Saturday, October 30, 2010

लानत है ऐसे लोगों पर....

                पिछले दिनों ब्लॉग जगत पर मैंने अजीब सा माहौल देखा | एक दूसरे की निंदा करने की जैसे प्रथा चली हुई थी | ऐसा लग रहा था मानो कोई होड़ लगी हुई है कि सबसे ज्यादा विवादास्पद और नफरत से भरा लेख किसका हो | हिन्दू का ब्लॉग है तो उसपर मुसलमान की बुराई हो रही थी और किसी मुसलमान के ब्लॉग पर हिन्दुओं पर निशाना साधा जा रहा था | कई पोस्ट तो मैंने ऐसी भी पढ़ी जो किसी व्यक्ति विशेष की बुराई करने के लिए ही लिखी गयी थी | ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ब्लॉग जगत में पढ़े लिखे और बुद्धिजीवी लोग रहते हैं | एक दूसरे के प्रति अपने मन में इतनी नफरत भर रखी थी और वो भी बिना किसी उचित कारण के | किसी को अपनी टिपण्णी प्रकाशित नहीं होने का गुस्सा था तो किसी को दूसरे की टिप्पणियाँ अच्छी नहीं लग रही थी |
                चलिए इन व्यक्तिगत हमलों कि बात छोड़ भी दें लेकिन देश के खिलाफ...!!!  जब से अयोध्या का फैसला आया है तब से सांप्रदायिक पोस्ट कुछ ज्यादा ही पढने को मिल रही है | धर्म के पीछे तो जैसे लोग पागल हुए जा रहे हैं |
                अरे लानत है ऐसे लोगों पर जो इतने पढ़े लिखे होने के बावजूद इतनी संकरी विचारधारा से ग्रसित हैं |
                लानत है ऐसे लोगों पर जिन्हें लिखने के लिए और कोई विषय नहीं मिलता | क्या इनके लिए धर्म इतना महत्वपूर्ण है कि इसके आगे वो इंसानियत के बाकी सारे धर्म भूल जाते हैं |
                लानत है ऐसे लोगों पर जिन्हें इस देश में फैली हुई अशिक्षा नहीं दिखाई देती, वो भ्रष्ट नेता नहीं दिखाई देते जो दिल्ली में हुए खेलों के नाम पर ७०००० करोड़ रुपये खर्च कर देते हैं |
                लानत है ऐसे लोगों पर जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में भारतियों पर लगातार हो रहे हमले दिखाई नहीं देते, जिन्हें वो बेरोजगारी नहीं दिखाई नहीं देती जो अन्दर ही अन्दर इस देश को खायी जा रही है |
                लानत है ऐसे लोगों पर जिन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि कसाब का जुर्म क्या है, और उसे जल्दी से जल्दी सजा मिलनी चाहिए, उन्हें तो बस उसके धर्म को लेकर साम्प्रदायिकता फैलानी है | और कई तो ऐसे समझदार मुसलमान ब्लौगर भी है जो अपनी हर पोस्ट में केवल मज़हबी जिहाद कि बातें करते हैं|
                लानत है ऐसे लोगों पर जो शायद धर्म का असली मतलब ही नहीं समझते और इसके लिए आपस में लड़ने-मरने को आमादा हैं |
                अरे अगर आप प्यार का सन्देश नहीं दे सकते तो कम से कम नफरत तो न फैलाएं....
=============================================================================
PS :- अगर आपने ये पोस्ट नहीं पढ़ी है तो कृपया टिप्पणी देने का कष्ट भी ना करें.

63 comments:

  1. .

    बहुत बढ़िया लेख-- सहमत हूँ आपसे !

    .

    ReplyDelete
  2. भाई मेरे ७०,००० रुपये नहीं ७०,००० करोड़...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  3. माफ़ कीजिये खुशदीप भाई, गलती सुधार ली गयी है |

    ReplyDelete
  4. ब्लॉग जगत में यह सब होना दुख:द है.


