Tuesday, October 5, 2010

संघर्ष .....

                  पिछले कुछ दिनों से लिखने से ज्यादा पढने में व्यस्त था | इसलिए कुछ लिखना संभव ना हो सका, इसलिए आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ १९९९ में लिखी मेरी एक कविता | यह कविता यहाँ पहले भी प्रकाशित हो चुकी है, लेकिन उस समय मेरा ब्लॉग शायद ही कोई पढता था | अगर आपको इसमें कोई त्रुटि लगे तो उसे ज़रूर सुधारेंगे क्यूंकि उस समय की मेरी उम्र के हिसाब से यह रचना शायद थोड़ी भारी भरकम है........
अंतहीन समंदर,
आती जाती तेज़ लहरें,
एक आशंका लिए कि,
मझधार यह कहाँ ले जाएगी,
ज़िन्दगी से लड़ते- लड़ते मौत दे जाएगी,
एक किनारे की तलाश में,
निगाहें समेटना चाहती हैं समंदर,
मायूसी की घटा है चेहरे पर,
बयां करती एक दास्तान,
दरम्यान यह ज़िन्दगी मौत का
एक पल के झरोखे में मिटा जाएगी
डूबना होगा अगर मुकद्दर मेरा,
लाख कोशिश न रंग लाएगी,
एक साहिल की तलाश में
यह ज़िन्दगी बीत
जाएगी...
क्या करूँ ? ? 
मान लूं हार या करूँ संघर्ष
आखिरी क्षण तक, 
क्या होगा अंजाम 
यह तो तकदीर ही बताएगी......

22 comments:

  1. अले वाह, बहुत अच्छी कविता ....आपका शनिवार वाला आइडिया तो मजेदार है.

    ___________________
    'पाखी की दुनिया' में अंडमान के टेस्टी-टेस्टी केले .

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  2. बहुत खूब ... संघर्ष करना ही जीवन है ... लहरों के सर से कोई साहिल पर नही बैठता ....
    अच्छा लिखा है बहुत आपने ...

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  3. संघर्ष ही जीवन है ..अच्छी प्रस्तुति

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  4. इतनी अच्छी रचना...बहुत सुंदर..हालांकि तकदीर के लिखे को कौन टाल सकता है फिर भी मैं कर्म में विश्वास रखती हूं और अंतिम सांस तक संघर्ष की पक्षधर हूं। अक्सर साहिल की तलाश में जिंदगी बीत जाती है...अंतिम पंक्तियां अच्छी लगीं मगर संघर्ष के भावों के साथ...

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  5. bahut acche shekhar babu,bahut sundar rachna

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  6. Sekhar bhai.........itni purani rachna......rachna purani kaise ho gayee, mere bina padhe..:)

    ek sashakt lekhan!!

    badhiya hai ...........

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  7. सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.

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  8. Beautioful poem wid da harsh truths of life...n yeah is always a gud option to wait n watch...thnx for ur positive comments..

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  9. बहुत सुन्दर ! जीवन चलने का नाम ! चलते रहो सुबहो शाम ! बहुत अच्छी रचना बधाई !

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  10. bahut khoobsurat rachna ..lagta nahi shuruvaati dour me likhi gyi hai ye anubhavi baat ...kahir bahut bahut bandhaai ..ek sundar rachna k liye :)

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  11. संघर्ष ही जीवन है...गीता का सन्देश भी यही है।

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  12. सुन्दर रचना है ! आप तो शुरुवात से ही अच्छे लिखते हैं !

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  13. .

    kyaa hogaa anjaam meraa
    yah to takdeer hii bataayegii.

    @ bhaagyvaadii rachnaayen mujhe pasand nahin.
    maine bhii likhin thiin lekin unhen ab pasand nahin kartaa
    jab unkaa majaak banaanaa hotaa hai to avashy unko gungunaa letaa hoon.
    .

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  14. @ pratul ji...
    aap mere blog par aaye bahut bahut dhanyawaad ... jaise maine pehle bhi kaha yeh rachna bahut purani, aur maine tab likhi thi jab main mahaj 14 saal ka tha...
    aur yahan yeh pankti sabse aakhiri mein likhi gayi, jiska yeh arth hai ki sabhi prakar ki koshishon ke baad ka anjaam kya hoga yeh mujhe pata nahi.....

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  15. शेखर जी...संघर्ष के बिना भी क्या जीवन ..
    इसलिए मैं तो संघर्ष करना पसन्द करूंगा.

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  16. कविता तो बहुत सुन्दर है...कई बार पुराने पन्नों को पलटना अच्छा लगता है.


    __________________________
    "शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...

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  17. itani kam umra me aapne itani gaharai purn kavita likhi.wakai aapko manana padega. aapvastav me ek safal rachna-kar hai.
    poonam

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