जाने कैसे ज़िन्दगी के इन अनजान रास्तों में भटकता भटकता तुम्हारे उस बंद कमरे के दरवाज़े तक आ पहुंचा... उस बंद कमरे से लेकर आज इस प्यारे से नीले आसमान तक के सफ़र को बहुत खूबसूरत तो नहीं कह सकता लेकिन अब वो रास्ते मुझे बहुत याद आते हैं... वो वक़्त जब मुझे ये लगने लगा था कि तुम्हारी ज़िन्दगी की किताब में मैं यादों का एक पुराना पन्ना भर बनके रह जाऊँगा... ग़र कभी तुम इस किताब के पन्नों को बेतरतीबी से पलटते हुए मुझे याद करती तो ये ज़रूर सोचती कि अज़ब पागल लड़का था....
खैर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और आज ज़ब तुम चुपके से मेरी ज़िन्दगी के पीछे से मुस्कुराते हुए झांकती हो तो दिल करता है तुम्हारे लिए कोई नए से अठारहवें सुर में कोई प्यारा रोमांटिक सा गाना लिख दूं, तुम्हारे लिए इन्द्रधनुष में हमारे प्यार का आठवां रंग भी जोड़ दूं... दूर किसी आकाशगंगा में से सबसे खूबसूरत तारा लाकर तुम्हारी अंगूठी में सजा दूं.... इन सपनों में बहने वाली तुम्हारी हर एक मुस्कराहट को इस बादल भरे आसमान पर टांक दूं, फिर जब भी बारिश होगी तो उसकी बूंदों के साथ तुम्हारी हर हंसी तुम्हारे चेहरे पर फ़ैल जाया करेगी... यकीन मानो इस बारिश के बूंदों को तुम्हारे चेहरे पर देखने के बाद मेरे दिल को कभी खुद पर पड़ने वाली धूप का एहसास तक नहीं होगा... कभी तुम्हारी इन मुस्कुराती आखों की तरफ देखता हूँ तभी ये एहसास होता है कि इन मुस्कराहट की वजह मैं हूँ शायद... ऐसे में समझ नहीं आता तुम्हें क्या कहूं... तुमसे बस इतना ही कहना चाहता हूँ ये सारी खुशियाँ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ही बनी थीं, लेकिन कहीं दूर उस क्षितिज के कोने में अटकी पड़ी थीं मैंने बस उसका रास्ता तुम्हें दिखा दिया... बस उस लम्हें पर गुमान सा होता है जब तुमने आसमान टटोलते मेरे हाथों में अपने सपने डाल दिए थे... मेरी उनींदी पलकों में अचानक से तुम्हारे मोहब्बत की चांदनी चमचमा उठी थी... वो ठंडी धूप जिसमे तुम्हारे होने का अस्तित्व अंगड़ाई ले रहा था... तुम्हारी इन मुस्कुराहटों की रखवाली के लिए तुम्हारी इन आखों की पलकों पर अपनी नज़रों का नूर रख छोड़ा है, हमेशा इसी तरह हँसते रहना नहीं तो ये नूर भी तुम्हारे आंसुओं में भीग जाएगा.... मुझे तुम्हारी आखों में सजने वाले सपनों को सच होते हुए देखना है...
तुम्हारे साथ इन बिताये खूबसूरत लम्हों की तस्वीर को ऐसी जगह सजा के रखना चाहता हूँ जिसे जब-जहाँ जी चाहे देख सकूं इसलिए तो उस आसमान की चादर को धो कर साफ़ कर दिया है... जब भी तुम्हें खूब जोर से मिस करूंगा तुम्हें वहां से झांकते हुए देख लिया करूंगा... जानता हूँ जाने कितनी ही बार तुमसे कह चुका हूँ फिर भी ये एक ऐसी लाईन है जिसे तुम बार बार सुनना चाहोगी... यही कि विकास अंशु से बहुत प्यार करता है... ;-) और हाँ इन अनजान रास्तों से जिन पगडंडियों को मैं झाँका करता था न, वो खुशियों की गलियां अब अनजान नहीं लगती...
तुम्हारे साथ इन बिताये खूबसूरत लम्हों की तस्वीर को ऐसी जगह सजा के रखना चाहता हूँ जिसे जब-जहाँ जी चाहे देख सकूं इसलिए तो उस आसमान की चादर को धो कर साफ़ कर दिया है... जब भी तुम्हें खूब जोर से मिस करूंगा तुम्हें वहां से झांकते हुए देख लिया करूंगा... जानता हूँ जाने कितनी ही बार तुमसे कह चुका हूँ फिर भी ये एक ऐसी लाईन है जिसे तुम बार बार सुनना चाहोगी... यही कि विकास अंशु से बहुत प्यार करता है... ;-) और हाँ इन अनजान रास्तों से जिन पगडंडियों को मैं झाँका करता था न, वो खुशियों की गलियां अब अनजान नहीं लगती...
haan bhai uski muskurahteinkuch ajab sa asar kar jaati hain !
ReplyDeleteबहुत खूब :)
ReplyDeleteबस चुटकी भर...
ReplyDeleteपोस्ट अच्छा लगा लेकिन बीच मेँ डाली गई स्माइली अच्छी नहीँ लगी। बनावटीपन सा आ गया इससे। बेहतर होता अगर आप इस भावना को भी शब्दोँ मेँ व्यक्त करते...
ReplyDeleteस्नेहा जी, आपको हुई असुविधा के लिए माफ़ी चाहूँगा... लेकिन जो नियमित रूप से मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं वो उस स्माईली का मतलब समझ गए होंगे.... ऊपर पोस्ट की पहली लाईन में दिए गए दो लिंक से जुडी पोस्ट पढ़ें... और फिर भी अगर दिक्कत हो तो "तुम सिर्फ तुम" लेबल वाली सारी पोस्ट्स पढ़ें... धन्यवाद...
Delete:-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!!
कुछ सपने ..कुछ यादे ...इस जिंदगी की
ReplyDeleteबहुत खूब....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाव संयोजन से सजी बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteकल 15/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
वाह बहुत बढ़िया...
ReplyDeletevery nice...
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeletebahut jakkas
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