    मनोज खत्री

    ReplyDelete
  5. मनोज भाई,

    सिर्फ ब्लॉग जगत में क्यूँ, ये हालत तो पूरे देश की है |

    ReplyDelete
  6. बहुत अच्छे विषय पर चर्चा छेड़ी है आपने परन्तु आपको ये नहीं लगता की ज्यादा पड़ा लिखा व्यक्ति धार्मिक नहीं हो सकता धर्म के नाम पर मजहब के नाम पर जिन्होंने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला किया था क्या वो अनपद थे कई ऐसे व्यक्ति जो की डॉ. इजीनियर है आतंक वादियों को समर्थन दे चुके है महोदय बहुत से ऐसे विषय है जिसमे ना चाहते हुए भी किसी ना किसी धर्म का उल्लेख आ ही जाता है अब कश्मीर को ही लीजिये वहा से कश्मीरी पंडितो को भगा दिया अपने ही देश में शरणार्थी का जीवन व्यतीत कर रहे है संसद के हमले का आरोपी अफजल गुरु को इस लिए फांसी की सजा नहीं दी जा रही है की उससे देश का माहोल बिगड़ेगा परन्तु उन शहीदों की पत्नियों का ध्यान नहीं है जिन्होंने ने अपने पतियों के मेडल लौटा दिए कसाब इस देश की न्याय व्यवस्था पर थूकता है कसाब और अफजल गुरु या ऐसे ही सेकड़ो आतंकवादी है जिनकी पैरवी करने वाले गैर हिन्दू है !मै आपकी आपकी बात से पूरी तरह सहमत हु! परन्तु यदि हम किसी अच्छे कार्य करने वाले व्यक्ति के लिए गर्व से ये कहते है की ये व्यक्ति हमारे धर्म का है तो बुरे कार्य करने वाले व्यक्ति आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने वाले व्यक्ति को भी हमें स्वीकारना चाहिए !

    ReplyDelete
  7. अमरजीत जी

    अब तो आपकी टिप्पणी का मुझे बेसब्री से इंतज़ार रहता है | क्या हम किसी को उसके कर्त्य की सजा नहीं दे सकते, क्या उसका हिन्दू या मुसलमान होना इतना मायने रखता है ?

    अब देखिये ना कई ऐसे लोग हैं जो धर्म के खिलाफ एक शब्द भी बोल दें तो बवाल खड़ा हो जाता है , लेकिन एक आदमी खुले आम पूरी सभा में देश के नाम पर थूक के चला जाता है उसे कोई कुछ नहीं बोलता |
    गिलानी के बारे में क्या ख्याल है आपका...
    अरुन्दाती राय तो उससे भी दो कदम आगे है...
    ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक करना चाहिए??? कुछ सलाह दे सकते हैं आप...
    की क्या हम ये सोच उन्हें मनमानी करने दें कि इसके बाद देश की शान्ति व्यवस्था पर असर पड़ेगा...

    ReplyDelete
  8. सचमुच लानत है ....

    ReplyDelete
  9. मैं ब्लॉग में बुद्धिजीवियों को कभी नहीं ढूँढता हूँ.. यह ब्लॉग जगत भी हमारी आम दुनिया से परे नहीं है.. हर तरह के लोग हैं यहाँ पर.. बुद्धिजीवी भी हैं, और सामान्य व्यक्ति भी.. बुद्धिजीवियों में भी कम्यूनिज्म के अंधभक्त भी पाए जाते हैं, और कई बुद्धिजीवी निष्पक्ष भाव से सोचने वाले भी.. मगर अधिकाँश आम लोग ही हैं.. अब ऐसे में आम जिंदगी की ही तरह लोग आम जिंदगी वाली बातें ही करते हैं.. अपनी बात कहूँ तो, मैं ब्लॉग से समाज सुधार कि उम्मीद कतई नहीं करता हूँ..

    गिलानी और अरुंधती राय के ऊपर अभय तिवारी जी का लिखा लेखा पढ़ लें "निर्मल आनंद" ब्लॉग पर, शिकायत कुछ कम हो जायेगी आपकी.. :)

    ReplyDelete
  10. अरविन्द जी तो पतली गली देख कर निकल लिए...

