीने के लिए
अभी और कई अनुभवे हैं झेलने के लिए।
धीरज रखो हिम्मत मत हारो
अगली बार आशा, उन्नति, रोशनी, सफ़लता और खुशियाँ जैसे विषयों पर कविता लिखना
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
kavita bahut achhi hai, per apne shabdon me dubo mat , upar aao... os ko aatmsaat kernewala bano... vichaaron ko antim saanson se mat gujaaro , sukha ghaas bhi hara hoga , ye vishwaas rakho
ReplyDeleteUdaasee ke mood ko bahut sahee pakda aapne ..
ReplyDeletemagar aap prasann rahen isi dua ke saath !
किसने कहा कि उदास हैं आप__ वो देखों जिंदगी के पास हैं आप, न कहो कि जिंदगी छू कर निकल गयी आपको.. वो देखों ढूंढ रही हैं जिंदगी, उसकी तलाश हो आप...। उदासी और खुशी तो आती जाती रहती है, इसके लिए अलग से उदास होने की क्या बात है..। आपके उदास दिल से निकली ये उदास सदा हमें काफी पसंद आयी.. पर इसे दिल से मत लगाइएगा, ब्लॉग पर ही अच्छी हैं...।
ReplyDeleteनिर्मला जी , क्षमा जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद....
विश्वनाथ जी,
अक्सर हम अपने से उम्र में छोटे लोगों को कहते हैं, अरे ये कौन सी परेशानी है , अभी तो पूरी ज़िन्दगी पड़ी है..
यह कहना बिल्कुल वैसा ही है जैसे कोई १० वीं कक्षा का छात्र ६ ठी कक्षा के विद्यार्थी को कहे, अरे यह तो बहुत आसान सवाल है| शायद वो ये भूल जाता है कि इसी सवाल ने ४ साल पहले उसे भी परेशान किया था | खैर बहुत बहुत धन्यवाद आपने मेरा उत्साह बढाया, कोशिश करूंगा कोई सकारात्मक सोच पर कविता लिखूं, वैसे पिछली रचना ही सकारात्मक थी...
मृत्युंजय जी
ReplyDeleteआपके ये जवाब देने का ढंग तो भा गया मुझे...
बहुत बहुत धन्यवाद...यूँ ही उत्साह बढ़ाते रहें..
लिखा तो बहुत अच्छा है , उदासी जैसे रचना से टपकी पड़ रही है ...
ReplyDeleteइतनी उदासी ठीक नहीं, जीवन ही तो आस का नाम है, उदासी में भी खुश रहिये , उसमें भी कुछ गुण होते हैं जीवन के. हौसला देख कर उदासी में भी खुशियाँ बिखर जायेंगी.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा लेकिन उदासों को जीना सीखना मुझे आता है जरा मिल के देखिये.
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ReplyDeleteWe all go through such moments.
But then there is always a solution for each problem and circumstances. I am sure you know very well, how to come out of it.
Thanks for this wonderful creation.
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जिन्दगी करीब से गुजर गयी होगी,
ReplyDeleteपरन्तु जिन्दगी का और भी लम्हा है आपके पास!
रात की टूटी आस के बाद,
सुबह की किरण है आपके पास!
जिन्दगी से निरास न हो,
रब की इनायत होगी आपके पास!
ओस की बूंद को ना तरसो,
अगली बरसात होगी आपके पास!
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Accolades for Amarjeet ji.
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उदासी को छोड़ दीजिए ....अच्छी भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut hi subdar prastuti ..........
ReplyDeleteShekhar Suman,
ReplyDeleteI really enjoyed reading the comments of Amarjeet and Mrityunjay Tripathi.
Regards
G Vishwanath
जिंदगी मेरे पास से गुजर गई....बहुत खूब.
ReplyDeleteशेखर सुमन जी एक तो उदासी की बात मत करिए कौन कहता है की आप उदास है चेहरा तो खिला हुआ है .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कबिता------हमें न समझाओ की उदास है हम.
हमें न बुलाओ की उदास है हम ---
एक अच्छी रचना ----- आभार--
wah wah wah apki lekhni ke marm jadu se koi nahi bach sakta bahut khub
ReplyDeleteशेखर जी ... ऐसी निराशा क़ि बात कहे करते हैं ... जीवन बहुत लम्बा है ....
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ग़ज़ल है आज .... मज़ा आ गया ... हर शेर दर्द से भरा है ....
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअहसास से भरी रचना .....बहुत सुन्दर
ReplyDeleteरचना बहुत ही दमदार है.धन्यवाद|
ReplyDeleteअमरजीत जी की बात से बिलकुल सहमत है हम भी!
ReplyDeletepyaree kavita aur sunder abhivykti. kabhee khushee to kabhee udasee ke ehsaas jindagee me aate hee hai.........busvhava ke jhoke see udasee ud bhee jaya kartee hai........
ReplyDeleteye hee jeevan hai.......
Aabhar
bahut sunder rachna and I really hope that you are feeling better....
ReplyDeletezindagi dhoond rahi hai humen konon mein chipkar..
ReplyDeletekabhi mukaam toh kabhi talaash hain hum...
बहुत अच्छी कविता शेखर ...उदासी का खुबसूरत बयां ..
ReplyDeleteज़िन्दगी मेरे करीब से गुज़र गयी
ReplyDeleteयह भी न देखा कि पास हैं हम,
sundar panktiyan!
bahut sunder rachana hai ...bat udasi ki to hai par ye bhi jeevan ka ek rang hai ....bas ise apane par hawi na hone dena......
ReplyDeleteमन की भावनाओं को खूबसूरती से अभिव्यक्त करती हुई एक बेहद ही उम्दा रचना
ReplyDelete:)