इस बार सुनहरी यादों में शामिल है वंदना गुप्ता जी की रचना ,जो मुझे भेजी है सुमन मीत जी ने | तो इस सप्ताह की हमारी सर्वश्रेष्ठ पाठिका हैं सुमन 'मीत' | उनकी भेजी और वंदना गुप्ता जी की लिखी रचना का शीर्षक है |
यूँ आवाज़ ना दिया करो
सुनो
यूँ आवाज़ ना दिया करो
दिल की बढती धड़कन
आँखों की शोखियाँ
कपोलों पर उभरती
हया की लाली
कंपकंपाते अधर
तेरे प्यार की
चुगली कर जाते हैं
कभी ख्वाब तेरे
रातों में जगा जाते हैं
और चंदा की बेबसी से
सामना करा जाते हैं
तारे गिनते- गिनते
कटती तनहा रात
भोर की लाली से
सहम- सहम जाती है
मद्धम मद्धम बहती बयार
तेरी साँसों की
सरगोशियाँ कर जाती है
तेरी इक आवाज़ पर
मोहब्बत का हर रंग
बसंत सा खिल जाता है
बता अब कैसे
मुट्ठी में क़ैद करूँ
इस बिखरती खुशबू को
बस तुम
यूँ आवाज़ ना दिया करो
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आपकी भेजी रचना भी यहाँ प्रकाशित हो सकती है | आपको करना बस इतना है कि अपने आलावा किसी और की रचना मुझे मेल कर दें | और ये रचना कम से कम ६ महीने पुरानी होनी चाहिए.....
मेरा पता है :- sunhariyadein @yahoo .com
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आईये २६/११ के हमले में शहीद हुए सिपाहियों को नमन करें...आज उन सच्चे सपूतों के कारण मुंबई सुरक्षित है |
... bahut badhiyaa ... sundar rachanaa ... abhinav prayog !!!
ReplyDelete"Yun awaj na diya karo....."...:)
ReplyDeletekitni pyari abhivyakti hai, kya kahun, shabd nahi ban par rahe.......:)
एक प्यारी रचना पढवाने के लिए सुमन मीत जी और आपका आभार
ReplyDeleteवन्दना जी को इस रचना के लिए बधाई
सुनो
ReplyDeleteयूँ आवाज़ ना दिया करो
yah jadu sare rahasya khol deta hai , hai na ?
bahut badhiyaa
बहुत प्यारी रचना ...सुमन मीत जी का आभार और आपके प्रयास की सराहना
ReplyDeleteवंदना जी की रचना बहुत अच्छी है ...हम तक लाने के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ....बहुत-बहुत आभार इस प्रस्तुति के लिए ।
ReplyDeleteसुमन मीत जी और शेखर जी आपकी आभारी हूँ जो आप दोनो ने मुझे इस काबिल समझा और मेरी रचना को अपने ब्लोग पर स्थान दिया।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लाये हैं आप......वंदना जी को लिखने और आपको प्रस्तुत करने के लिये ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें ।
ReplyDeletebahut sundar rachna se sakshatkar karane ke liye aapka v suman meet ji ka hardik dhanywad !
ReplyDeleteमद्धम मद्धम बहती बयार
ReplyDeleteतेरी साँसों की
सरगोशियाँ कर जाती है
वाह क्या बात है, बहुत सुन्दर !
bahut sundar rachna...vandana gupta, sunan meet our aapko subhakamanaayen.
ReplyDeletebahut khoob ko bahut khoob na likhe to kya likhe? ab to lagta hai ki kisi ko bahut khoob likho to lagta hai usne bus wainse hi likh diya hoga. fir bhi bandana g bhaut khoob.
ReplyDeleteshekhar ji
ReplyDeletesarv pratham aapke prayaas rail ki raftaar ki tarah badhte ja rahe hai arthat saflta ke kadam chum rahe hain ,iske liye aapko bahut bahut badhai.
vandanaji to likhti hi shandar hai.unki rachna padhvaane ke liye aapko vsuman-meet ji ko bahut bahut dhanyvaad.
aajke din ko yaad karte hue un sachche veeron ko koti koti naman karte hain.
poonam
सुन्दर रचना!
ReplyDeleteप्रस्तुति हेतु आभार!
धन्यवाद शेखर भाई ...........
ReplyDeletegood one!go!go!go!
ReplyDeleteजाने ताऊ पहेली १०२ का सही जवाब :
ReplyDeletehttp://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_27.html
बहुत खूबसूरत रचना ... शुक्रिया यहाँ पोस्ट करने के लिए ...
ReplyDeleteAre Sekhar bhai, kahAn the.hamre aankh mein aapko khojate-khojate darad ho gail.Ek kam kar bhai jaldi se humre blog par hajir ho ja nahi ta jurmana bhare ke padi.Humhun Distt.BUXAR KE BANI. DERA MAT.SADAR
ReplyDeleteSundar rachana!
ReplyDeleteShaheedon ko vinamr shraddhanjali!
आवाज़ देने से सुनहरी यादें और खिल जाती हैं।
ReplyDeleteशेखर , वन्दना जी की मेरे द्वारा भेजी रचना को प्रकाशित करने के लिये धन्यवाद । वन्दना जी बहुत अच्छा लिखती हैं ...............
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........
ReplyDeletehttp://saaransh-ek-ant.blogspot.com