    ReplyDelete
  11. 5/10

    उचित मुद्दा
    आपका कहना सही है. यहाँ कई ब्लॉग ऐसे हैं जिनका मकसद ही वैमनस्य प्रसार है. उनकी हर पोस्ट पर विषवमन जारी है. ऐसे लोगों को हतोत्साहित करना ही सबसे अच्छा विकल्प है. उनसे बहस न करके उनको उनके हाल पर छोड़ दिया जाए. वाद-विवाद अथवा लड़ने-झगड़ने से उनको अपनी दूकान चमकाने का अवसर मिल जाता है.

    ReplyDelete
  12. ऐसे सभी लोगों पर लानत है जो देश मे नफरत फैलाते हैं और एक दूसरे के धर्म को बुरा कहते हैं, अपने देश के खिलाफ बोलते है,ऎसे नफरत के सौदागरों को सख्त सजा मिलनी चाहिये भले ही किसी धर्म का हो। असल मे आज़ादी हमे रास नही आ रही। अच्छा आलेख है। धन्यवाद।

    ReplyDelete
  13. उस्ताद जी,

    मुझे आपके द्वारा कभी ५ से कम अंक प्राप्त नहीं हुए..क्या में इतना अच्छा लिखता हूँ ?? हा हा हा...बहुत बहुत धन्यवाद...

    ReplyDelete
  14. धर्मांतरण कराने में अग्रणी मुहम्मद उमर कैरान्वी, उसका उस्ताद अनवर जमाल और उसका चेला सलीम खान ने ब्लोगजगत में गन्दगी फैला रखी है. असलम कासमी सदा हिन्दू देवी-देवताओं के बारे में अश्लील बातें करता है. अन्य मुल्ले भी इनके सुर में सुर मिलाते रहते हैं. यह स्थिति दुखद है. इन मुल्लों को इस्लाम की कोई बुराई नजर नही आती. चार-चार पत्नियाँ रखते हैं, मन भर जाता है तो तीन बार तलाक कहकर पत्नी को बाहर निकाल देते हैं. बेशर्मी की कोई सीमा नही. महिलाओं को 'खेती' कहते हैं. महिला को आधा मनुष्य माना जाता है. दो मुस्लिम महिलाओं की गवाही एक पुरुष के बराबर होती है.
    विस्तृत जानकारी के लिए शर्मा जी का ब्लोग "भंडाफोडू" अवश्य पढ़ें
    http://bhandafodu.blogspot.com/2010/09/blog-post_06.html
    http://bhandafodu.blogspot.com/2010/06/blog-post_25.html

    ReplyDelete
  15. निर्मला जी...

    सही कहा आपने , कुछ ज्यादा ही आजादी दे दी गयी है हमें, इस आजादी का गलत फायदा उठा रहे हैं सब...जिसके जो मन में आता है बोलता है, लिखता है | देश के खिलाफ कृत्य करके खुद को धार्मिक नुमयिंदा बतलाता है...

    ReplyDelete
  16. लीजिये एक और महानुभाव आए, अब इन्हें क्या कहूं ...

    क्या ये किसी से कम हैं, यूँ खुले आम लगे हैं दूसरे की बुराई करने में.... अरे पहले अपना घर तो बचाओ...

    ReplyDelete
  17. मुझे इसमें कोई दिलचस्पी नहीं कि कोई ४ बीवियां रखे या ४०...कोई दिन भर में १० तलाक ही क्यूँ ना दे...अरे हिन्दू ही कौन सा इस देश के लिए कुछ कर रहे हैं...सब धर्म के नाम पर अपनी रोटियाँ सेक रहे हैं

    इस देश की परवाह किसी को नहीं है....

    ReplyDelete
  18. बस हम खुद को परे रख सकते हैं ... एक एक करके सब सोचें तो ही कुछ हो ,
    दुखद है, पर ....... उधर से ध्यान हटा लेना अपने वश में है

    ReplyDelete
  19. kash ham soch pate ki dusre ki aur unlgi dikhane par baki charo ungliyan khud ki aur ho jati hai...!!

