आज की सुनहरी यादों में रचना है संगीता स्वरुप जी की और इसे भेजा है अनुपमा पाठक जी ने... इसे उन्होंने प्रकाशित किया था २४ दिसम्बर २००८ को और इसमें नीले आसमान का ख़ूबसूरत वर्णन है...
तो इस सप्ताह की हमारी सर्वश्रेष्ठ पाठिका है अनुपमा पाठक और उनकी भेजी और संगीता जी की रचना का शीर्षक है |
===नीला आसमान===
मैं -
आसमान हूँ ,
एक ऐसा आसमान
जहाँ बहुत से
बादल आ कर
इकट्ठे हो गए हैं
छा गई है बदली
और
आसमान का रंग
काला पड़ गया है।
ये बदली हैं
तनाव की , चिंता की
उकताहट और चिडचिडाहट की
बस इंतज़ार है कि
एक गर्जना हो
उन्माद की
और -
ये सारे बादल
छंट जाएँ
जब बरस जायेंगे
ये सब तो
तुम पाओगे
एक स्वच्छ , चमकता हुआ
नीला आसमान.
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इसी तरह दूसरों की पुरानी रचनायें भेजते रहें.... पता है sunhariyadein@yahoo.com
PS :- अगर आपने यह पोस्ट नहीं पढ़ी है तो कृपया टिप्पणी देने का कष्ट भी ना करें |
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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लाये हैं आप......संगीता स्वरुप जी को लिखने और आपको प्रस्तुत करने के लिये ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें ।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं ...
वाह क्या वर्णन किया है...बहुत प्रभावशाली रचना.
ReplyDeleteसुन्दर संचयन
ReplyDeleteसंजय भाई बहुत बहुत धन्यवाद....
ReplyDeleteneele aasman ki sushma har baar chamatkrit karti hai!!!
ReplyDeletesunahri yaadein nirantar sanchayan karti rahe kavyapushpon ka...
shubhkamnayen!!!
सुन्दर प्रस्तुती। आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteशेखर तुम्हारी यह पहल हमें कुछ चुनिन्दा पोस्ट्स को पढ़ने का मौका देती है जो सर्वप्रिय रहीं. शायद हम उस समय उन रचनाओं को नहीं पढ़ पाए या हमारे ब्लॉग जगत में आने से पहले की हो.
ReplyDeleteजीवन और नीला आसमान ..
बहुत सुन्दर रचना है
धन्यवाद शेखर :)
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति।
ReplyDeleteदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
मनोज जी उत्साह्वार्स्र्धन के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteअगर हो सके तो पुरानी रचनायें भी भेजते रहे...
neele aasman ki khubshurti pyari lagi.......:)
ReplyDeletedeepawli ki subhkamnayen....
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
बहोत ही सुंदर रचना है
ReplyDeleteआपको सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ
उम्मीद की किरण जिंदा है गर्जना जरूर होगी और बदल छटेगे भी. दीपावली के शुभ अवसर पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeletebahut sundar rachna .sach me kai baar ham aasman ki tarah hote hain kabhi badlon se bhare kabhi khali...
ReplyDeleteमम्मा ने पढ़ा वही समझी जो समजाझना है ....:)
ReplyDeleteमै तो सिर्फ इतना कहूँगी happy dipawali
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मेरा पोर्ट्रेट
सुन्दर और भाव पूर्ण अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteशुभ दीपावली!
एक दिन तो दिखेगा स्वच्छ नीला आसमान!
ReplyDeleteसकारात्मक एवं सुन्दर रचना
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुन्दर कविता।
ReplyDeleteI liked the end....:)
ReplyDeletekeep writing.
Sorry for this quick comment in English instead of Hindi.
ReplyDeleteI am in a hurry now.
I liked this poem.
It is graphic.
I am also able to see a human analogy.
Tensions/emotions well up in one's mind
A spark results in all these pent up feelings bursting out in the form of tears and sobs
This is followed by a feeling of relief.
I wish to compliment the author of the poem for an enjoyable piece of reading.
I also wish to compliment the finder for digging out this jewel from the blog archives and giving us the opportunity to savour its flavour once again.
And finally compliments to you too for offering a platform on your blog and facilitating all this.
I look forward to more such posts in future.
Happy Deepwali to all.
G Vishwanath
“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
ReplyDeleteबिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार !
निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !! “
हैप्पी दीवाली-सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल
आपको दिवाली की शुभकामनायें
ReplyDeletenice poem...happy diwali to u n ur family :)
ReplyDeleteshekhar ji, bahut hi kavita padhne ko mili .anpma ji ko dhanyvaad aur aapki dipawali hamesha hi mangal-may ho.
ReplyDeleteshubh kamnao ke saath----
poonam
yeh kavita bahut hee badhiya thi,share karne ke liye thanx
ReplyDeleteSangeeta ji kee kawita bahut sunder hai . chinta kuntha warjanaon ke badal chat jane par hee nikharta hai ek saf sundr neela aasman.
ReplyDeleteशेखर सुमन जी ,
ReplyDeleteसबसे पहले आपसे और अपने प्रिय पाठकों से क्षमा मांगती हूँ ...यहाँ पर इतनी देर से आने के लिए ...आपका मैसेज स्पैम में था ..और मैंने आज ही देखा ...या यूँ कहूँ कि अभी अभी देखा ...जब आपने इस रचना का प्रकाशन किया तो मैं मुंबई में थी और नेट पर नियमित नहीं थी ..इसलिए भी यह ब्लॉग छुट गया ...खैर ...
सबसे पहले मैं अनुपमा को धन्यवाद देती हूँ ....यह रचना नि:संदेह मुझे बहुत पसंद थी ..लेकिन उस समय कम ही लोगों ने इसे पढ़ा था ...अभी पाठकों कि प्रतिक्रिया पढ़ कर गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ ....आपके इस अनोखे प्रयास के लिए साधुवाद ..
सभी ने मुझे नया हौसला दिया है .... विश्वनाथ जी की टिप्पणी बहुत अहम है ....सभी पाठकों का आभार .