    ReplyDelete
  20. पंजाब में आतंकवाद ख़त्म करने के लिए टाडा जैसा कानून बनाया जा सकता है तो ऐसा कानून अब क्यों नहीं ! जब अरुंधती राय गिलानी जैसे लोग देश की राजधानी दिल्ली में कार्यक्रम करने वाले थे तब देश का ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर रहा था ! --आजादी ही एक मात्र रास्ता-- इस विषय पर खुले आम परिचर्चा होती है क्यों दिल्ली जैसे राजधानी में किसी भी आयोजन करने के लिए परमीसन की आवयश्कता की नहीं है हम तो अपने छेत्र में छोटा सा भी आयोजन करते है तो भवन से लेकर ए.डी.ऍम. पुलिस परमीसन आदि की आवयश्कता पड़ती है! अरे साहब ये तो सब मिली भगत है देश में महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दो से लोगो का ध्यान हटाने के लिए .............

    ReplyDelete
  21. शेखर जी वास्तव में ये दुखद पहलु है जब इस देश की न्याय व्यवस्था पर बैठे लोग किसी भी कार्यवाही करने से पहले ये सोचकर डरते है की इससे देश का माहोल ख़राब होगा ! मुझे तो मोहल्ले में दादागिरी करने वाले से मोहल्ले में रहने वालो का डर जिसमे की वे सोचते है की यदि वे जुबान खोलेंगे तो या उस दादा के खिलाफ कोई भी कारवाही करेंगे तो बाद में वह हमारा अहित कर सकता है एक समानता लगती है ! अब अरुंधती राय और गिलानी जैसे देश द्रोहियों को सिर्फ व सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया की इससे अलगाववादियों को बढ़ावा मिलेगा कितनी हास्यास्पद बात है पूर्णत: कायरता की बात है मै तो ये कहता हु की इन देशद्रोहियों को ऐसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाये की दुबारा इस तरह की बात कहना तो दूर सोचने भर से रूह काँप जाये !

    ReplyDelete
  22. अमरजीत जी,
    तभी तो इस पोस्ट का शीषक मैंने रखा है
    लानत है ऐसे लोगों पर...
    यह लानत मैंने उन सभी लोगों पर भेजी है जो इस देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं ... खासकर धर्म के नाम पर....सबसे आगे तो नाम नेताओं का ही आता है, कुछ पार्टियां तो मुख्य रूप से धर्म के लिए ही बनायीं गयी हैं... शिवसेना, मुस्लिम लीग आदि आदि...

    ReplyDelete
  23. तुम बिलकुल सही कहते हो...मै तो बहुत खुश थी ब्लॉग्गिंग की दुनियां मे आके पर ...यहाँ भी वही सब .. ...मुझे लगता है हमें उनलोगों की नज़रन्दाज करना चाहिए .. न उनपर चर्चा करना चाहिए...क्यों हम उन्हें इतना भाव दे ...

    ReplyDelete
  24. मंजुला जी,

    आप बिल्कुल सही कहती हैं , इसलिए मैंने यहाँ किसी ब्लॉग का लिंक नहीं दिया है लेकिन निश्चित रूप से वो ये पोस्ट पढेंगे..हो सकता है उनमे से कुछ को यह सबक मिल जाए कि ये ओछी हरकत बंद करके अपना ध्यान देश की उन्नति में लगायें तो ज्यादा बेहतर होगा....अगर कोई १ ब्लौगर भी यह बात समझ जाए तो मेरा प्रयास सार्थक हो जायेगा...

    ReplyDelete
  25. हिंदुत्व ही मानवता है हिंदुत्व के न रहने पर मानवता ख़त्म हो जाएगी --- उन गावो में जाईये जहा हिन्दू कम है उसकी बहन बेटी सुरक्षित नहीं है, लेकिन जहा हिन्दू अधिक और मुसलमान कम है वहा वे सब कुछ करते है कृपया धैर्य से सोच कर हिंदुत्व के बारे में कोमेंट करना चाहिए बिना हिन्दू के भारत नहीं -काश्मीर तो देख ही रहे है आप ,वहा राजनितिक नहीं धार्मिक ही समस्या है एक भी हिन्दू नहीं बचा इस समय जबर दस्ती सिखो क़ा खतना किया जा रहा है.

    ReplyDelete
  26. @ दीर्घतमा

    आप या हम कौन होते हैं यह निर्धारण करने वाले कि कहाँ मानवता है और कहाँ नहीं... अपनी आखें खोलिए...

    दुनिया में कितने केवल मुस्लिम राष्ट्र हैं , क्या सब जगह मानवता नहीं है ?? मानवता का निर्धारण मानव से होता है , उसके धर्म से नहीं.... खाड़ी देशों में जाकर देखें वहां crime नहीं के बराबर है, वहां के देशों में सालों साल न्यायलय के चक्कर नहीं लगाने पड़ते... दुबई आज इतना विकसित शहर है | रूस में भी इतने सारे मुसलमान क्या वहां मानवता की कमी दिखायी देती है आपको ???? अरे उतनी दूर ही क्यूँ जाना क्या अपने देश में ऐसे मुसलमान के नाम गिनाऊं आपको जो देशभक्त हैं. जागरूक हैं....

    ReplyDelete
  27. ब्लॉग जगत में आपको अन्मोल रत्न मिलेंगे, कूडा भी मिलेगा।
    हमें चुनने की पूरी आज़ादी है। यदि आपको कूडा चाहिए तो कूडा परोसने वाला ब्लॉग पढो।


    कुछ समय पहले मैंने किसी ब्लॉग्गर को लिखा था :
    The best blogs are those that relate to ideas/concepts/issues.
    The next best blogs deal with events/happenings
    The worst blogs are those that deal and talk about other blogs and bloggers.


    मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों के ब्लॉग पढने की कोशिश करता हूँ।
    यदि लेख पस्न्द आया, तो उस ब्लॉग पर बार बार लौटता हूँ।
    यदि लेख पसन्द नहीं तो उस ब्लॉग पर फ़िर कभी लौटता नही हूँ।

    मेरा सुझाव है कि कभी किसी अन्य ब्लॉग्गर के बारे में मत लिखना।
    बिना नाम लिए भी मत लिखना। लोग आसानी से समझ सकते हैं जिक्र किसका हो रहा है।
    फ़िर तू तू मैं मैं शुरू हो जाता है।

    गंभीर पाठक इससे परेशान हो जाते हैं
    नटखट पाठक तमाशा देखते हैं और कभी कभी अनाम टिप्प्णी करके उक्साते हैं

    ब्लॉग जगत को साफ़ रखना हमारे हाथ में ही है।

    ReplyDelete
  28. जिन लोगों की ओर आप संकेत कर रहे हैं, उन्हे चाहे तो आप प्रेमपूर्वक समझा लें अथवा उनके प्रति कटु भाषा का प्रयोग करके देख लें...उन लोगों की सेहत पर कुछ फर्क नहीं पडने वाला. दरअसल ये सभी लोग एक निश्चित एजेन्डे के तहत ब्लागजगत में सक्रिय हैं...जो अपनी उदेश्यपूर्ति में पूरी ईमानदारी से जुटे हैं. मान-अपमान से परे, तर्क-वितर्क से दूर और पूरी तरह से भावशून्य....बिल्कुल यन्त्रवत!

    ReplyDelete
  29. समझ में नहीं आता की ऐसे लोगों के ब्लॉग लिखने का मकसद क्या है तथा उपयोगिता क्या है ..? जब पूरी व्यवस्था चोर उच्चकों के हाथों में जा रही है ,पूरे देश में भ्रष्टाचार अब पैसा नहीं इंसानियत को खा रहा है फिर भी लोग धर्म के बारे में बकबास जैसे चीजों में ब्लॉग पोस्ट लिख रहें हैं जबकि आज भ्रष्ट मंत्रियों,कुव्यवस्था तथा न्यायिक अराजकता के बारे में लिखने की जरूरत है ...उसके लिए पूरे देश से उठे आवाज को ब्लॉग के माध्यम से मजबूती प्रदान करने की जरूरत है ....वास्तव में लानत है ऐसे लोगों पर .

    ReplyDelete
  30. लानत भेजिये मेरी तरफ से भी,
    मै ज्यादा पढा लिखा और समझदार तो नही हूँ, बस इतना कहूगां ऐसे ब्लाग को पढो ही मत। अगर पढ भी लो तो उनका जिक्र मत करो।
    गंदे लोग हर जगह होते है उनसे बचने मे ही भलाई है

    ReplyDelete
  31. काश!! आपका संदेश सही लोगों तक पहुँचे:


    अगर आप प्यार का सन्देश नहीं दे सकते तो कम से कम नफरत तो न फैलाएँ

    ReplyDelete
  32. विश्वनाथ जी

    क्या करूं...अपने आस पास इतनी गंदगी देखकर मन व्याकुल हो उठता है...मन तो मेरा भी नहीं चाहता इनके बारे में बात करने को...लेकिन अफ़सोस होता है की यह भारत माँ का क़र्ज़ नहीं चुका सके अपनी ज़िन्दगी में... आज भारत माँ बेबस और लाचार होकर दुहाई मांग रही है..माँ का ये दर्द देखा नहीं जाता...

    ReplyDelete
  33. दीपक भाई

    अगर हम इसी तरह गन्दगी से बचते रहे तो गन्दगी बढती जाएगी, कोशिश कीजिये इस गन्दगी को साफ़ करने का |

    ReplyDelete
  34. @ शेखर जी ,
    अपने धर्म में ही इतनी खूबिया है की और किसी के बारे में लिखने या कहने की आवश्यकता नही रह जाती पर जब कोई आस्था पर चोट करता है तो मुझे सहन नही होता ,
    आप मुस्लिम देशो में कम अपराध की बात कर रहे है . वहा पर तो चोरी पर हाथ काट लिए जाते है और आधा जमीं में गाड़ कर पत्थर मार मार कर निर्ममता से मार देने की सजा भी है अभी कुछ दिनों पहले ईरान में एक औरत को ये सजा सुनाई गयी है .
    मुम्बई हमले में स्थानीय लोग भी थे वो कहा है ????????????
    मैं ज्याद कुछ नही कहना चाहता क्यों की आप के विचार मेरे विचार अलग अलग है और आप सिर्फ विरोध ही करेगे . मुझे जो कहना रहा मैंने कह दिया .

    ReplyDelete
  35. अभिषेक जी
    जी नहीं ऐसा बिल्कुल ही नहीं है कि मैं आपकी हर बात का विरोध करूँगा..बिल्कुल ही तर्क के साथ उत्तर दूंगा...
    आपने कहा मुजरिमों के हाथ काट लिए जाते हैं ..तो आप क्या चाहते हैं?? भारत की तरह मुजरिम जमानत पर रिहा होकर देश की सरकार चलायें....????? अरे ऐसी न्याय व्यवस्था की जरूरत तो भारत को भी है..फिर देखिएगा ये गिलानी और अरुंधती जैसे लोग देश के खिलाफ एक शब्द बोलने से पहले हज़ार बार सोचेंगे...अरे यहाँ तो ऐसे लोग आज़ाद घूम रहे हैं जिनको बीच सड़क पर गोली मार देनी चाहिए...
    कोई धर्म के विरुद्ध एक बात बोल दे तो लोगों से सहन नहीं होता..यही हालत मेरी तब होती है जब कोई देश के खिलाफ बोलता है...अपने देश को मैं हर धर्म से ऊपर मानता हूँ...मैं नास्तिक ज़रूर हूँ लेकिन आप मुझे धर्म विरोधी ना समझें, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि क्या केवल धर्म ही ऐसी चीज जिसके लिए हम काटने- मरने पर उतारू हो जायें...क्या सुरेश कलमाड़ी को देखकर आपकी देशभक्ति को ठेस नहीं पहुँचती????
    मैं इस देश को शांत और खुशहाल देखना चाहता हूँ, बस यही मेरी विचारधारा है..अब ये आपको निर्णय लेना है कि आपकी विचारधारा मेरी विचारधारा से मिलती है या नहीं ????

    ReplyDelete
  36. shekhr bhaayi adab aapne desh ke assi fisdi logon pr lant bhej di he or yeh sch bhi he desh kisi aek kaa nhi hmara apnaa he desh men jb pyar se hi kushiyaa bikheri ja skti hen to fir dhrm,jati,smaj ke naam pr yeh nfrt ka khel kyun or jo aesa krta he voh vaaqyi lant ke qaabil he aek achchi saahsik post likhne ke liyen hardik bdhaayi. akhtar khan akela kota rajsthan

    ReplyDelete
  37. आपके आलेख से पूर्णत: सहमत हूँ ! साहित्य सृजन के स्थान पर ब्लॉग का सहारा अपने मन की कड़वाहट निकालने के लिये किया जा रहा है जो निश्चित रूप से शोचनीय है !

    ReplyDelete
  38. अख्तर भाई..
    बहुत बहुत धन्यवाद...

    ReplyDelete
  39. जी हाँ साधना जी बिल्कुल सही कहा आपने..
    अगर आप प्यार का सन्देश नहीं दे सकते तो कम से कम नफरत तो न फैलाएँ

    ReplyDelete
  40. दोस्त, विश्वनाथ जी कि बात पर जरूर गौर करना.. लगभग वही बात मैंने साल-दो साल पहले ही महसूस की थी और तब से ब्लोगर और ब्लॉग के बारे में लिखना बंद कर दिया.. कई दफे लिखने की इच्छा होते हुए भी नहीं लिखा..

    मुझे यह लगने लगा था जैसे मैं अपना बेस रीडर ग्रुप खोता जा रहा हूँ जो मुझे पढ़ने आते हैं, ना कि मेरे ब्लोगर दोस्तों के बारे में..

    ब्लॉग एवं ब्लोगरों के बारे लिखने पर बेशक कमेंट्स लगभग तीन से चार गुना अधिक मिले, मगर वे लोग जो पहली बार आपके ब्लॉग को पढ़ रहे होते हैं वह दुबारा नहीं आते हैं.. आज मुझे पहले के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक हिट्स मिलते हैं मगर कमेंट्स पहले से कही कम.. मगर मैं खुश हूँ.. :)

    ReplyDelete
  41. hmmm...
    prashant bhai..
    i will keep this in my mind...thankz...

    ReplyDelete
  42. na hi mujhe hits ki chinta hai aur na hi comments ki,,,log padhein yahi mere liye bahut hai...
    haan agar mujhe lagta hai ki mera koi lekh sabhi ko padhna chahiye tab main zaroor sab ko amantrit karta hoon....

    ReplyDelete
  43. सच में लानत है ...

    जब तक ये सब चलता रहेगा हमारा देश उन्नती नहीं कर पायेगा !

    ReplyDelete
  44. हमें आज की समस्‍या जैसे गरीबी , बीमारी ,अशिक्षा, भ्रष्‍टाचार की ओर देखना चाहिए .. उनके समाधान का प्रयास करना चाहिए .. जिस विचारधारा के लोग समस्‍याओं से निजात दिलाने में कामयाब होंगे .. उसे अपनी सार्थकता सिद्ध करने की कोई आवश्‍यकता ही नहीं रह जाएगी !!

    ReplyDelete
  45. मै आपकी आपकी बात से पूरी तरह सहमत हु
    आज देश के हालत बहुत ही बिगड़ते जा रहे हम खुद अपने दुश्मन बने हुए है
    ऐसे लोगों पर लानत है जो देश मे नफरत फैलाते हैं और एक दूसरे के धर्म को बुरा कहते हैं, शुरुआत में ब्लॉगजगत ने कुछ प्रयास किये थे पर पर अब ब्लॉगजगत में भी बरैया आ चुकी है यहाँ भी किसी न किसी मुद्दे को बहुत उछाला जाता है हम तभी सही थे जब गुलाम थे |अब जब आज़ादी मिली है तो उसका भी गलत फायदा उत रहे है..अपशब्द बोलना तो सभी जानते है अच्छा बोलकर बताओ जब जाने कितने दिलदार हो असल में हम में से बहुतो को आज़ादी का मतलब भी पता नहीं है
    और शेखर भाई बुरे लोग हर जगह होते है ऐसे लोगो से तो बचने मे ही भलाई है अगर हमे देश में सुधर करना है तो मिलकर एकजुट पर्यास करना होगा तभी देश का कल्याण होगा

    ReplyDelete
  46. अच्छी पोस्ट।
    हम भी आपकी मुहिम में शामिल हैं।
    लानत है ऐसे लोगों पर।

    ReplyDelete
  47. शेख भाई आपके विचार उस चन्दन से लदे जहाज के समान हे जो दिशा भटक गया हे ,बधाई |

    ReplyDelete
  48. शेखर सही कह रहे है आप जब मैं ब्लॉग्गिंग की दुनिया में नया आया था तब मुझे भी इस दलदल में खींचा गया था...बात यह होती है की कुछ गैर सामाजिक ब्लॉगर आपके नाम पर अपशब्दों का उपयोग करते है,गली देते है,आपके धर्म की बुराई करते है या वो सब जो आपकी नब्ज है जिससे आप भड़क सकते है....
    जवाब में आप भी उन पर कुछ लिखते है इस तरह से उनकी ब्लॉग्गिंग का उद्देश्य पूरा हो जाता है...इस तरह की घटनाएँ सामूहिक ब्लोग्गों पर अधिक होती है...इनका समाधान सिर्फ एक ही है की वो आपके बारे में कुछ भी लिखे आप उनके लेखन को प्राथमिकता न दे,उनका जवाब न दें...... तब आप देखेंगे की उनके हटाओं में इतनी भी हिम्मत नहीं होती की आपकी बुराई को भी वो जायदा दिन तक लिख सके...

    ReplyDelete
  49. मुझे तो लगता है हर किसी को कोई न कोई मसाला चाहिए कुछ सुरसुरी छेड़ने का ....
    पूरे देश में यही तो हो रहा है ...

    ReplyDelete
  50. शेखर भईया कितनी लानतें भेंजें ये सर-ओ-पा इन्हीं हरक़तों में डूबे हैं. अब तो बस अपन अपना अवदान देते रहें बस यही बेहतर है .सार्थक और सलीके से बात कहना अच्छा लगा
    प्रिय जब प्रेम कुटी में आना

    ReplyDelete
  51. मैं आप की बात से सहमत हूँ| ऐसे लानती लोगों से भगवान ही बचाए |

    ReplyDelete
  52. अरे ये MAN गुरूजी कहाँ से आए ???
    इस जहाज में चन्दन के साथ साथ पेट्रोल भी है भाई, किसी दिन ऐसे देश के गद्दारों को जला कर खाक कर दूंगा..

    ReplyDelete
  53. भगवान् कुछ नहीं कर सकते भाई साहब, इनसे तो हम इंसानों को ही निपटना होगा.

    ReplyDelete
  54. आपने बहुत सी लानतें दे दी शेखर जी ... मगर सही हैं ... जो महत्वपूर्ण है वो मुद्दा कोई नहीं उठता ...

    जहां तक उस्ताद जी की बात है ... मुझे 4 मिल चुके हैं ... वैसे बचपन से 3.3 की आदत डाली हैं स्कूल ने ... तो ख़ुशी है की पास हो गयी ... अप्पको तो फिर भी 5 मिले हैं ... हाहाहा

    ReplyDelete
  55. dukhtee rag par hath rakhne walee baat rahee ise lekh ke dwara.........
    sarthak lekhan........
    Aabhar

    ReplyDelete
  56. Shekhar kya lanat hai kehne se sab sudhar jaayega, agar chingari bhadak rahi hai to usse shola banao aur phir utro maidan me, in bhrasht netao se bhid jaao

    ReplyDelete
  57. लग तो रहा की तुम जरूर पलीता लगावोगे .....?भटके हुवे जहाज को ?

    ReplyDelete
  58. @ rajat.. main koi pahalwaan thode na hoon jo maidaan mein utar kar bhid jaun...engineer hoon aur apne star par jo ho raha hai main kar raha hoon...aapki salah nahi chahiye..dhanyawaad....

    ReplyDelete
  59. @ MAN भाई साहब
    अगर है हिम्मत तो पलीता लगा के दिखा दो..
    ओह माफ़ करना हिम्मत कहाँ है आपमें, आप तो खुद अपना नाम छुपाते फिर रहे हैं | हा हा हा.

    ReplyDelete
  60. शेखर भाई मै आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ!

    ReplyDelete
  61. चिन्तनीय विषय पर सुन्दर पोस्ट।

    ReplyDelete
  62. अपने देश को मैं हर धर्म से ऊपर मानता हूँ..

    पर धर्म के ठेकेदारों को कौन समझाए.

    ReplyDelete

Do you love it? chat with me on WhatsApp
Hello, How can I help you? ...
Click me to start the chat...